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दरभंगा: सांसद गोपाल जी ठाकुर ने की जीआई टैग 'मिथिला मखाना' के नाम से करने की अपील

सांसद गोपाल जी ठाकुर ने मखाना का जी.आई. टैग मिथिला मखाना के नाम से करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि इससे आठ करोड़ मिथिलावसी गौरवान्वित होंगे.

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Published : Aug 29, 2020, 6:29 PM IST

darbhanga
सांसद गोपाल जी ठाकुर

दरभंगा: सांसद गोपाल जी ठाकुर ने मखाना का जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जी.आई.) टैग मिथिला मखाना के नाम से किये जाने के लिए केंद्रीय रेल और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आग्रह किया. बता दें 24 अगस्त 2020 को दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर ने इसके लिए माननीय मंत्री जी को पत्र भी लिखा था.

अनुसंधान केंद्र की स्थापना
गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि मिथिला की पहचान और प्रमुख फसल मखाना की उपज मुख्य रूप से सिर्फ मिथिला क्षेत्र में होती है. पूरे देश के उत्पादन का लगभग 80 से 90 फीसद उपज मिथिला के इस विशाल क्षेत्र में ही होती है. मखाना की महत्ता को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के सरकार ने 28 फरवरी 2002 को मिथिला के केंद्र दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना की थी. ताकि मखाना का विकास उच्च स्तर पर हो सके.

गौरवान्वित होंगे मिथिलावसी
सांसद ने कहा कि मिथिला मखाना के नाम से जी.आई. टैग होने पर आठ करोड़ मिथिलावसी गौरवान्वित होंगे. पग-पग पोखर पान मखान के लिए प्रसिद्ध मिथिला जैसे जलीय क्षेत्र में मखाना का उत्पादन केवल 15 हजार हेक्टेयर ही दिखाया गया है. जो बिल्कुल गलत है.

9.5 लाख हेक्टेयर में खेती
मखाना उत्पादन के लिए उपयोगी क्षेत्र लगभग 9.5 लाख हेक्टेयर से भी अधिक है. जिसमें सर्वाधिक मखाना की खेती होती है. गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिथिला क्षेत्र के इस प्रमुख फसल मखाना के वैश्विक मांग को देखते हुए इसके व्यापार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात कही है.

वोकल फॉर लोकल का आवाह्न
सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए वोकल फॉर लोकल का आवाह्न किया. ताकि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिले. गोपाल जी ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि रजिस्ट्रार-जियोग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्ट्री, चेन्नई के पास बिहार मखाना (मखाना फ्रॉम बिहार) के नाम से जी.आई. टैग के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के डीन ने 4 अगस्त 2020 को एक आवेदन भेजा है.

सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि मखाना मिथिला और 8 करोड़ मिथिलावासियों की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. इसलिए मखाना का जी.आई. टैग बिहार मखाना के नाम से किया जाना 8 करोड़ मिथिलवासियों के साथ अन्याय होगा.

दरभंगा: सांसद गोपाल जी ठाकुर ने मखाना का जियोग्राफिकल इंडिकेशंस (जी.आई.) टैग मिथिला मखाना के नाम से किये जाने के लिए केंद्रीय रेल और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आग्रह किया. बता दें 24 अगस्त 2020 को दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर ने इसके लिए माननीय मंत्री जी को पत्र भी लिखा था.

अनुसंधान केंद्र की स्थापना
गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि मिथिला की पहचान और प्रमुख फसल मखाना की उपज मुख्य रूप से सिर्फ मिथिला क्षेत्र में होती है. पूरे देश के उत्पादन का लगभग 80 से 90 फीसद उपज मिथिला के इस विशाल क्षेत्र में ही होती है. मखाना की महत्ता को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के सरकार ने 28 फरवरी 2002 को मिथिला के केंद्र दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र की स्थापना की थी. ताकि मखाना का विकास उच्च स्तर पर हो सके.

गौरवान्वित होंगे मिथिलावसी
सांसद ने कहा कि मिथिला मखाना के नाम से जी.आई. टैग होने पर आठ करोड़ मिथिलावसी गौरवान्वित होंगे. पग-पग पोखर पान मखान के लिए प्रसिद्ध मिथिला जैसे जलीय क्षेत्र में मखाना का उत्पादन केवल 15 हजार हेक्टेयर ही दिखाया गया है. जो बिल्कुल गलत है.

9.5 लाख हेक्टेयर में खेती
मखाना उत्पादन के लिए उपयोगी क्षेत्र लगभग 9.5 लाख हेक्टेयर से भी अधिक है. जिसमें सर्वाधिक मखाना की खेती होती है. गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिथिला क्षेत्र के इस प्रमुख फसल मखाना के वैश्विक मांग को देखते हुए इसके व्यापार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात कही है.

वोकल फॉर लोकल का आवाह्न
सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए वोकल फॉर लोकल का आवाह्न किया. ताकि स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिले. गोपाल जी ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि रजिस्ट्रार-जियोग्राफिकल इंडीकेशन रजिस्ट्री, चेन्नई के पास बिहार मखाना (मखाना फ्रॉम बिहार) के नाम से जी.आई. टैग के लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के डीन ने 4 अगस्त 2020 को एक आवेदन भेजा है.

सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि मखाना मिथिला और 8 करोड़ मिथिलावासियों की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. इसलिए मखाना का जी.आई. टैग बिहार मखाना के नाम से किया जाना 8 करोड़ मिथिलवासियों के साथ अन्याय होगा.

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