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बेटी के हौसले को सलाम: घायल पिता को साइकिल पर बैठाकर 1300 किमी दूर गुरुग्राम से पहुंची दरभंगा

मोहन पासवान ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी ज्योति पर गर्व है. जब मकान मालिक ने घर से निकाल दिया तो उन्हें अपनी कम, बेटी की चिंता ज्यादा सता रही थी, लेकिन मेरी बेटी बहुत बहादुर निकली.

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Published : May 18, 2020, 11:49 AM IST

दरभंगाः जिले में सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव की बेटी ज्योति ने अपने पिता के लिए वो कर दिखाया, जिसकी उम्मीद किसी को अपने बेटों से भी नहीं होती. 13 साल की ज्योति ने अपने जख्मी पिता को साइकिल पर बिठाकर तकरीबन 1300 किमी की दूरी तय कर उन्हें सकुशल घर पहुंचाया. इस बहादुर लड़की की चर्चा हर जगह हो रही है. पिता मोहन पासवान भी अपनी बेटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

खाने के पड़ गए लाले
दरअसल मोहन पासवान गुरुग्राम में ऑटो चलाकर परिवार का पेट पालते थे. जनवरी में एक्सीडेंट होने की वजह से उनके पैर में काफी चोट आई थी. अभी इलाज चल ही रहा था कि कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन हो गया. जिससे उनके खाने पर भी लाले पड़ गए और मकान मालिक ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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क्वॉरेंटाइन सेंटर में ज्योती

500 रुपये में खरीदी पुरानी साइकिल
ज्योति ने कहा कि घायल पिता को लेकर वो काफी मुश्किल में फंस गई थी. पिता के पांव में चोट की वजह से रोजगार ठप था और पहले से ही आर्थिक तंगी थी. उसके पास महज 500 रुपये बचे थे. जिससे उसने एक पुरानी साइकिल खरीदी और पिता को लेकर चल पड़ी. रास्ते में जो भी मिला, उसने उन लोगों की मदद की.

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ज्योती और उसके पिता

पिता को है बेटी पर गर्व
वहीं, मोहन पासवान ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी ज्योति पर गर्व है. जब मकान मालिक ने घर से निकाल दिया तो उन्हें अपनी कम, बेटी की चिंता ज्यादा सता रही थी. लेकिन ये बेटी बहुत बहादुर निकली और उन्हें सकुशल घर पहुंचा कर उन्हें नया जीवन दिया है.

देखें रिपोर्ट

हर कोई हौसले को कर रहा सलाम
दूर प्रदेश में फंसी ज्योति ने बचे 500 रुपये से एक पुरानी साइकिल खरीदी और उस पर घायल पिता को बिठाकर अपने घर के लिए निकल पड़ी. आठ दिन लगातार साइकिल चलाने के बाद ये बच्ची आखिरकार अपने पिता को सकुशल अपने गांव लेकर पहुंच ही गई. ज्योति के हौसले को आज हर कोई सलाम कर रहा है.

दरभंगाः जिले में सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव की बेटी ज्योति ने अपने पिता के लिए वो कर दिखाया, जिसकी उम्मीद किसी को अपने बेटों से भी नहीं होती. 13 साल की ज्योति ने अपने जख्मी पिता को साइकिल पर बिठाकर तकरीबन 1300 किमी की दूरी तय कर उन्हें सकुशल घर पहुंचाया. इस बहादुर लड़की की चर्चा हर जगह हो रही है. पिता मोहन पासवान भी अपनी बेटी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.

खाने के पड़ गए लाले
दरअसल मोहन पासवान गुरुग्राम में ऑटो चलाकर परिवार का पेट पालते थे. जनवरी में एक्सीडेंट होने की वजह से उनके पैर में काफी चोट आई थी. अभी इलाज चल ही रहा था कि कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन हो गया. जिससे उनके खाने पर भी लाले पड़ गए और मकान मालिक ने भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

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क्वॉरेंटाइन सेंटर में ज्योती

500 रुपये में खरीदी पुरानी साइकिल
ज्योति ने कहा कि घायल पिता को लेकर वो काफी मुश्किल में फंस गई थी. पिता के पांव में चोट की वजह से रोजगार ठप था और पहले से ही आर्थिक तंगी थी. उसके पास महज 500 रुपये बचे थे. जिससे उसने एक पुरानी साइकिल खरीदी और पिता को लेकर चल पड़ी. रास्ते में जो भी मिला, उसने उन लोगों की मदद की.

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ज्योती और उसके पिता

पिता को है बेटी पर गर्व
वहीं, मोहन पासवान ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी ज्योति पर गर्व है. जब मकान मालिक ने घर से निकाल दिया तो उन्हें अपनी कम, बेटी की चिंता ज्यादा सता रही थी. लेकिन ये बेटी बहुत बहादुर निकली और उन्हें सकुशल घर पहुंचा कर उन्हें नया जीवन दिया है.

देखें रिपोर्ट

हर कोई हौसले को कर रहा सलाम
दूर प्रदेश में फंसी ज्योति ने बचे 500 रुपये से एक पुरानी साइकिल खरीदी और उस पर घायल पिता को बिठाकर अपने घर के लिए निकल पड़ी. आठ दिन लगातार साइकिल चलाने के बाद ये बच्ची आखिरकार अपने पिता को सकुशल अपने गांव लेकर पहुंच ही गई. ज्योति के हौसले को आज हर कोई सलाम कर रहा है.

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