दरभंगा: जिले में बाढ़ से हुई क्षति का आंकलन करने के लिए गुरुवार को 3 सदस्यीय केंद्रीय टीम दरभंगा पहुंची. टीम का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव पीयूष गोयल ने किया. वायुसेना के हवाई अड्डे पर उतरकर केंद्रीय टीम ने यहां के सभागार में डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की. इसके बाद केंद्रीय टीम ने बाढ़ प्रभावित केवटी प्रखंड के असराहा और खिरमा में किसानों से मुलाकात कर फसल के नुकसान के संबंध में उनकी शिकायतें सुनी.
केंद्रीय टीम जिन किसानों से मिली उनमें से एक सहदेव चौपाल ने बताया कि टीम ने उनसे बाढ़ से हुए नुकसान के बारे में पूछा. उन्होंने टीम को बताया कि बटाई पर खेती करते हैं. उन्हें आज तक कभी फसल क्षति मुआवजा नहीं मिला है. फसल क्षति मुआवजे के लिए उन लोगों से जमीन के कागजात मांगे जाते हैं. बटाईदार के पास जमीन के कागजात हों तब न वह दे. उन्होंने कहा कि केंद्रीय टीम ने उन्हें आश्वासन दिया है कि बटाईदार को भी अब फसल क्षति का मुआवजा मिलेगा.
'हर साल मुआवजों में हो रही कटौती'
वहीं एक अन्य किसान मो. सलीमुल्लाह ने बताया कि सरकार द्वारा मिलने वाला फसल क्षति मुआवजा मिलता कभी भी समय पर नहीं मिलता है. साथ ही हर साल उसमें कटौती ही होती जा रही है. उन्होंने कहा कि बाढ़ से कम से कम 40-45 हजार रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन सिर्फ 9 से 10 हजार रुपये ही मिलते हैं. इतने से क्या होता है.
20 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित
- गौरतलब है कि इस साल की भीषण बाढ़ से बिहार में सबसे ज्यादा नुकसान दरभंगा जिले में ही हुआ है. यहां के 18 में से 15 प्रखंडों की 20 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हुई है. बड़े पैमाने पर लोगों के घर गिरे और फसल खराब हो गए हैं.