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मिथिला के पहले पायलट रहे कैप्टन सुरेंद्र चौधरी, दरभंगा एविएशन के सुनहरे दिनों को किया याद

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के खास लोगों में रहे कैप्टन सुरेंद्र चौधरी का दरभंगा में भावपूर्ण स्वागत किया गया. इस मौके पर कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने दरभंगा एविएशन के गौरवशाली दिनों को याद करते हुए कहा कि वे दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के पायलट हुआ करते थे.

Darbhanga
कैप्टन का स्वागत
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Published : Feb 20, 2021, 8:40 PM IST

दरभंगा: मिथिला के पहले पायलट और दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के खास लोगों में रहे कैप्टन सुरेंद्र चौधरी का दरभंगा में भावपूर्ण स्वागत किया गया. वे इसमाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'मिथिला का विमानन इतिहास और संभावनाएं' विषय पर राजकुमार शुभेश्वर सिंह स्मृति व्याख्यान में पहुंचे थे.

वहीं, इसमाद फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ पत्रकार आशीष झा, कुमुद सिंह और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेटर संतोष कुमार ने जब उनका स्वागत किया तो वे भावुक हो उठे. महाराजा कामेश्वर सिंह के पौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह ने उन्हें उस पुराने डिकोटा विमान की प्रतिकृति भेंट की. जिसे कैप्टन चौधरी कभी उड़ाया करते थे.

देखें रिपोर्ट.

कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने गौरवशाली दिनों को किया याद
कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने दरभंगा एविएशन के गौरवशाली दिनों को याद करते हुए कहा कि वे दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के पायलट हुआ करते थे. उनके विमान लेकर देशभर में उड़ा करते थे. उन्होंने कहा कि उस जमाने में दरभंगा एविएशन की विमानों की रखरखाव की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि इंडियन एयरलाइन के प्रबंधन के लोग यहां विमानों का मेंटेनेंस देखने आते थे. उन्होंने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य उज्जवल है और यहां किसी भी दूसरे शहर से ज्यादा संभावनाएं हैं.

वहीं, दरभंगा के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह के पौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि दरभंगा महाराज ने आम लोगों को रोजी-रोजगार देने के लिए कई कल-कारखानों की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि उन्हीं में से एक पहल दरभंगा एविएशन की स्थापना थी. उन्होंने कहा कि अगर दरभंगा राज की ओर से यहां एयरपोर्ट नहीं बनाया गया होता तो आज लोग भारत के विभिन्न शहरों में दरभंगा से उड़कर नहीं जा सकते थे.

दरभंगा: मिथिला के पहले पायलट और दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के खास लोगों में रहे कैप्टन सुरेंद्र चौधरी का दरभंगा में भावपूर्ण स्वागत किया गया. वे इसमाद फाउंडेशन की ओर से आयोजित 'मिथिला का विमानन इतिहास और संभावनाएं' विषय पर राजकुमार शुभेश्वर सिंह स्मृति व्याख्यान में पहुंचे थे.

वहीं, इसमाद फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ पत्रकार आशीष झा, कुमुद सिंह और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सीनेटर संतोष कुमार ने जब उनका स्वागत किया तो वे भावुक हो उठे. महाराजा कामेश्वर सिंह के पौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह ने उन्हें उस पुराने डिकोटा विमान की प्रतिकृति भेंट की. जिसे कैप्टन चौधरी कभी उड़ाया करते थे.

देखें रिपोर्ट.

कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने गौरवशाली दिनों को किया याद
कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने दरभंगा एविएशन के गौरवशाली दिनों को याद करते हुए कहा कि वे दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह के पायलट हुआ करते थे. उनके विमान लेकर देशभर में उड़ा करते थे. उन्होंने कहा कि उस जमाने में दरभंगा एविएशन की विमानों की रखरखाव की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि इंडियन एयरलाइन के प्रबंधन के लोग यहां विमानों का मेंटेनेंस देखने आते थे. उन्होंने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य उज्जवल है और यहां किसी भी दूसरे शहर से ज्यादा संभावनाएं हैं.

वहीं, दरभंगा के आखिरी महाराजा सर कामेश्वर सिंह के पौत्र कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि दरभंगा महाराज ने आम लोगों को रोजी-रोजगार देने के लिए कई कल-कारखानों की स्थापना की थी. उन्होंने कहा कि उन्हीं में से एक पहल दरभंगा एविएशन की स्थापना थी. उन्होंने कहा कि अगर दरभंगा राज की ओर से यहां एयरपोर्ट नहीं बनाया गया होता तो आज लोग भारत के विभिन्न शहरों में दरभंगा से उड़कर नहीं जा सकते थे.

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