दरभंगा: केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की ओर से लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में 24 तारीख को दरभंगा में एक बड़ी किसान सभा का आयोजन किया जाएगा. इस महासभा का मकसद सरकार पर तीनों कानूनों को वापस लेने, पेट्रोल - डीजल के दामों में कमी लाने की मांग और एमएसपी को कानूनी रुप देने के लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा. इस बारे में जानकारी आज जिला के किसान काउंसिल सचिव श्याम भारती ने दी.
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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार डीजल पेट्रोल रसोई गैस खाद्य पदार्थों पर उत्पादक शुल्क एवं वैट लगाकर लगातार मूल्य वृद्धि कर रही है. सरकार महामारी एवं लॉकडाउन से परेशान किसान मजदूरों एवं मध्यम वर्गों के लोगों के जले पर नमक छिड़कने का काम कर रही है. वहीं अब सरकार ने बिजली का निजीकरण एवं बीमा कंपनियों को खत्म करने की घोषणा भी कर दी है. जिसको लेकर 24 मार्च को पोलो मैदान में किसान महापंचायत बुलाई गई है.
सरकार के खिलाफ किसानों का सबसे बड़ा आंदोलन जारी है
जिला किसान कॉसिंल के जिला सचिव श्याम भारती के संग बिहार राज्य किसान काउंसिल के राज्य अध्यक्ष ललन चौधरी भी इस दौरान मौजूद रहे. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों की वापसी एवं एमएसपी की गारंटी को लेकर 26 नवंबर 2020 से किसानों का आंदोलन जारी है. यह आजादी के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंदोलन है. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के दौरान अबतक करीब 300 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है. देश के किसानों एवं किसान संगठनों ने मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है.
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वित्तीय बजट किसानों के साथ धोखाधड़ी
ललन चौधरी ने सरकार द्वारा वित्तीय बजट में किसानों संग धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2020-21 में कृषि के लिए 1,34,349 करोड़ रूपया आवंटित हुआ था. जिसे 2021-22 के बजट में घटाकर 1,22,961 करोड़ कर दिया गया. पिछले वर्ष की तुलना में 8% की कटौती इस बार के बजट में की गई है. उन्होंने कहा कि बजट ने सरकार के उस दावे की पोल खोल दी है जिसमें उसने किसानों की आय दोगुनी करने का दावा किया है. उन्होंने कहा कि खाद सब्सिडी 1.84 करोड से घटाकर 1.15 करो रुपया कर दी गई है.