दरभंगा: अखिल भारतीय किसान सभा के आह्वान पर किसान काउंसिल की ओर से दरभंगा समाहरणालय स्थित धरनास्थल पर एक दिवसीय धरना दिया गया. धरना-प्रदर्शन के माध्यम से आंदोलनकारियों ने किसान विरोधी अध्यादेश के प्रति को जलाते हुए इस अध्यादेश को वापस लेने की मांग के समर्थन में प्रदर्शन किया.
संशोधन का प्रस्ताव
आंदोलनकारियों का कहना था कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कोरोना महामारी का इस्तेमाल कर खेती और किसानों पर नव उदारवादी आर्थिक नीतियों का आक्रमण तेज कर दिया है. विगत दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से लाया गया कृषि उपज वाणिज्य, व्यापार अध्यादेश, कृषि सेवा अध्यादेश 2020 और आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को लेकर आंदोलन किया गया.
कृषि उत्पादों की खरीदारी
आंदोलनकारियों ने कई मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीदारी की जिम्मेदारी से मुक्ति, किसानों को बाजार के बड़े व्यापारियों के हवाले करने, सरकारी खेती के बजाय कॉर्पोरेट खेती को बढ़ावा देने, खुदरा और बड़े व्यापारियों की ओर से जमाखोरी को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पलटने को लेकर आंदोलनकारियों ने धरना दिया.
किसान मजदूरों के अधिकारों पर हमला
जिला किसान काउंसिल के सचिव सह राज्य संयुक्त सचिव श्याम भारती ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के बहाने किसान और मजदूरों के अधिकारों पर हमला कर रही है. केंद्र सरकार ने किसानों की खेती को पूंजीपती के हवाले करने के लिए यह अध्यादेश लाया है. यह अध्यादेश किसानों के मंडी को तोड़ने, एमएसपी को छोड़ने, जमीन को लूटने और जमाखोरों को बढ़ावा देगा.
उग्र आंदोलन की चेतावनी
श्याम भारती ने कहा कि यह नया अध्यादेश खेती और किसान विरोधी कदम है. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के माध्यम से हमलोग किसान विरोधी अध्यादेश को वापस लेने की मांग करते हैं. अगर हम लोगों की मांग पर विचार नहीं किया जाएगा, तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन किया जाएगा.