ETV Bharat / state

यहां आइये और 'तंदूरी चाय' की चुस्की लीजिए, फिर कहेंगे- वाह दरभंगा - Darbhanga Special Tea

तंदूरी चाय को बनाने वाले कारीगर इसे मिट्टी के बर्तन में तड़का लगाते हैं. ग्राहकों को कुल्हड़ में देते हैं. इससे इस खास चाय का स्वाद अन्य चायों से बिल्कुल अलग हो जाती है.

दरभंगा
author img

By

Published : Oct 28, 2019, 9:45 PM IST

दरभंगा: अगर आप खाने-पीने के शौकीन हैं तो आप एक बार जरूर दरभंगा में तंदूरी चाय का आनंद लीजिए. इसके बनाने का खास रेसिपी और गर्म कुल्हड़ इसके स्वाद को और भी बढ़ा देता है. इस तंदूरी चाय को पीने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आ रहे हैं.

दरभंगा शहर से सटे मब्बी-कमतौल पथ के किनारे तंदूरी चाय की दुकान इस पूरे क्षेत्र में प्रसिद्घ है. पूरे जिला में इस खास विधि से चाय बनाने वाल यह इकलौता दुकान है. इस चाय को तंदूर के माध्यम से बनाया जाता है. ग्राहकों को मिट्टी के बर्तन में परोसा जाता है. इससे इस चाय की स्वाद और भी बढ़ जाती है. लोग इसे 'स्मोक टी' भी कह रहे हैं.

दरभंगा में तंदूरी चाय है खास

यहां चाय में लगता है तड़का
चाय पीने आए ग्राहकों का कहना है कि इस चाय की बनाने की विधि अलग है. इस चाय को बनाने वाले कारीगर इसे मिट्टी के बर्तन में तड़का लगाते हैं. ग्राहकों को कुल्हड़ में दी जाती है. इससे इस खास चाय का स्वाद अन्य चायों से बिल्कुल अलग हो जाती है. इसे पीने के लिए यहां लोग कई किमी दूर से आते हैं.

'इसे बनाना जैसलमेर से सिखा है'
इस दुकान के मालिक ने बताया कि कुल्हड़ स्वाद के साथ पार्यावरण के लिए भी बेहतर होता है. कुल्हड़ चाय के बढ़ावा से कुम्हारों को भी रोजगार मिल रहा है. वहीं, इस चाय को बनाने वाले कारीगर ने बताया कि इसे बनाने की विधि जैसलमेर में सीखा है. इसे बनाने के लिए पहले थोड़ा सा दूध देकर उसे खोआ बनाते हैं, उसमें दूध, चीनी और चायपत्ती देकर उबालते हैं. फिर गर्म कुल्हड़ में डालकर उसका तड़का लगाते हैं. इस चाय की स्वाद जेनरल चाय से काफी अलग होती है.

दरभंगा: अगर आप खाने-पीने के शौकीन हैं तो आप एक बार जरूर दरभंगा में तंदूरी चाय का आनंद लीजिए. इसके बनाने का खास रेसिपी और गर्म कुल्हड़ इसके स्वाद को और भी बढ़ा देता है. इस तंदूरी चाय को पीने के लिए लोग यहां दूर-दूर से आ रहे हैं.

दरभंगा शहर से सटे मब्बी-कमतौल पथ के किनारे तंदूरी चाय की दुकान इस पूरे क्षेत्र में प्रसिद्घ है. पूरे जिला में इस खास विधि से चाय बनाने वाल यह इकलौता दुकान है. इस चाय को तंदूर के माध्यम से बनाया जाता है. ग्राहकों को मिट्टी के बर्तन में परोसा जाता है. इससे इस चाय की स्वाद और भी बढ़ जाती है. लोग इसे 'स्मोक टी' भी कह रहे हैं.

दरभंगा में तंदूरी चाय है खास

यहां चाय में लगता है तड़का
चाय पीने आए ग्राहकों का कहना है कि इस चाय की बनाने की विधि अलग है. इस चाय को बनाने वाले कारीगर इसे मिट्टी के बर्तन में तड़का लगाते हैं. ग्राहकों को कुल्हड़ में दी जाती है. इससे इस खास चाय का स्वाद अन्य चायों से बिल्कुल अलग हो जाती है. इसे पीने के लिए यहां लोग कई किमी दूर से आते हैं.

'इसे बनाना जैसलमेर से सिखा है'
इस दुकान के मालिक ने बताया कि कुल्हड़ स्वाद के साथ पार्यावरण के लिए भी बेहतर होता है. कुल्हड़ चाय के बढ़ावा से कुम्हारों को भी रोजगार मिल रहा है. वहीं, इस चाय को बनाने वाले कारीगर ने बताया कि इसे बनाने की विधि जैसलमेर में सीखा है. इसे बनाने के लिए पहले थोड़ा सा दूध देकर उसे खोआ बनाते हैं, उसमें दूध, चीनी और चायपत्ती देकर उबालते हैं. फिर गर्म कुल्हड़ में डालकर उसका तड़का लगाते हैं. इस चाय की स्वाद जेनरल चाय से काफी अलग होती है.

Intro:अगर आप खाने-पीने के शौकीन हैं तो तंदूरी चिकन या फिर तंदूरी रोटी का स्वाद आपने जरूर चखा होगा। लेकिन दरभंगा जिले में इन दिनों एक खास प्रकार की चाय तंदूरी चाय लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस चाय एक खास रेसिपी की मदद से बनाया जाता है। जिसके बाद उसे गर्म कुल्हड़ में तड़का दिया जाता है। जिसके बाद चाय में बहुत अच्छा स्मोकी फ्लेवर आना शुरू हो जाता है। जिसकी भीनी भीनी खुशबू चाय का स्वाद बढ़ा देती है। इस प्रकार खास के तरीके की बनने की वजह से यह चाय आसपास के इलाकों में काफी चर्चा का विषय बन गया है। आलम यह है कि जो लोग भी इधर से गुजरते है, वे इस यूनिक चाय की चुस्की लेना नही भूलते है।


Body:दरअसल दरभंगा शहर से सटे मब्बी कमतौल पथ के किनारे एक टी स्टॉल देखने को मिला, जहां चाय की केतली व अन्य बर्तनों की जगहों पर तंदूर की माध्यम से चाय बनाया जा रहा था और ग्राहकों को मिट्टी के गिलास में चाय भी परोसा जा रहा था। हालांकि मिट्टी के वर्तन में चाय देने की परंपरा नही है। लेकिन आधुनिकता के कारण धीरे-धीरे लुप्त हो गई है और अब दुकान कांच के गिलास या फिर प्लास्टिक के गिलास में चाय को परोसने का काम करते है। वही कुछ ग्राहकों ने बताया कि वे जब भी इस सड़क से गुजरते हैं तो इस तंदूरी स्वादिष्ट चाय पीने के लिए यहां जरूर रुकते हैं। क्योकि इसका स्वाद अन्य चाय से हटकर पीने में लगता है।

वही इस प्रकार के खास चाय को बनाने वाले कारीगर अवधेश झा ने कहा कि इसे बनाने की विधि हमने जैसलमेर में सीखा था। इसे बनाने के लिए पहले थोड़ा सा दूध देकर उसे खुआ बनाते हैं। फिर उसमें दूध, चीनी और चायपत्ती देकर उबलते है। वही उन्होंने कहा कि चूल्हा के ऊपर तथा बर्तन के नीचे एक मिट्टी का कुल्हड़ लगाए रहते हैं जब चाय आधी पक जाती है, तो उसे गर्म कुल्हड़ में डालकर उसका तड़का लगाते है। साथ ही उन्होंने कहा कि जेनरल चाय और इस चाय में काफी अंतर है। इसका स्वाद तो पीने के बाद ही पता चलता है। इसे स्मोक टी भी कहा जाता है।


Conclusion:वही चाय प्रेमी देवेंद्र कुमार ने कहा कि इस चाय की खासियत यह है, इसे बनाने की जो विधि अलग तरह की है। इस चाय को बनाने वाले कारीगर इसे मिट्टी के बर्तन में तड़का लगाते हैं और इसे मिट्टी के गिलास में पीने के लिए देते है। जिससे इसका स्वाद अन्य जगहों की चाय से अलग हो जाता है। चाय इतनी स्वादिष्ट होती है कि हम इसे पीने के लिए सप्ताह में एक दिन 9 किलोमीटर दूरी से आते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मिट्टी की कुल्हड़ में चाय पीने से एक और लोग बीमारी से बचते हैं, तो दूसरी तरफ कुम्हार जाति के लोगों को भी रोजगार के साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षा मिलेगा।

वहीं दुकान मालिक अरमान ने कहा कि पिछले 4 महीने से हम इस दुकान को चला रहे हैं। पर्यावरण और कुम्हारों की खत्म होते रोजगार को देखते हुए हमने इस प्रकार की शुरुआत की है। क्योंकि प्राकृतिक रूप से भी मिट्टी के बर्तन को शुभ माना जाता है और पर्यावरण को भी किसी प्रकार की क्षति नहीं होती है। हमारे यहां मिट्टी के बर्तन में चाय बनाने से लेकर पिलाने के काम मिट्टी के कुल्हड़ में किया जाता है। वहीं उन्होंने कहा कि जितने भी ग्राहक हमारे दुकान पर एक बार चाय पी के जाते हैं। अगर वे इस रास्ते से गुजरते हैं तो वे लोग बिना चाय पिए नहीं जाते हैं।


Byte ---------------
अवधेश झा, कारीगर
देवेंद्र कुमार, चाय प्रेमी
मो अरमान, चाय दुकानदार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.