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लाखों की नौकरी छोड़ तौशीफ कर रहे कोरोना प्रभावित लोगों की सेवा, कबाड़ से बना डाली सेनेटाइजर मशीन

दरभंगा के जाले ब्लॉक में मो. तौशीफ लाखों की नौकरी छोड़ कोरोना की लड़ाई में अपना अहम योगदान दे रहे हैं. तौशीफ ने कबाड़ से सेनेटाइजर मशीन बनाई है, जिसे स्कूल में लगाया गया है.

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Published : May 16, 2020, 12:24 AM IST

दरभंगा: कोरोना महामारी से बचने के लिए हर कोई अपना योगदान दे रहा है. इसी कड़ी में जिले के जाले ब्लॉक के रेवढ़ा गांव के युवा इंजीनियर मो. तौशीफ अपने लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर कोरोना प्रभावित लोगों की सेवा में जुट गए हैं. उन्होंने कबाड़ के सामान से महज 800 रुपये में एक ऑटोमैटिक सेनेटाइजर मशीन बनाई है.

स्कूल में लगाई गई मशीन

इस मशीन को उसी रेवढ़ा मिडिल स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया गया है, जहां से तौशीफ ने प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी. इस मशीन से क्वॉरेंटाइन सेंटर पर रह रहे मजदूरों को काफी राहत मिल रही है. तौशीफ ने ओडिशा के एक कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और कुछ दिनों पहले तक महाराष्ट्र की एक पाइप कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे. कोरोना की एंट्री होते ही वे अपने गांव चले आए और कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के बारे में सोचने लगे.

मशीन बनाने में हुई दिक्कत

वह बताते हैं कि उन्हें ये सेनेटाइजर मशीन बनाने में काफी दिक्कतें आईं, जो सामान उन्हें चाहिए था वह दुकान बंद होने की वजह से नहीं मिला. लेकिन वे निराश नहीं हुए. उन्होंने मशीनों और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के कबाड़ से अपनी जरूरत का सामान निकाल लिया. महज 800 रुपये में ये मशीन बना डाली. अब वे ऐसी और मशीनें बनाकर दूसरे क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पतालों में देना चाहते हैं ताकि कोरोना का मुकाबला किया जा सके.

पढ़ाई में शुरू से तेज थे तौशीफ

तौशीफ ने बताया कि ये मशीन बेहद कम बिजली खर्च करती है. इसे बिजली के अलावा डीसी बैट्री और सोलर प्लेट से भी चलाया जा सकता है. ये मशीन फुल ऑटोमैटिक है. इसके सेंसर खुद-ब-खुद मशीन को जरूरत के अनुसार स्टार्ट और फिर बंद कर सकते हैं. तौशीफ की इस उपलब्धि पर गांव के मो. फहद, मो. तौकीर आलम, मो. सैफ जिशान आदि बेहद खुश हैं. रेवढ़ा मिडिल स्कूल के हेडमास्टर और तौशीफ के बड़े भाई मो. खालिद जौहर ने कहा कि तौशीफ बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे. आज उन्होंने कबाड़ से बेहद काम की और सस्ती सेनेटाइजर मशीन बना कर इस स्कूल के क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया है. इससे प्रवासी मजदूरों को काफी सुविधा हो रही है.

मुखिया ने की सराहना

वहीं, पंचायत के मुखिया मिथिलेश प्रसाद ने कहा कि गांव के बेटे ने इतना बड़ा काम किया है, जिससे गांव, समाज, जिले और देश का नाम रोशन हुआ है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने जिस मेक इन इंडिया और लोकल को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है उसे तौशीफ ने पूरा कर दिखाया है. उन्होंने तौशीफ की सफलता के लिए कामना की.

दरभंगा: कोरोना महामारी से बचने के लिए हर कोई अपना योगदान दे रहा है. इसी कड़ी में जिले के जाले ब्लॉक के रेवढ़ा गांव के युवा इंजीनियर मो. तौशीफ अपने लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर कोरोना प्रभावित लोगों की सेवा में जुट गए हैं. उन्होंने कबाड़ के सामान से महज 800 रुपये में एक ऑटोमैटिक सेनेटाइजर मशीन बनाई है.

स्कूल में लगाई गई मशीन

इस मशीन को उसी रेवढ़ा मिडिल स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया गया है, जहां से तौशीफ ने प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी. इस मशीन से क्वॉरेंटाइन सेंटर पर रह रहे मजदूरों को काफी राहत मिल रही है. तौशीफ ने ओडिशा के एक कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और कुछ दिनों पहले तक महाराष्ट्र की एक पाइप कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे. कोरोना की एंट्री होते ही वे अपने गांव चले आए और कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के बारे में सोचने लगे.

मशीन बनाने में हुई दिक्कत

वह बताते हैं कि उन्हें ये सेनेटाइजर मशीन बनाने में काफी दिक्कतें आईं, जो सामान उन्हें चाहिए था वह दुकान बंद होने की वजह से नहीं मिला. लेकिन वे निराश नहीं हुए. उन्होंने मशीनों और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के कबाड़ से अपनी जरूरत का सामान निकाल लिया. महज 800 रुपये में ये मशीन बना डाली. अब वे ऐसी और मशीनें बनाकर दूसरे क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पतालों में देना चाहते हैं ताकि कोरोना का मुकाबला किया जा सके.

पढ़ाई में शुरू से तेज थे तौशीफ

तौशीफ ने बताया कि ये मशीन बेहद कम बिजली खर्च करती है. इसे बिजली के अलावा डीसी बैट्री और सोलर प्लेट से भी चलाया जा सकता है. ये मशीन फुल ऑटोमैटिक है. इसके सेंसर खुद-ब-खुद मशीन को जरूरत के अनुसार स्टार्ट और फिर बंद कर सकते हैं. तौशीफ की इस उपलब्धि पर गांव के मो. फहद, मो. तौकीर आलम, मो. सैफ जिशान आदि बेहद खुश हैं. रेवढ़ा मिडिल स्कूल के हेडमास्टर और तौशीफ के बड़े भाई मो. खालिद जौहर ने कहा कि तौशीफ बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे. आज उन्होंने कबाड़ से बेहद काम की और सस्ती सेनेटाइजर मशीन बना कर इस स्कूल के क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया है. इससे प्रवासी मजदूरों को काफी सुविधा हो रही है.

मुखिया ने की सराहना

वहीं, पंचायत के मुखिया मिथिलेश प्रसाद ने कहा कि गांव के बेटे ने इतना बड़ा काम किया है, जिससे गांव, समाज, जिले और देश का नाम रोशन हुआ है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने जिस मेक इन इंडिया और लोकल को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है उसे तौशीफ ने पूरा कर दिखाया है. उन्होंने तौशीफ की सफलता के लिए कामना की.

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