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दरभंगा: डॉ.जगन्नाथ मिश्र का पार्थिव शरीर पहुंचा दरभंगा, लोगों ने नम आंखों से दी विदाई - Mithilanchal news

जगन्नाथ मिश्र ने संस्कृत विवि सहित कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मियों को यूजीसी स्केल के तहत वेतन भुगतान की व्यवस्था करवाई. उन्हीं के प्रयास से उर्दू बिहार की द्वितीय राजभाषा बनी.

अंतिम दर्शन करते लोग
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Published : Aug 21, 2019, 3:30 PM IST

दरभंगा: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर है. बुधवार को उनका पार्थिव शरीर दरभंगा पहुंचा. अंतिम दर्शन करने आए लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र के निधन से राज्य में शोक का माहौल है. उनका पार्थिव शरीर बुधवार को दरभंगा पहुंचा. श्री मिश्र के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस अवसर पर जिले के विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया.
'बिहार के बड़े नेता थे जगन्नाथ मिश्र'
राजनीति में कुछ गिने-चुने ही सियासतदां होते हैं जिनकी याद लोगों को उनके गुजर जाने के बाद भी आती रहती है. डॉ. जगन्नाथ मिश्र उसी तरह के शख्सियत थे. वे बिहार की राजनीति के कद्दावर चेहरा थे. मिथिलांचल में कई विकास कार्यों की बुनियाद उन्होंने ही रखी थी. अपनी रचनात्मक सोच के कारण एक राजनेता के रूप में वे काफी लोकप्रिय रहे.
शिक्षा के क्षेत्र में उनका कार्य स्मरणीय
डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना में बड़ा योगदान दिया. उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को राज्य सरकार ने अंगीभूत किया. उन्होंने 1981 में 31 संस्कृत कॉलेजों का सरकारीकरण किया. लगभग एक दर्जन से अधिक वित्त रहित कॉलेजों को वित्त सहित किया. उन्होंने संस्कृत विवि सहित कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मियों को यूजीसी स्केल के तहत वेतन भुगतान की व्यवस्था करवाई. उन्हीं के प्रयास से उर्दू बिहार की द्वितीय राजभाषा बनी.
स्थानीय सांसद ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि डॉ.जगन्नाथ मिश्र जी का निधन मिथिला के लिए बहुत बड़ी क्षति है. उनका मिथिला के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है. जिसको लेकर यहां के लोग उन्हें भुला नहीं सकते है. डॉ. मिश्र के पुत्र नितीश मिश्रा ने कहा श्री मिश्र 20 वर्षों से राजनीति में सक्रिय नहीं रहे. फिर भी जगह-जगह लोगों का स्नेह देखने को मिल रहा है. इस सम्मान के लिए मेरे पास ज्यादा शब्द नहीं हैं.

दरभंगा: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर है. बुधवार को उनका पार्थिव शरीर दरभंगा पहुंचा. अंतिम दर्शन करने आए लोगों ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.

राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्र के निधन से राज्य में शोक का माहौल है. उनका पार्थिव शरीर बुधवार को दरभंगा पहुंचा. श्री मिश्र के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस अवसर पर जिले के विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया.
'बिहार के बड़े नेता थे जगन्नाथ मिश्र'
राजनीति में कुछ गिने-चुने ही सियासतदां होते हैं जिनकी याद लोगों को उनके गुजर जाने के बाद भी आती रहती है. डॉ. जगन्नाथ मिश्र उसी तरह के शख्सियत थे. वे बिहार की राजनीति के कद्दावर चेहरा थे. मिथिलांचल में कई विकास कार्यों की बुनियाद उन्होंने ही रखी थी. अपनी रचनात्मक सोच के कारण एक राजनेता के रूप में वे काफी लोकप्रिय रहे.
शिक्षा के क्षेत्र में उनका कार्य स्मरणीय
डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना में बड़ा योगदान दिया. उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को राज्य सरकार ने अंगीभूत किया. उन्होंने 1981 में 31 संस्कृत कॉलेजों का सरकारीकरण किया. लगभग एक दर्जन से अधिक वित्त रहित कॉलेजों को वित्त सहित किया. उन्होंने संस्कृत विवि सहित कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मियों को यूजीसी स्केल के तहत वेतन भुगतान की व्यवस्था करवाई. उन्हीं के प्रयास से उर्दू बिहार की द्वितीय राजभाषा बनी.
स्थानीय सांसद ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा कि डॉ.जगन्नाथ मिश्र जी का निधन मिथिला के लिए बहुत बड़ी क्षति है. उनका मिथिला के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है. जिसको लेकर यहां के लोग उन्हें भुला नहीं सकते है. डॉ. मिश्र के पुत्र नितीश मिश्रा ने कहा श्री मिश्र 20 वर्षों से राजनीति में सक्रिय नहीं रहे. फिर भी जगह-जगह लोगों का स्नेह देखने को मिल रहा है. इस सम्मान के लिए मेरे पास ज्यादा शब्द नहीं हैं.

Intro:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के निधन से पुरे बिहार में शोक का लहर है, वही जब आज इनका पार्थिक शरीर दरभंगा पहुंचा, तो लोगो ने दो मिनट का मौन धारण कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए, उनकी यादो में जब तक सूरज चाँद डॉ. जगन्नाथ मिश्र तेरा नाम रहेगा, जगन्नाथ मिश्र अमर रहे नारो के साथ पूरा इलाका गुंजायमान हो गया। इस अवसर पर जिला के विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त करते हुए कहा की बिहार के साथ- साथ देश की राजनीति में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है। उनके निधन से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीतिक, सामाजिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपूर्णीय क्षति हुई है। वही राज्य सरकार ने इनके निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर रखा है। आज दिन के लगभग 3 बजे उनके पैतृक गांव सुपौल जिला के बलुआ में राजकीय संम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा। Body:दरअसल राजनीति में कुछ गिने-चुने ही शख्सियत होते हैं जिनकी याद लोगों को उनके गुजर जाने के बाद भी आते रहती है। उसी शख्सियत में एक थे डॉ. जगन्नाथ मिश्र। वे एक कद्दावर नेता थे, मिथिलांचल में कई विकास कार्य की बुनियाद उन्होंने ही रखी थी। अपनी रचनात्मक सोच एवं सकारात्मक छवि के कारण एक राजनेता के रूप में वे काफी लोकप्रिय रहे। मिथिला के विकास को लेकर वे सदैव प्रयत्नशील रहे। डॉ. जगन्नाथ मिश्र ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय व इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना में इनका बड़ा योगदान रहा। 1976 में जब वे मुख्यमंत्री थे तो उसी दौरान पूरे देश में कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का पहला संस्कृत विश्वविद्यालय था जिसका राज्य सरकार ने अंगीभूत किया। यही नहीं उन्होंने 1981 में 31 संस्कृत कॉलेजों का सरकारीकरण एवं एक दर्जन से अधिक वित्त रहित कॉलेजों को वित्त सहित किया। संस्कृत विवि सहित कॉलेजों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों को उन्होंने ही यूजीसी स्केल के तहत वेतन भुगतान की व्यवस्था करवाई। उर्दू को बिहार की द्वितीय राजभाषा बनाना एवं मिथिला विश्वविद्यालय को ललित नारायण मिश्र के नाम से अलंकृत करना शामिल है।
Conclusion:वही मौके पर पहुंचे दरभंगा के भाजपा सांसद गोपालजी ठाकुर ने कहा की डॉ. जगन्नाथ मिश्र जी का निधन मिथिला के लिए बहुत बड़ी क्षति है। जिसको हमलोग चाह कर भी पूरा नहीं कर सकते है। डॉ. जगन्नाथ मिश्र का मिथिला के विकास के बहुत बड़ा योगदान रहा है, जिसको लेकर यहां के लोग उन्हें भुला नहीं सकते है । वही डॉ. जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नितीश मिश्रा ने कहा की आप लोग देख ही रहे है की जो व्यक्ति 20 वर्षो से राजनीती में सक्रिय रूप से नहीं रहा हो, फिर भी जगह जगह लोगो का स्नेह देखने को मिल रहा है। जो सम्मान उनके प्रति देख रहे है, इसके लिए मेरे पास ज्यादा शब्द नहीं है मै क्या कहू।

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नितीश मिश्रा, पुत्र
गोपाल जी ठाकुर, भाजपा सांसद दरभंगा
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