दरभंगा: जिले की दरभंगा गोशाला आज बदहाल हालत में है. गोशाला में कभी दूध-दही की नदियां बहा करती थी. लेकिन आज यहां रहने वाले गाय, बैल और बछड़ों को खाने पर भी आफत है. यहां के स्थानीय निशांत कुमार चौधरी ने कहा कि दरभंगा गोशाला स्थायी संपत्ति मामले में बिहार की सबसे धनी गोशाला है. लेकिन आज यहां रहने वाले गोवंशों को खाने को भूसा भी नसीब नहीं हो रहा है. वे सरकार से दरभंगा गोशाला की बदहाली दूर करने की मांग करेंगे.
''भाजपा की सरकार में गोवंश की रक्षा का एजेंडा शामिल है. इसके बावजूद दरभंगा गोशाला की इतनी खराब स्थिति है. इसके लिए दोषी न सिर्फ गोशाला कमेटी के लोग हैं, बल्कि सरकार और जनप्रतिनिधि भी दोषी हैं''- निशांत कुमार चौधरी, स्थानीय
गोवंशों को भूसा भी नसीब नहीं
आज गोशाला में महज 5-6 गाय ही दुधारू हैं. जबकि इस गोशाला पर 74 गोवंश के भोजन और देखभाल की जवाबदेही है. स्थानीय निशांत कुमार चौधरी ने कहा कि इस गोशाला में कभी दूध-दही की नदियां बहा करती थी, लेकिन आज यहां रहने वाले गोवंशों को खाने को भूसा भी नसीब नहीं हो रहा है.
सबसे धनी गोशाला आज बदहाल
वहीं, दरभंगा गोशाला सोसाइटी के सचिव पवन सूरेका ने कहा कि दरभंगा गोशाला की स्थापना दरभंगा राज की ओर से वर्ष 1835 में हुई थी. एक समय यह बिहार में पहले नंबर पर आती थी. दरभंगा राज की ओर से इसे काफी संपत्ति दान दी गई थी. इसके पास करीब 45 बीघा जमीन है. जिसमें से करीब 20 बीघा जमीन अतिक्रमण की शिकार है, जिसे खाली नहीं कराया जा सका है.
''कुछ व्यवसायी प्रतिमाह 600 रुपये गो ग्रास के रूप में देते हैं उसी से यहां के कर्मियों और गोवंश का खर्च चलता है. गोवंश को पौष्टिक भोजन नहीं दे पाते, बल्कि किसी तरह उनके खाने की व्यवस्था भर कर पाते हैं''- पवन सुरेका, सचिव, दरभंगा गोशाला सोसाइटी
'गोशाला संचालन समाज की जिम्मेवारी'
गोशाला को सरकार की मदद की मांग पर बोलते हुए बिहार सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गोशाला के संचालन की जिम्मेवारी समाज की होती है. सरकार तो मदद करेगी लेकिन समाज के लोगों की भी जवाबदेही है.
''सरकार देखना चाहती है कि समाज के लोग दरभंगा गोशाला के लिए क्या करते हैं. जितना दरभंगा का समाज गोशाला के लिए करेगा सरकार उसका चार गुना करने के लिए सरकार तैयार है''- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद
गोशाला के पास बेशकीमती जमीन
आज भी स्थायी संपत्ति के मामले में दरभंगा गोशाला देश की सबसे धनी गोशालाओं में शुमार है. लेकिन आज यहां गोवंश को खिलाने के लिए भी धन का अभाव है. इस गोशाला के पास बेशकीमती जमीन हैं, जिन पर दुकानें बनी हैं. लेकिन उन दुकानों से आमदनी महज डेढ़ से दो हजार प्रति दुकान ही होती है.