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दरभंगा: भाकपा(माले) ने BJP की वर्चुअल रैली के खिलाफ किया प्रदर्शन - दरभंगा में बीजेपी के वर्चुअल रैली के खिलाफ धरना

दरभंगा में भाकपा(माले) ने बीजेपी की वर्चुअल रैली के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से राहत कार्य को तेज करने की मांग की.

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Published : Jun 7, 2020, 6:05 PM IST

दरभंगा: जिले के बहादुरपुर में वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर रविवार को भाकपा(माले) ने बहादुरपुर प्रखंड के कई जगहों पर भाजपा की वर्चुअल रैली (आभाषी रैली) के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर धिक्कार और विश्वासघात दिवस मनाया गया.

कई कार्यकर्ता हुए शामिल
प्रतिवाद मार्च में कई कार्यकर्ता शामिल हुए. धरना को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में केंद्र की मोदी और बिहार की भाजपा-जदयू सरकार ने देश की आम जनता को बीच मझधार में छोड़ दिया है. शुरुआती लापरवाही और बिना किसी पूर्व प्लानिंग के लागू लॉकडाउन कोरोना महामारी को रोकने में असफल साबित हुआ. अब जब बीमारी का तेजी से फैलाव हो रहा है, तो सरकार ने अनलॉक करना शुरू कर दिया है. जो काफी खतरनाक है.

मौत का सिलसिला जारी
नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन में राहत के लिए जो भारी भरकम 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई थी, वह वास्तव में आभासी साबित हुआ है. सच यह है कि यह देशी-विदेशी बड़े पूंजीपति घरानों का पैकेज है. उससे मजदूर-किसानों को कुछ नहीं मिला है. यह पैकेज धोखा साबित हुआ है. बिहार विकास के ढोल की पोल भी खुल गयी है. शिक्षा और रोजगार के लिए बिहार के मजदूर, नौजवान और छात्र सबसे ज्यादा पलायन करते हैं. इस लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. सैकड़ों लोग इस त्रास्दी में जान गंवा चुके हैं. अभी भी क्वॉरंटीन सेंटरों में मौत का सिलसिला जारी है.

रोजगार की नहीं की गई व्यवस्था
धरना दे रहे नेताओं ने कहा कि दूसरे राज्यों से आनेवाले मजदूरों का ना तो सही से चेकअप किया जा रहा है और ना ही इलाज की व्यवस्था है. खाने, पीने और ठहरने की व्यवस्था जानवरों से बदतर है. अब तो सरकार बिल्कुल ही अपनी जवाबदेही से भाग खड़ी हुई है. क्वॉरंटीन सेंटर की व्यवस्था को खत्म कर गरीबों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है. रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है. भुखमरी का आलम है. गैर कार्डधारी गरीब परिवारों को जीविका के माध्यम के राशन कार्ड बनाकर राशन देने की योजना भी धोखा साबित हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जब पूरा बिहार और हमारा देश भयंकर त्रासदी के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में चुनावी रैली का आयोजन देश और जनता के साथ गंभीर अपराध है.

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प्रदर्शन करते भाकपा(माले) के कार्यकर्ता

धरना दे रहे नेताओं ने सरकार से मांग की है कि अभी के दौर में रैली का आयोजन बंद कर राहत कार्य को तेज किया जाये. साथ ही निम्नलिखित मांग को पूरा किया जाए

  • आयकर रिटर्न दाखिल करनेवाले परिवारों को छोड़कर सभी परिवारों को 6 महीने तक 7500 रुपये प्रति महीना दिया जाये.
  • प्रति व्यक्ति प्रति माह 6 महीने तक 10 किलो राशन दिया जाए.
  • किसानों के केसीसी सहित सभी तरह के कर्ज और स्वयं सहायता समूह के सभी कर्जो को माफ किया जाए. सभी प्रकार के फसलों के खरीद की गारंटी दी जाए.
  • भूख, प्यास, कोरोना, क्वारंटाइन, दुर्घटना आदि से मृत सभी प्रवासी मजदूरों-गरीबों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए.
  • मनरेगा में सभी मजदूरों को 200 दिन काम और बढ़ी हुई दर पर मजदूरी का भुगतान किया जाए.
  • गरीब परिवार के छात्रों के लिए भी डिजिटल पढ़ाई की व्यवस्था की जाए.
  • बाहर में फंसे सभी मजदूरों के घर वापसी के लिए परिवहन, खाना और पानी की मुफ्त व्यवस्था की जाए.
  • लॉक डाउन जबतक जारी है, तब तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्वॉरंटीन की सरकारी व्यवस्था जारी रखा जाए. खाने-पीने और ठहराव की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो. सबकी नियमित स्वास्थ्य जांच और इलाज की गारंटी दी जाए.

दरभंगा: जिले के बहादुरपुर में वामपंथी पार्टियों के देशव्यापी आह्वान पर रविवार को भाकपा(माले) ने बहादुरपुर प्रखंड के कई जगहों पर भाजपा की वर्चुअल रैली (आभाषी रैली) के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर धिक्कार और विश्वासघात दिवस मनाया गया.

कई कार्यकर्ता हुए शामिल
प्रतिवाद मार्च में कई कार्यकर्ता शामिल हुए. धरना को संबोधित करते हुए माले नेताओं ने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में केंद्र की मोदी और बिहार की भाजपा-जदयू सरकार ने देश की आम जनता को बीच मझधार में छोड़ दिया है. शुरुआती लापरवाही और बिना किसी पूर्व प्लानिंग के लागू लॉकडाउन कोरोना महामारी को रोकने में असफल साबित हुआ. अब जब बीमारी का तेजी से फैलाव हो रहा है, तो सरकार ने अनलॉक करना शुरू कर दिया है. जो काफी खतरनाक है.

मौत का सिलसिला जारी
नेताओं ने कहा कि लॉकडाउन में राहत के लिए जो भारी भरकम 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की गई थी, वह वास्तव में आभासी साबित हुआ है. सच यह है कि यह देशी-विदेशी बड़े पूंजीपति घरानों का पैकेज है. उससे मजदूर-किसानों को कुछ नहीं मिला है. यह पैकेज धोखा साबित हुआ है. बिहार विकास के ढोल की पोल भी खुल गयी है. शिक्षा और रोजगार के लिए बिहार के मजदूर, नौजवान और छात्र सबसे ज्यादा पलायन करते हैं. इस लॉकडाउन ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से तबाह कर दिया है. सैकड़ों लोग इस त्रास्दी में जान गंवा चुके हैं. अभी भी क्वॉरंटीन सेंटरों में मौत का सिलसिला जारी है.

रोजगार की नहीं की गई व्यवस्था
धरना दे रहे नेताओं ने कहा कि दूसरे राज्यों से आनेवाले मजदूरों का ना तो सही से चेकअप किया जा रहा है और ना ही इलाज की व्यवस्था है. खाने, पीने और ठहरने की व्यवस्था जानवरों से बदतर है. अब तो सरकार बिल्कुल ही अपनी जवाबदेही से भाग खड़ी हुई है. क्वॉरंटीन सेंटर की व्यवस्था को खत्म कर गरीबों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है. रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है. भुखमरी का आलम है. गैर कार्डधारी गरीब परिवारों को जीविका के माध्यम के राशन कार्ड बनाकर राशन देने की योजना भी धोखा साबित हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जब पूरा बिहार और हमारा देश भयंकर त्रासदी के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में चुनावी रैली का आयोजन देश और जनता के साथ गंभीर अपराध है.

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प्रदर्शन करते भाकपा(माले) के कार्यकर्ता

धरना दे रहे नेताओं ने सरकार से मांग की है कि अभी के दौर में रैली का आयोजन बंद कर राहत कार्य को तेज किया जाये. साथ ही निम्नलिखित मांग को पूरा किया जाए

  • आयकर रिटर्न दाखिल करनेवाले परिवारों को छोड़कर सभी परिवारों को 6 महीने तक 7500 रुपये प्रति महीना दिया जाये.
  • प्रति व्यक्ति प्रति माह 6 महीने तक 10 किलो राशन दिया जाए.
  • किसानों के केसीसी सहित सभी तरह के कर्ज और स्वयं सहायता समूह के सभी कर्जो को माफ किया जाए. सभी प्रकार के फसलों के खरीद की गारंटी दी जाए.
  • भूख, प्यास, कोरोना, क्वारंटाइन, दुर्घटना आदि से मृत सभी प्रवासी मजदूरों-गरीबों के परिजनों को 20-20 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए.
  • मनरेगा में सभी मजदूरों को 200 दिन काम और बढ़ी हुई दर पर मजदूरी का भुगतान किया जाए.
  • गरीब परिवार के छात्रों के लिए भी डिजिटल पढ़ाई की व्यवस्था की जाए.
  • बाहर में फंसे सभी मजदूरों के घर वापसी के लिए परिवहन, खाना और पानी की मुफ्त व्यवस्था की जाए.
  • लॉक डाउन जबतक जारी है, तब तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्वॉरंटीन की सरकारी व्यवस्था जारी रखा जाए. खाने-पीने और ठहराव की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो. सबकी नियमित स्वास्थ्य जांच और इलाज की गारंटी दी जाए.

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