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दरभंगा में अंबानी सेतु पुल : ऐसा नहीं करने पर यहां लगता है 500₹ जुर्माना

Darbhanga News बिहार के दरभंगा जिले के एक गांव में ग्रामीणों ने कोसी नदी पर पुल बनाया है. आसपास के कई गांवों के लोगों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है. वैसे तो यह चचरी पुल है और कोसी नदी के विकराल रूप लेते ही इसका वजूद मिट जाएगा. हालांकि, ग्रामीणों पुल का नाम अंबानी सेतु रखा है, जिस वजह से चर्चा का विषय बना हुआ है. पढ़ें पूरी खबर

दरभंगा में अंबानी सेतु पुल
दरभंगा में अंबानी सेतु पुल
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Published : Jan 7, 2023, 5:05 PM IST

Updated : Jan 7, 2023, 6:04 PM IST

दरभंगा में 'अंबानी सेतु पुल' पार करते स्थानीय.

दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले में कोसी नदी पर बने इस चचरी पुल (Chachari Bridge in Darbhanga) का नाम देखकर शायद आप चौंक जाएंगे. जी हां! इस पुल का नाम 'अंबानी सेतु' (Chachari Bridge named after ambani) है. इसे गांव के लोगों ने अपने खर्चे से बनाया है. इससे लिए ग्रामीणों ने सरकार की मदद नहीं ली है. लेकिन आप सोच रहे है कि आखिर इस पुल का नाम अंबानी सेतु पुल क्यों? आइये जानते है.

ये भी पढ़ें: बिहार के इस गांव में चचरी पुल पर लगता है टोल टैक्स.. 15 गांवों के लिए बना लाइफ लाइन

दरभंगा के किरतपुर में अंबानी सेतु पुल : दरअसल, यह नीतीश बाबू की सुशासन का एक और सच है. या यूं कह ले कि इस पुल को बनाकर ग्रामीणों ने सिस्टम और सरकार पर तंज कसा है. इसलिए ग्रामीणों ने किरतपुर के इस चचरी पुल का नाम भी कारोबारी मुकेश अंबानी (industrialist mukesh ambani) के नाम पर 'अंबानी सेतु' रखा है. ग्रामीणों ने सोचा कि शायद किरतपुर गांव में पुल (Kiratpur Ambani Setu) का नाम अंबानी सेतु रखने से सिस्टम और सरकार के कानों में यह खबर पहुंच जाय.

ऐसा नहीं करने पर लगता है 500₹ जुर्माना : यह पुल बिहार के दरभंगा जिले के तितरपुर गांव में बनाया गया है. हालांकि कोसी नदी पर पुल बनाना आसान नहीं था. लेकिन जब सरकार और सिस्टम तक आवाज नहीं पहुंची तो करीब 6 लाख चंदा जुटाकर ग्रामीणों ने चचरी पुल का निर्माण किया. आज चचरी पुल पर लोग पैदल या फिर मवेशी लेकर कोसी नदी को पार कर रहे है. ग्रामीणों पुल की शुरुआत में एक पोस्टर भी लगाया है जिसपर लिखा है कि, ''गाड़ी से उतरकर पैदल पुल पार करें, उतरकर नहीं जाने पर 500 रुपया जुर्माना लगेगा.''

''कोसी नदी के पार बड़ी आबादी के आवागमन की सुविधा नाव के अलावा दूसरा कुछ भी नहीं है. पहले नाव का सहारा था लेकिन रात में नाव की सवारी भी नहीं मिलती है. इस चचरी पुल निर्माण से कोसी तटबंध के बाहर एवं अंदर के हजारों आम लोगों को फायदा पहुंचेगा. हम लोगों के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है. अगर घर में कोई बीमार हो गया. कुछ और हादसा हो गया. तो अस्पताल कैसे जाएंगे. इसलिए चचरी पुल ही एक सहारा है.'' - ग्रामीण, किरतपुर गांव, दरभंगा

ग्रामीणों ने अपने खर्चे से बनाया 'अंबानी सेतु' : हालांकि ग्रामीणों की मुश्किल इस पुल के बनने के बाद भी खत्म नहीं होगी. क्योंकी कोसी नदी जब भी विकराल रूप लेगी तो चचरी पुल को अपने साथ बहा ले जाएगी. लेकिन आज कोसी नदी पर बना ये चचरी पुल इन ग्रामीणों का बड़ा सहारा है. किरतपुर गांव के लोगों ने 2000 बांस से 250 फीट लंबा चचरी का पुल बनाया है.

''कोसी नदी के उस पार हम लोगों के खेत है. एक तो इस पार से उस पार जाने में सुविधा होती है. इससे कही आजा जाना आसान हो गया है. हम लोगों का गांव आसपास के चार जिलों से जुड़ा हुआ है. ये पुल ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा. क्योंकी कोसी का जलस्तर बढ़ने से पुल पानी में चला जाएगा. लेकिन हम लोगों ने चंद महीनों की खातिर इस चचरी के पुल का निर्माण कराया.'' - ग्रामीण, किरतपुर गांव

वोट जरूरी पुल नहीं! : बता दें कि दरभंगा जिले का किरतपुर गांव गौराबौराम विधानसभा में आता है. यहां से स्वर्णा सिंह वीआईपी पार्टी से चुनाव लड़ी थी, हालांकि बाद में बीजेपी में शामिल हो गई. इससे पहले यह सीट मदन सहनी (जेडीयू) के पास थी. लेकिन इलाके की तस्वीर नहीं बदली. इलाके के लोग सरकार और जनप्रतिनिधि के झूठे वायदे के सहारे जीने को मजबूर हैं. फिलहाल, अंबानी सेतु पुल ने कुछ महीनों के लिए ही सही इलाके के लोगों के जीवन को आसान जरूर बना दिया है.

दरभंगा में 'अंबानी सेतु पुल' पार करते स्थानीय.

दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले में कोसी नदी पर बने इस चचरी पुल (Chachari Bridge in Darbhanga) का नाम देखकर शायद आप चौंक जाएंगे. जी हां! इस पुल का नाम 'अंबानी सेतु' (Chachari Bridge named after ambani) है. इसे गांव के लोगों ने अपने खर्चे से बनाया है. इससे लिए ग्रामीणों ने सरकार की मदद नहीं ली है. लेकिन आप सोच रहे है कि आखिर इस पुल का नाम अंबानी सेतु पुल क्यों? आइये जानते है.

ये भी पढ़ें: बिहार के इस गांव में चचरी पुल पर लगता है टोल टैक्स.. 15 गांवों के लिए बना लाइफ लाइन

दरभंगा के किरतपुर में अंबानी सेतु पुल : दरअसल, यह नीतीश बाबू की सुशासन का एक और सच है. या यूं कह ले कि इस पुल को बनाकर ग्रामीणों ने सिस्टम और सरकार पर तंज कसा है. इसलिए ग्रामीणों ने किरतपुर के इस चचरी पुल का नाम भी कारोबारी मुकेश अंबानी (industrialist mukesh ambani) के नाम पर 'अंबानी सेतु' रखा है. ग्रामीणों ने सोचा कि शायद किरतपुर गांव में पुल (Kiratpur Ambani Setu) का नाम अंबानी सेतु रखने से सिस्टम और सरकार के कानों में यह खबर पहुंच जाय.

ऐसा नहीं करने पर लगता है 500₹ जुर्माना : यह पुल बिहार के दरभंगा जिले के तितरपुर गांव में बनाया गया है. हालांकि कोसी नदी पर पुल बनाना आसान नहीं था. लेकिन जब सरकार और सिस्टम तक आवाज नहीं पहुंची तो करीब 6 लाख चंदा जुटाकर ग्रामीणों ने चचरी पुल का निर्माण किया. आज चचरी पुल पर लोग पैदल या फिर मवेशी लेकर कोसी नदी को पार कर रहे है. ग्रामीणों पुल की शुरुआत में एक पोस्टर भी लगाया है जिसपर लिखा है कि, ''गाड़ी से उतरकर पैदल पुल पार करें, उतरकर नहीं जाने पर 500 रुपया जुर्माना लगेगा.''

''कोसी नदी के पार बड़ी आबादी के आवागमन की सुविधा नाव के अलावा दूसरा कुछ भी नहीं है. पहले नाव का सहारा था लेकिन रात में नाव की सवारी भी नहीं मिलती है. इस चचरी पुल निर्माण से कोसी तटबंध के बाहर एवं अंदर के हजारों आम लोगों को फायदा पहुंचेगा. हम लोगों के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है. अगर घर में कोई बीमार हो गया. कुछ और हादसा हो गया. तो अस्पताल कैसे जाएंगे. इसलिए चचरी पुल ही एक सहारा है.'' - ग्रामीण, किरतपुर गांव, दरभंगा

ग्रामीणों ने अपने खर्चे से बनाया 'अंबानी सेतु' : हालांकि ग्रामीणों की मुश्किल इस पुल के बनने के बाद भी खत्म नहीं होगी. क्योंकी कोसी नदी जब भी विकराल रूप लेगी तो चचरी पुल को अपने साथ बहा ले जाएगी. लेकिन आज कोसी नदी पर बना ये चचरी पुल इन ग्रामीणों का बड़ा सहारा है. किरतपुर गांव के लोगों ने 2000 बांस से 250 फीट लंबा चचरी का पुल बनाया है.

''कोसी नदी के उस पार हम लोगों के खेत है. एक तो इस पार से उस पार जाने में सुविधा होती है. इससे कही आजा जाना आसान हो गया है. हम लोगों का गांव आसपास के चार जिलों से जुड़ा हुआ है. ये पुल ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा. क्योंकी कोसी का जलस्तर बढ़ने से पुल पानी में चला जाएगा. लेकिन हम लोगों ने चंद महीनों की खातिर इस चचरी के पुल का निर्माण कराया.'' - ग्रामीण, किरतपुर गांव

वोट जरूरी पुल नहीं! : बता दें कि दरभंगा जिले का किरतपुर गांव गौराबौराम विधानसभा में आता है. यहां से स्वर्णा सिंह वीआईपी पार्टी से चुनाव लड़ी थी, हालांकि बाद में बीजेपी में शामिल हो गई. इससे पहले यह सीट मदन सहनी (जेडीयू) के पास थी. लेकिन इलाके की तस्वीर नहीं बदली. इलाके के लोग सरकार और जनप्रतिनिधि के झूठे वायदे के सहारे जीने को मजबूर हैं. फिलहाल, अंबानी सेतु पुल ने कुछ महीनों के लिए ही सही इलाके के लोगों के जीवन को आसान जरूर बना दिया है.

Last Updated : Jan 7, 2023, 6:04 PM IST
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