ETV Bharat / state

दरभंगा: नाव के सहारे की कट रही है इस गांव के लोगों की जिंदगी, पुल नहीं होने से आक्रोश

दरभंगा में स्थित विलासपुर पंचायत के कई गांव आज भी नदी पार कर शहर जाते हैं. गांव वाले नाव से ही वोट देने भी जाते हैं.

नाव से नदी पार करते ग्रामीण
author img

By

Published : Apr 24, 2019, 2:05 PM IST

Updated : Apr 24, 2019, 3:16 PM IST

दरभंगा: लोकसभा चुनाव के इस माहौल में राजनीतिक दिग्गज विकास को लेकर दावे तो बड़े-बड़े करते हैं. लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही देखने को मिलती है. जिले में स्थित एक पंचायत के कई गांव आज भी नाव से नदी पार कर शहर जाते हैं. गांव वाले नाव से ही वोट देने भी जाते हैं. नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीण खासे नाराज हैं.

मामला जिले के हायाघाट प्रखंड की सिरिनिया और विलासपुर पंचायत का है. इस पंचायत में रह रहे हजारों लोगों की ज़िंदगी नाव पर ही चल रही है. ये गांव समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में आता है. यहां 29 अप्रैल को चुनाव है. इस पंचायत में दो हज़ार से ज्यादा मतदाता हैं. सभी अपनी जान पर खेल कर 29 अप्रैल को वोट देने जाएंगे. इस समस्या को लेकर ग्रामीणों में अपने प्रतिनिधि के प्रति रोष व्याप्त है.

स्कूली बच्चे और मरीजों को होती है परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2001 की बाढ़ में अधवारा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया. इसके पहले यहां सुगम रास्ता था. लेकिन अब रास्ते पर नदी बहने लगी है. नदी के अलावा दूसरे रास्ते से जाने में 25 से 30 किमी ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. बच्चों को स्कूल जाने और किसी बीमार को इलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ग्रामीण और लोजपा नेता आरके चौधरी का बयान

नाव से ही वोट देने जाते हैं ग्रामीण

इसके साथ ही नाव चलाने वाले नाविक मो. अशरफ का कहना है कि मतदान के दिन 24 घंटे नाव लेकर तैयार रहना पड़ता है. कर्मियों और दो हजार वोटरों को ले जाने और वापस लाने की जिम्मेवारी रहती है. यहां कोई सरकारी नाव नहीं है. ग्रामीणों के आपसी चंदा से नाव चलाते हैं. वहीं, लोजपा के प्रदेश महासचिव आरके चौधरी ने कहा कि सांसद महोदय ने यहां के लोगों के लिए पुल बनाने की पहल की है. पुल जल्द ही बन जायेगा.

दरभंगा: लोकसभा चुनाव के इस माहौल में राजनीतिक दिग्गज विकास को लेकर दावे तो बड़े-बड़े करते हैं. लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही देखने को मिलती है. जिले में स्थित एक पंचायत के कई गांव आज भी नाव से नदी पार कर शहर जाते हैं. गांव वाले नाव से ही वोट देने भी जाते हैं. नदी पर पुल नहीं होने से ग्रामीण खासे नाराज हैं.

मामला जिले के हायाघाट प्रखंड की सिरिनिया और विलासपुर पंचायत का है. इस पंचायत में रह रहे हजारों लोगों की ज़िंदगी नाव पर ही चल रही है. ये गांव समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में आता है. यहां 29 अप्रैल को चुनाव है. इस पंचायत में दो हज़ार से ज्यादा मतदाता हैं. सभी अपनी जान पर खेल कर 29 अप्रैल को वोट देने जाएंगे. इस समस्या को लेकर ग्रामीणों में अपने प्रतिनिधि के प्रति रोष व्याप्त है.

स्कूली बच्चे और मरीजों को होती है परेशानी

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2001 की बाढ़ में अधवारा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया. इसके पहले यहां सुगम रास्ता था. लेकिन अब रास्ते पर नदी बहने लगी है. नदी के अलावा दूसरे रास्ते से जाने में 25 से 30 किमी ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है. बच्चों को स्कूल जाने और किसी बीमार को इलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ग्रामीण और लोजपा नेता आरके चौधरी का बयान

नाव से ही वोट देने जाते हैं ग्रामीण

इसके साथ ही नाव चलाने वाले नाविक मो. अशरफ का कहना है कि मतदान के दिन 24 घंटे नाव लेकर तैयार रहना पड़ता है. कर्मियों और दो हजार वोटरों को ले जाने और वापस लाने की जिम्मेवारी रहती है. यहां कोई सरकारी नाव नहीं है. ग्रामीणों के आपसी चंदा से नाव चलाते हैं. वहीं, लोजपा के प्रदेश महासचिव आरके चौधरी ने कहा कि सांसद महोदय ने यहां के लोगों के लिए पुल बनाने की पहल की है. पुल जल्द ही बन जायेगा.

Intro:दरभंगा। हायाघाट प्रखंड की सिरिनिया और विलासपुर पंचायत के कई गांवों की हज़ारों की आबादी की ज़िंदगी नाव पर चलती है। इतना ही नहीं, दो हज़ार से ज़्यादा मतदाता 29 अप्रैल को अपनी जान पर खेल कर मतदान करने भी नाव से ही जायेंगे। लोगों में सांसद और विधायक के प्रति ज़बर्दस्त गुस्सा है। दरभंगा जिले का यह इलाका समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में आता है। यहां के सांसद लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान हैं।


Body:स्थानीय रंजीत कुमार शर्मा ने बताया कि वर्ष 2001 की बाढ़ में अधवारा नदी ने अपना रास्ता बदल लिया। इसकी वजह से पहले जहां सुगम रास्ता था वहां से नदी बहने लगी। जहां से नदी बहती थी वह खाली परती जमीन हो गयी। उन्होंने बताया कि सिरिनिया और विलासपुर पंचायत की हज़ारों की आबादी को इससे परेशानी होती है। अगर नाव पर न जायें तो 25-30 किमी ज़्यादा दूरी तय करनी पड़ती है। लोग खतरा मोल लेकर आते-जाते हैं। बच्चों को प्राइमरी के बाद आगे की शिक्षा लेने में बहुत परेशानी होती है। लड़कियां तो आगे पढ़ ही नहीं पाती हैं। बीमार लोगों का इलाज कराना भी मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद सांसद और विधायक उनकी समस्या जानने नहीं आते।


Conclusion:घाट पर नाव चलाने वाले नाविक मो. अशरफ ने बताया कि उन्हें 24 घंटे नाव लेकर तैयार रहना पड़ता है। मतदान के लिये कर्मियों व दो हज़ार वोटर को ले जाने और वापस लाने की जिम्मेवारी भी उनकी ही है। यहां कोई सरकारी नाव नहीं है। लोग आपस मे चंदा कर नाव चलाते हैं और नाविक को मेहनताना देते हैं।

इलाके में सांसद रामचंद्र पासवान के चुनाव प्रचार की कमान सभाल रहे लोजपा के प्रदेश महासचिव आरके चौधरी से जब हमने इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि सांसद महोदय ने यहां के लोगों के लिये पुल बनाने की पहल की है। उम्मीद है कि जल्द बन जायेगा।



बाइट 1- रंजीत कुमार शर्मा, स्थानीय
बाइट 2- मो. अशरफ़, नाविक
बाइट 3- आरके चौधरी, प्रदेश महासचिव, लोजपा



ptc के साथ
-----------------
विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा

Last Updated : Apr 24, 2019, 3:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.