दरभंगा : विजयदशमी के अवसर पर जिले के पीताम्बरी बंगला स्कूल में बंगाली दुर्गापूजा समिति द्वारा बंगाली समाज की सुहागिनों ने आज सिंदूर की होली खेली है. पिछले 350 सालों से यहां पूजा और विसर्जन के दिन सिंदूर होली खेली जाती है. इस दौरान यह संदेश देने कि कोशिश की गई है कि मां हम सब सुहागिनों को आजीवन सुहागिन रखें. साथ ही महिलाओं ने आज अपने मन की व्यथा सुनाते हुए कहती हैं कि आज काफी दुख हो रहा है कि आप विदा हो रही हैं.
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सिंदूर की होली खेली: वही सिंदूर की होली खेल रही महिलाओं का मानना है कि मां दुर्गा हमारी बेटी भी है और मां भी. उन्होंने बताया कि विजय दशमी के दिन पहले हम लोग मां के प्रतिमा के पैरों पर सिंदूर और धुब रखते है और अंतिम दिन हम सभी महिलाये सिंदूर होली खेलते है. वहीं उन्होंने कहा कि साल संवत बेहतर तरीके से बीते इसके लिए हम मां को धन्यवाद देते हैं और खुशी व्यक्त करते हैं. मां इसी तरह आने वाले वर्ष में भी आएं और हम भक्तों का ध्यान रखें.
"जिस तरह से कई देशों में युद्ध हो रहे है, इससे कोई भी लोग खुश नहीं है. हम मां दुर्गा से हम यही कामना करते हैं कि चारों तरफ शांति हो. शांति से मिलजुल कर हम एक साथ रहे. हमेशा देश में सुख समृद्धि बनी रहे. लोग खुश रहे और शांति से रहे" - तारा सिन्हा, महिला श्रद्धालु
बंगाली समाज में ऐसे होती है पूजा: बंगाली समुदाय में मां दुर्गा की पूजा पंचमी तिथि से शुरू होती है और अंत में दशमी तिथि के दिन उन्हें सिंदूर होली खेलकर विदा किया जाता है. बंगाली समुदाय में इसे सिंदूर खेला के नाम से जाना जाता है, मां की विदाई का मुहूर्त वास्तव में काफी भावुक होता है. बंगाली समाज के लोग खास करके महिलाएं बड़ी संख्या में इकट्ठा होती हैं, सबसे पहले मां दुर्गा की मूर्ति को भोग लगाती है और पान के पत्ते से मां दुर्गा की मूर्ति के गाल को सेका जाता है. जो महिला मां की मूर्ति के पास भोग लगाने जाती है, वह मां दुर्गा की प्रतिमा के कान में अपने परिवार की सुख, समृद्धि और शांति की दुआएं भी उनसे कह कर मांगती है. जिसके बाद बारी-बारी से बंगाली समाज की सभी महिलाएं सिंदूर खेला के कार्यक्रम में भाग लेती है.