दरभंगा: आइसा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर अखिल भारतीय छात्र हड़ताल के समर्थन में सोमवार को जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया गया. इस अवसर पर 6-7 जुलाई को जारी यूजीसी और गृह मंत्रालय की अधिसूचना रद्द करने, महामारी के दौरान सभी परीक्षा को रद्द करने और भेदभाव पूर्ण ऑनलाइन OBE को निरस्त करने, अगले सेमेस्टर के लिए ट्यूशन और हॉस्टल फीस माफ करने, सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय और राज्य विश्वविद्यालय में शुल्क बृद्धि वापस लेने सहित 8 सूत्री मांगों के समर्थन में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया गया.
जिला में जगह-जगह किया गया विरोध प्रदर्शन
आइसा जिला अध्यक्ष प्रिंस राज ने कहा कि आज पूरा देश कोरोना महामारी की मार से जूझ रहा है. इस विषम परिस्थिति में सरकार छात्र-छात्राओं को सुरक्षा देने के बजाय परीक्षा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो कि बहुत ही दुःखद कदम है. वहीं उन्होंने कहा कि कुछ जगहों की राज्य सरकार परीक्षा लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर बिहार सरकार की चुप्पी है, जबकि अभी सबसे ज्यादा बिहार ही कोरोना बीमारी से प्रभावित है. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार सभी छात्र-छात्राओ को कोरोना महामारी में प्रोन्नत्ति देने की मांग की.
महामारी के दौरान सभी तरह की परीक्षा हो रद्द हो
आइसा जिला सचिव विशाल माझी ने कहा कि जब आज पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. तब सरकार एक तरफ से विवि में फीस की बढ़ोतरी कर रही है, जिससे कि फिर एक बार दलित-गरीब छात्रों को शिक्षा से बेदखल करने की तैयारी है. हम सभी छात्र सफल नही होने देंगे और फीस बृद्धि का डटकर विरोध करेंगे. वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन/ऑब्जेक्टिव परीक्षा लेने की कवायद शुरू है, जो बिहारी छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ है. इसे बिहार और पूरा देश के छात्र बर्दास्त नहीं करेंगे. वहीं उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से छात्र-छत्राओं की सभी तरह की छात्रवृति तुरंत वितरण करने की मांग की.