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Buxar News: बक्सर थमर्ल पावर प्लांट के लिए पहुंचा 500 टन वजनी टरबाइन, देखने के लिए उमड़ी भीड़ - 1320 मेगावाट पावर प्लांट

बक्सर के चौसा में बन रहे पावर प्लांट का काम तेजी से चल रहा है. गुरुवार को जिले के मिश्रवलिया गंगा घाट पर जल मार्ग से प्लांट का दूसरा टरबाइन पहुंचा. 500 टन वजनी टरबाइन (जेनरेटर) गुजरात के पोरबंदर से तीन महीना पहले बक्सर के लिए भेजा गया था. पहले समुंद्र और फिर नदी मार्ग से ये बक्सर पहुंचा. इसे देखने के लिए गंगा घाट पर लोगों की भाड़ी भीड़ लग गई.

बक्सर पावर प्लांट के लिए गंगा तट पहुंचा टरबाइन
बक्सर पावर प्लांट के लिए गंगा तट पहुंचा टरबाइन
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Published : Apr 6, 2023, 8:35 PM IST

चौसा पावर प्लांट के लिए गंगा तट पहुंचा टरबाइन

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले के चौसा में निर्माण हो रहे 1320 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट के लिए 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर जल मार्ग के रास्ते बक्सर के मिश्रवलिया घाट पहुंच चुका है (Turbine weighing 500 tons arrived for Buxar). गंगा की लहरों के बीच जल बेड़ा से पहुंचे टरबाइन को देखने के लिए गंगा की तटों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों के बीच इस बात की चर्चा होती रही कि समुद्री बेड़ा गंगा नदी में कैसे आ गया. इसके बाद मौजूद एसजेवीएन पावर प्लांट के अधिकारियों ने लोगों को बताया कि, यह 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर है.

ये भी पढ़ें- बक्सर: PM मोदी आज करेंगे 1320 मेगावाट पावर प्लांट का शिलान्यास

गंगा तट पर पहुंचा पावर प्लांट का दूसरा टरबाइन: एसजेवीएन पावर प्लांट के अधिकारियों ने लोगों को बताया कि 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर इस पावर प्लांट का मुख्य अंग है. जिसे तीन महीने पहले गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह से बक्सर के लिए रवाना किया गया था. टरबाइन समुंद्र के रास्ते गुजरात से कोलकाता पहुंचा. वहां से गंगा नदी के रास्ते बक्सर पहुंचा. यह थर्मल पावर प्लाट का दूसरा टरबाइन है. जुलाई महीने में पावर प्लांट का पहला टरबाइन पहुंच गया था. बक्सर ताप विद्युत परियोजना का दोनों यूनिट 2024 के फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा. जिसके लिए निर्माण कार्य तेजी से जारी है.

तीन महीने पहले गुजरात से भेजा गया था टरबाइन: मिली जनकारी के अनुसार स्टार्टर रोटर लदी जहाज विगत तीन महीने पहले गुजरात से बक्सर के लिए चली थी, जो आज बक्सर पहुंची है. टरबाइन को सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के प्रिज्म कम्पनी को दी गई थी. जो गुजरात से समुंद्र के रास्ते कलकत्ता पहुंचा, जहां से गंगा नदी के रास्ते बक्सर के मिश्रवलिया गंगा तट तक पहुंचा. गंगा घाट से इसे पावर प्लांट स्थल तक 5 किलोमीटर सड़क के रास्ते से ले जाने की तैयारी है. इसके लिए गंगा तट से लेकर मुख्य सड़क तक बालू और ईंट की सड़क बनाई गई है. जिसपर लोहे की चादर बिछाई जा रही है. जहां से ट्रक मुख्य मार्ग के रास्ते परियोजना स्थल पर पहुंचेगा.

परियोजना स्थल तक ले जाने में लगेंगे चार से पांच दिन: चौसा गंगा तट के मिश्रवलिया से परियोजना स्थल तक इस टरबाइन को पहुंचाने वाले आरके कंस्ट्रक्शन के कर्मी आरिक राजा ने बताया कि, 500 टन के वजन वाले टरबाइन को 128 पहिये के हाइड्रोलिक ट्रक पर लोड किया जा चुका है. हालांकि, जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ाया-घटाया जा सकता है. इसको ले जाने के लिए बड़े इंजन वाले दो ट्रक को जोड़ा जाएगा. परियोजना स्थल तक इसे ले जाने में चार से पांच दिन का समय लगेगे. मुख्य मार्ग के कई जगहों पर रुकावटों को दूर किया जाएगा. बीच में पड़ रहे रेलवे क्रासिंग के तार को हटाने के लिए रेलवे के अधिकारियों से बात की जा रही है.

"परियोजना निर्माण मेंयह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. समय से पावर प्लांट के निर्माण का काम पूरा हो, इसको लेकर युद्धस्तर पर काम जारी है. इस टरबाइन को बक्सर थर्मल पॉवर के अनुसार डिजाइन किया गया है और बनाया गया है. जिसका वजन लगभग 500 टन है. इसके लिए जरूरी छोटे-छोटे उपकरण बड़े वाहनों से प्लांट स्थल पर लाया जा रहा है."- मनोज कुमार, सीईओ, STPL

गौरतलब है कि जिले के चौसा में निर्माणधीन 1320 मेगावाट का पावर प्लांट में जनवरी माह में नाराज किसानों ने आग लगा दी थी. इलाके के किसानों का यह आरोप है कि कंपनी निर्माण से पहले 10 लाख पौधे लगाने की बात कही थी. ताकि, पावर प्लांट स निकलने वाली जहरीली धुंआ लोगों के सेहत को न खराब कर दे. लेकिन कंपनी ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया है.

चौसा पावर प्लांट के लिए गंगा तट पहुंचा टरबाइन

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले के चौसा में निर्माण हो रहे 1320 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट के लिए 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर जल मार्ग के रास्ते बक्सर के मिश्रवलिया घाट पहुंच चुका है (Turbine weighing 500 tons arrived for Buxar). गंगा की लहरों के बीच जल बेड़ा से पहुंचे टरबाइन को देखने के लिए गंगा की तटों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों के बीच इस बात की चर्चा होती रही कि समुद्री बेड़ा गंगा नदी में कैसे आ गया. इसके बाद मौजूद एसजेवीएन पावर प्लांट के अधिकारियों ने लोगों को बताया कि, यह 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर है.

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गंगा तट पर पहुंचा पावर प्लांट का दूसरा टरबाइन: एसजेवीएन पावर प्लांट के अधिकारियों ने लोगों को बताया कि 500 टन वजनी टरबाइन जेनरेटर इस पावर प्लांट का मुख्य अंग है. जिसे तीन महीने पहले गुजरात के पोरबंदर बंदरगाह से बक्सर के लिए रवाना किया गया था. टरबाइन समुंद्र के रास्ते गुजरात से कोलकाता पहुंचा. वहां से गंगा नदी के रास्ते बक्सर पहुंचा. यह थर्मल पावर प्लाट का दूसरा टरबाइन है. जुलाई महीने में पावर प्लांट का पहला टरबाइन पहुंच गया था. बक्सर ताप विद्युत परियोजना का दोनों यूनिट 2024 के फरवरी तक बनकर तैयार हो जाएगा. जिसके लिए निर्माण कार्य तेजी से जारी है.

तीन महीने पहले गुजरात से भेजा गया था टरबाइन: मिली जनकारी के अनुसार स्टार्टर रोटर लदी जहाज विगत तीन महीने पहले गुजरात से बक्सर के लिए चली थी, जो आज बक्सर पहुंची है. टरबाइन को सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के प्रिज्म कम्पनी को दी गई थी. जो गुजरात से समुंद्र के रास्ते कलकत्ता पहुंचा, जहां से गंगा नदी के रास्ते बक्सर के मिश्रवलिया गंगा तट तक पहुंचा. गंगा घाट से इसे पावर प्लांट स्थल तक 5 किलोमीटर सड़क के रास्ते से ले जाने की तैयारी है. इसके लिए गंगा तट से लेकर मुख्य सड़क तक बालू और ईंट की सड़क बनाई गई है. जिसपर लोहे की चादर बिछाई जा रही है. जहां से ट्रक मुख्य मार्ग के रास्ते परियोजना स्थल पर पहुंचेगा.

परियोजना स्थल तक ले जाने में लगेंगे चार से पांच दिन: चौसा गंगा तट के मिश्रवलिया से परियोजना स्थल तक इस टरबाइन को पहुंचाने वाले आरके कंस्ट्रक्शन के कर्मी आरिक राजा ने बताया कि, 500 टन के वजन वाले टरबाइन को 128 पहिये के हाइड्रोलिक ट्रक पर लोड किया जा चुका है. हालांकि, जरूरत के हिसाब से इसे बढ़ाया-घटाया जा सकता है. इसको ले जाने के लिए बड़े इंजन वाले दो ट्रक को जोड़ा जाएगा. परियोजना स्थल तक इसे ले जाने में चार से पांच दिन का समय लगेगे. मुख्य मार्ग के कई जगहों पर रुकावटों को दूर किया जाएगा. बीच में पड़ रहे रेलवे क्रासिंग के तार को हटाने के लिए रेलवे के अधिकारियों से बात की जा रही है.

"परियोजना निर्माण मेंयह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. समय से पावर प्लांट के निर्माण का काम पूरा हो, इसको लेकर युद्धस्तर पर काम जारी है. इस टरबाइन को बक्सर थर्मल पॉवर के अनुसार डिजाइन किया गया है और बनाया गया है. जिसका वजन लगभग 500 टन है. इसके लिए जरूरी छोटे-छोटे उपकरण बड़े वाहनों से प्लांट स्थल पर लाया जा रहा है."- मनोज कुमार, सीईओ, STPL

गौरतलब है कि जिले के चौसा में निर्माणधीन 1320 मेगावाट का पावर प्लांट में जनवरी माह में नाराज किसानों ने आग लगा दी थी. इलाके के किसानों का यह आरोप है कि कंपनी निर्माण से पहले 10 लाख पौधे लगाने की बात कही थी. ताकि, पावर प्लांट स निकलने वाली जहरीली धुंआ लोगों के सेहत को न खराब कर दे. लेकिन कंपनी ने अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया है.

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