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बक्सर को फिर से मिलेगी पौराणिक और ऐतिहासिक पहचान: DM

बक्सर में पर्यटन से जुड़े प्रत्येक बिंदुओं को लेकर डीएम अमन समीर से खास बातचीत की गई. जहां उन्होंने कहा कि साहित्यिक टीम को गठित कर के एक बुकलेट तैयार करने की तैयारी में है. डीएम अमन समीर से पर्यटन पर खास बातचीत

बक्सर डीएम से खास बातचीत
बक्सर डीएम से खास बातचीत
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Published : Dec 12, 2020, 10:51 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 3:02 PM IST

बक्सर: आध्यात्म और इतिहास के नजरिए से महत्वपूर्ण बक्सर को छोटी काशी भी कहा जाता है. साल में कुछ ऐसे दिन होते हैं, जब देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां धार्मिक प्रयोजनों से यहां आते हैं. महर्षि विश्वामित्र की नगरी और 'भगवान श्रीराम' की पाठशाला के रूप में पहचान रखने वाला बक्सर में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं, जिसको लेकर डीएम अमन समीर से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने साहित्यिक टीम गठित कर एक बुकलेट तैयार करने की बात कही.

चौसा की लड़ाई
चौसा की लड़ाई

जानें बक्सर का इतिहास
बक्सर जिला उत्तरायणी गंगा के किनारे बसा अति प्राचीन नगर है, जो कभी सिद्धाश्रम तो कभी व्याघ्रसर कहलाया है. बक्सर आध्यात्मिक या ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण भूमि में से एक है. यहां कभी महर्षि विश्वामित्र सहित सैकड़ों ऋषियों का पसंदीदा तप स्थली भी रहा है. भगवान राम और लक्ष्मण के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों विद्या के ज्ञान ग्रहण स्थल भी बनने का गौरव प्राप्त हुआ. भगवान राम के जीवन का पहला युद्ध क्षेत्र भी बक्सर ही बना. भगवान राम यहीं पर अपने जीवन का पहला युद्ध राक्षसी तड़का के साथ लड़े और उसका संहार किए.

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बक्सर से उठी थी आवाज
इतना ही नहीं जिले में आधुनिक काल के दो-दो ऐतिहासिक निर्णायक युद्ध भी हुए थे. इन युद्धों ने आने वाले भारत की दशा और दिशा तय कर दी थी. पहली लड़ाई चौसा में हुई थी. वर्तमान समय में बक्सर के कर्मनाशा और गंगा नदी के मुहाने पर चौसा नामक एक छोटा गांव बसा हुआ है. बक्सर की दूसरी लड़ाई को भारत के इतिहास काल का निर्णायक युद्ध कहा जाता है. यह लड़ाई 22 अक्टूबर 1764 को लड़ी गई थी. अंग्रेजी साम्राज्य का दायरा बढ़ता ही जा रहा था. अंग्रेज भारत पर पूरी तरह से कब्जा चाहते थे. इसी कड़ी में उनकी सबसे बड़ी और सफल कोशिश बक्सर का दूसरा युद्ध रहा.

मिनी काशी बक्सर की पहचान
'बनारस से करिब 150 किलो मीटर के दूरी पर बक्सर है. हम लोगों का लक्ष्य है कि मिनी काशी के नाम से जाना जानेवाला बक्सर भी बनारस की तरह पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन सकता है': अमर समीर, डीएम

स्मारक और पार्क बनाने का प्रयास
'राम सर्किट के रूप में बक्सर को भी पहचान मिलेगी. वहीं, चौसा और बक्सर के लड़ाई के मैदानों को भी अतिक्रमण मुक्त कराकर वहां स्मारक और पार्क बनाने का प्रयास है.' - अमर समीर, डीएम

देखें वीडियो

पर्यटन से जुड़े संकलन किया जा रहा तैयार
ऐसे में जिलाधिकारी पदाधिकारी अमन समीर की पहल पर अब बक्सर का भाग्य भी बदल सकता है. क्योंकि डीएम कहा कि पर्यटन से जुड़े प्रत्येक बिंदुओं का एक संकलन तैयार किया जा रहा है.

बता दें कि जिले के 4 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें बक्सर, राजपुर सुरक्षित, डमरांव और ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन चारों विधानसभाओं में बक्सर विधान सभा क्षेत्र काफी महत्व रखता है. ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक विरासत से संबंधित विधानसभा में प्रथम चुनाव 1951 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मीकांत तिवारी विजयी हुए थे. परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति बदल गई. अब इस विधानसभा क्षेत्र में भक्षणम चौसा प्रखंड शामिल है.

बक्सर: आध्यात्म और इतिहास के नजरिए से महत्वपूर्ण बक्सर को छोटी काशी भी कहा जाता है. साल में कुछ ऐसे दिन होते हैं, जब देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां धार्मिक प्रयोजनों से यहां आते हैं. महर्षि विश्वामित्र की नगरी और 'भगवान श्रीराम' की पाठशाला के रूप में पहचान रखने वाला बक्सर में पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं हैं, जिसको लेकर डीएम अमन समीर से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने साहित्यिक टीम गठित कर एक बुकलेट तैयार करने की बात कही.

चौसा की लड़ाई
चौसा की लड़ाई

जानें बक्सर का इतिहास
बक्सर जिला उत्तरायणी गंगा के किनारे बसा अति प्राचीन नगर है, जो कभी सिद्धाश्रम तो कभी व्याघ्रसर कहलाया है. बक्सर आध्यात्मिक या ऐतिहासिक दोनों दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण भूमि में से एक है. यहां कभी महर्षि विश्वामित्र सहित सैकड़ों ऋषियों का पसंदीदा तप स्थली भी रहा है. भगवान राम और लक्ष्मण के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों विद्या के ज्ञान ग्रहण स्थल भी बनने का गौरव प्राप्त हुआ. भगवान राम के जीवन का पहला युद्ध क्षेत्र भी बक्सर ही बना. भगवान राम यहीं पर अपने जीवन का पहला युद्ध राक्षसी तड़का के साथ लड़े और उसका संहार किए.

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बक्सर से उठी थी आवाज
इतना ही नहीं जिले में आधुनिक काल के दो-दो ऐतिहासिक निर्णायक युद्ध भी हुए थे. इन युद्धों ने आने वाले भारत की दशा और दिशा तय कर दी थी. पहली लड़ाई चौसा में हुई थी. वर्तमान समय में बक्सर के कर्मनाशा और गंगा नदी के मुहाने पर चौसा नामक एक छोटा गांव बसा हुआ है. बक्सर की दूसरी लड़ाई को भारत के इतिहास काल का निर्णायक युद्ध कहा जाता है. यह लड़ाई 22 अक्टूबर 1764 को लड़ी गई थी. अंग्रेजी साम्राज्य का दायरा बढ़ता ही जा रहा था. अंग्रेज भारत पर पूरी तरह से कब्जा चाहते थे. इसी कड़ी में उनकी सबसे बड़ी और सफल कोशिश बक्सर का दूसरा युद्ध रहा.

मिनी काशी बक्सर की पहचान
'बनारस से करिब 150 किलो मीटर के दूरी पर बक्सर है. हम लोगों का लक्ष्य है कि मिनी काशी के नाम से जाना जानेवाला बक्सर भी बनारस की तरह पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन सकता है': अमर समीर, डीएम

स्मारक और पार्क बनाने का प्रयास
'राम सर्किट के रूप में बक्सर को भी पहचान मिलेगी. वहीं, चौसा और बक्सर के लड़ाई के मैदानों को भी अतिक्रमण मुक्त कराकर वहां स्मारक और पार्क बनाने का प्रयास है.' - अमर समीर, डीएम

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पर्यटन से जुड़े संकलन किया जा रहा तैयार
ऐसे में जिलाधिकारी पदाधिकारी अमन समीर की पहल पर अब बक्सर का भाग्य भी बदल सकता है. क्योंकि डीएम कहा कि पर्यटन से जुड़े प्रत्येक बिंदुओं का एक संकलन तैयार किया जा रहा है.

बता दें कि जिले के 4 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें बक्सर, राजपुर सुरक्षित, डमरांव और ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन चारों विधानसभाओं में बक्सर विधान सभा क्षेत्र काफी महत्व रखता है. ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक विरासत से संबंधित विधानसभा में प्रथम चुनाव 1951 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मीकांत तिवारी विजयी हुए थे. परिसीमन के बाद इस विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति बदल गई. अब इस विधानसभा क्षेत्र में भक्षणम चौसा प्रखंड शामिल है.

Last Updated : Dec 16, 2020, 3:02 PM IST
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