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विश्व गौरैया दिवस : अब नहीं सुनने को मिलती गौरैया की चहचहाहट

विश्व में 20 मार्च को गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है. गौरैया संरक्षण के लिए सरकार लोगों की जागरूक करने की कोशिश कर रही है.

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Published : Mar 20, 2019, 6:19 PM IST

गौरैया पक्षी

बक्सर: विश्व में 20 मार्च को गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है. गौरैया संरक्षण के लिए सरकार लोगों की जागरूक करने की कोशिश कर रही है. लेकिन प्रदूषण के वजहों से इनकी प्रजाति खत्म होने की कगार पर है.

देश में एक-दो दशक पहले से गौरैया विलुप्त हो रही पक्षी की श्रेणी में आ गई है. भारत सहित यूरोप के कई देशों में भी इसकी संख्या लगातार कम होती जा रही है. नीदरलैंड ने गौरैया को दुर्लभ प्रजाति के श्रेणी में शामिल कर लिया है. इसे देखते हुए गौरैया संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 20 मार्च 2010 से पूरे विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.

बता दें गौरैया को पासेरादेई परिवार की सदस्य मानी जाती है. इसे वीवर फिंच फैमिली का भी लोग प्रजाति मानते हैं. इसकी लंबाई 14 से 16 सेमी तक की होती है. इसका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है. गौरैया एकबार में तीन अंडे ही देती है. यह झुंड में रहने वाली यह पक्षी 2 मील तक भोजन की तलाश में जा सकती है.

ग्रामीण का बयान.

गौरैया पर डाक टिकट जारी है

दिल्ली सरकार ने 2012 में इसे राज्य पक्षी घोषित किया. गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही भारतीय डाक विभाग ने 9 जुलाई 2010 को गौरैया पर डाक टिकट जारी कर चुका है. लोगों को गौरैया के लिए भोजन और रहने के लिए स्थान बचा कर इनके संरक्षण करने के लिए कदम उठानी चाहिए.

बक्सर: विश्व में 20 मार्च को गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है. गौरैया संरक्षण के लिए सरकार लोगों की जागरूक करने की कोशिश कर रही है. लेकिन प्रदूषण के वजहों से इनकी प्रजाति खत्म होने की कगार पर है.

देश में एक-दो दशक पहले से गौरैया विलुप्त हो रही पक्षी की श्रेणी में आ गई है. भारत सहित यूरोप के कई देशों में भी इसकी संख्या लगातार कम होती जा रही है. नीदरलैंड ने गौरैया को दुर्लभ प्रजाति के श्रेणी में शामिल कर लिया है. इसे देखते हुए गौरैया संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 20 मार्च 2010 से पूरे विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.

बता दें गौरैया को पासेरादेई परिवार की सदस्य मानी जाती है. इसे वीवर फिंच फैमिली का भी लोग प्रजाति मानते हैं. इसकी लंबाई 14 से 16 सेमी तक की होती है. इसका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है. गौरैया एकबार में तीन अंडे ही देती है. यह झुंड में रहने वाली यह पक्षी 2 मील तक भोजन की तलाश में जा सकती है.

ग्रामीण का बयान.

गौरैया पर डाक टिकट जारी है

दिल्ली सरकार ने 2012 में इसे राज्य पक्षी घोषित किया. गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही भारतीय डाक विभाग ने 9 जुलाई 2010 को गौरैया पर डाक टिकट जारी कर चुका है. लोगों को गौरैया के लिए भोजन और रहने के लिए स्थान बचा कर इनके संरक्षण करने के लिए कदम उठानी चाहिए.

Intro:आज 20 मार्च है ,विश्व गौरैया दिवस ।बहुत पहले नहीं आज से बस एक -दो दशक पहले की ही बात हम करे तो जो गौरैया आज विलुप्त हो रही पक्षी की श्रेणी में आ गई है ,हमारे घर आंगन में फुदकती नजर आती थी ।हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि अब यह घरेलू पक्षी ढूंढे नहीं दिख रही है ।


Body:आपको बता दें कि बिल्कुल हमारे आस पास फुदकने वाली गौरैया पासेरादेई परिवार की सदस्य मानी जाती है वैसे कुछ लोग इसे वीवर फिंच फैमिली का भी मानते हैं ।लंबाई की बात करे तो यह 14 से 16 सेंटीमीटर तक कि होती है तथा इसका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है । एक बार मे गौरैया कमसेकम तीन अंडे जरूर ही देती है । झुंड में रहने वाली यह पक्षी 2 मील तक भोजन की तलाश में जा सकती है ।
दस बीस साल पहले तक यह गौरैया झुंड के झुंड देखी जाती थी पर अब याद संकटग्रस्त पक्षी के कतार में आ गई है ।स्थिति ऐसी बनी है कि इसका अस्त्तित्व ही खतरे में आ गया है ।भारत ही नहीं यूरोप के कई देशों में भी इसकी संख्या लगातार कम होती जा रही है ।नीदरलैंड गौरैया को दुर्लभ प्रजाति के श्रेणी में शामिल किया है ।
गौरैया की इसी संकट भरी स्थिति को देखते हुए पूरी दुनिया में इसके संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए 20 मार्च 2010 विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाया गया ।तब से प्रत्येक वर्ष20 मार्च को गौरैया दिवस। मनाया जाता है । वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य पक्षी घोषित किया । गौरैया के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही भारतीय डाक विभाग द्वारा 9 जुलाई 2010 को गौरैया पर डाक टिकट जारी किया गया ।
बाइट बुजुर्ग ग्रामीण


Conclusion:ऐसे में अगर हम अब भी इसके प्रति सजग नही हुए तो घर आंगन को अपनी चीं.. चीं.. से चहकाने वाली गौरैया कुछ दिनों में बिल्कुल विलुप्त हो जाएगी ।पक्षी विज्ञानी के अनुसार अगर हम चाहते हैं कि गौरैया फिर से उसी पुराने रूप में हमारे आसपास चहके तो हमें उसे आप अपना घोंसला बनाने व अंडे देने के लिए उपयुक्त जगह देती होगी ।हमलावर पक्षियों से या अन्य जीवों से बचाना होगा ।उनके खाने पीने की उचित व्यवस्था करनी होगी ।
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