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Buxar News: 'बिना इलाज के पटना रेफर कर दिया.. घंटों एंबुलेंस के लिए दौड़ते रहे.. मां की मौत पूरे सिस्टम पर सवाल'

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Published : Jun 22, 2023, 2:31 PM IST

Updated : Jun 22, 2023, 3:01 PM IST

बक्सर सदर अस्पताल में एक बुजुर्ग महिला मरीज की मौत के बाद परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. महिला के बेटे ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक ने मेरी मां का इलाज नहीं किया और पटना रेफर कर दिया. एंबुलेंस के लिए इधर-उधर भागते रहे. इसी बीच मां ने दुनिया को अलविदा कह दिया. ये तो एक बेटे का दर्द सामने आया है लेकिन जब ईटीवी भारत संवाददाता ने अस्पताल का जायजा लिया तो मरीजों की लंबी कतार और सुविधाओं का घोर अभाव दिखा.

Buxar Sadar Hospital
Buxar Sadar Hospital

बक्सर सदर अस्पताल का हाल

बक्सर: बिहार की राजधनी पटना से महज 120 किलोमीटर पश्चिम बक्सर के सदर अस्पताल में मरीज हलकान और परेशान हैं. शव के बगल के बेड में मरीजों को रखा जा रहा है. ऐसे में लोग यहां इलाज कराने आने से भी डरने लगें हैं.

पढ़ें- Buxar News: 23 लाख से ज्यादा आबादी.. सिर्फ 112 डॉक्टर की तैनाती.. उसमें से 26 लापता.. ये बक्सर सदर अस्पताल का हाल

'इलाज नहीं होने के कारण मां चली गई': शुक्रवलिया गांव निवासी संतोष शाह की मां ने सदर अस्पताल में दम तोड़ दिया है. संतोष ने बताया कि मां के द्वारा तबीयत ठीक नहीं होने की शिकायत करने पर उसे लेकर सदर अस्पताल आए थे. चिकित्सकों से हाथ जोड़कर कहता रहा कि पहले मां का इलाज तो शुरू कीजिए लेकिन हमें सीधे बोल दिया गया कि हालत खराब है, यहां आईसीयू नहीं है, पटना लेकर जाओ.

"मैंने डॉक्टर को कहा कि इलाज शुरू कर दीजिए. मां की तबीयत बहुत खराब थी लेकिन उन्होंने कह दिया कि ये हमारे वश की बात नहीं है. अगर डॉक्टर इलाज कर ही नहीं सकते तो फिर किस बात के डॉक्टर हैं? मुझे मां को पटना ले जाने की नसीहत देते हुए चिकित्सर इधर-उधर दौड़ाते रहे. मैं एंबुलेंस ढूंढता रहा लेकिन अस्पताल से कोई मदद नहीं मिली और मेरी मां की मौत हो गई."- संतोष शाह, मृतक के बेटे

बक्सर सदर अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल: मां की मौत से टूट चुके संतोष ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधा के तमाम दावे सिर्फ सियासी हैं. मिशन-60 और क्वालिटी कागजों पर है. अस्पताल में ना मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा मिलती है और ना ही चिकित्सक ही सही तरीके से इलाज करते हैं.

जमीन पर मरीज
जमीन पर मरीज
क्या कहना है डॉक्टर का?: वहीं इस मामले को लेकर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था तभी उसकी हालत बहुत खराब थी. हमने फर्स्ट एड दिया लेकिन उसे आईसीयू की जरूरत थी. सदर अस्पताल में उसका इलाज नहीं हो पाता इसलिए पटना ले जाने को कहा था.

मैं जितना कर सकता था, मैंने किया. मरीज का पल्स नहीं मिल रहा था, वह बेहोश थी. मैंने परिजनों को बोला कि पटना लेकर जाइये. उसे आईसीयू की जरूरत थी. हम फर्स्ट एड दे सकते थे, वही दिया.- गोपाल कृष्ण, डॉक्टर, सदर अस्पताल

ग्लूकोस की बोतल हाथ में लिए मरीज के परिजन
ग्लूकोस की बोतल हाथ में लिए मरीज के परिजन

लाशों के बीच हो रहा इलाज: सदर अस्पताल की लचर हालत इसी बात से समझी जा सकती है कि लाशों के बीच मरीजों का इलाज हो रहा है. परिसर में लंबी कतार और बरामदे में दूर-दूर तक जमीन में लेटे हुए मरीज नजर आए. इतना ही नहीं ग्लूकोस की बोतल और मरीज को संभालने का जिम्मा भी परिजनों पर ही है. एक मरीज को ग्लूकोज चढ़ रहा था और उसके परिजन बोतल हाथ में लिए इधर-उधर भटकते दिखे.

लाशों के बीच हो रहा मरीजों का इलाज
लाशों के बीच हो रहा मरीजों का इलाज

बक्सर सदर अस्पताल तो एक बानगी है, आए दिन इस तरह की तस्वीरें कई जगहों से सामने आती हैं. ऐसे में लोग कह रहे हैं कि बिहार का स्वास्थ्य महकमा वेंटिलेटर पर है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से सवाल कर रहे हैं कि औचक निरीक्षण और दिशा निर्देश का असर कहां हो रहा है?

बक्सर सदर अस्पताल का हाल

बक्सर: बिहार की राजधनी पटना से महज 120 किलोमीटर पश्चिम बक्सर के सदर अस्पताल में मरीज हलकान और परेशान हैं. शव के बगल के बेड में मरीजों को रखा जा रहा है. ऐसे में लोग यहां इलाज कराने आने से भी डरने लगें हैं.

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'इलाज नहीं होने के कारण मां चली गई': शुक्रवलिया गांव निवासी संतोष शाह की मां ने सदर अस्पताल में दम तोड़ दिया है. संतोष ने बताया कि मां के द्वारा तबीयत ठीक नहीं होने की शिकायत करने पर उसे लेकर सदर अस्पताल आए थे. चिकित्सकों से हाथ जोड़कर कहता रहा कि पहले मां का इलाज तो शुरू कीजिए लेकिन हमें सीधे बोल दिया गया कि हालत खराब है, यहां आईसीयू नहीं है, पटना लेकर जाओ.

"मैंने डॉक्टर को कहा कि इलाज शुरू कर दीजिए. मां की तबीयत बहुत खराब थी लेकिन उन्होंने कह दिया कि ये हमारे वश की बात नहीं है. अगर डॉक्टर इलाज कर ही नहीं सकते तो फिर किस बात के डॉक्टर हैं? मुझे मां को पटना ले जाने की नसीहत देते हुए चिकित्सर इधर-उधर दौड़ाते रहे. मैं एंबुलेंस ढूंढता रहा लेकिन अस्पताल से कोई मदद नहीं मिली और मेरी मां की मौत हो गई."- संतोष शाह, मृतक के बेटे

बक्सर सदर अस्पताल में मरीजों का बुरा हाल: मां की मौत से टूट चुके संतोष ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधा के तमाम दावे सिर्फ सियासी हैं. मिशन-60 और क्वालिटी कागजों पर है. अस्पताल में ना मरीजों को एंबुलेंस की सुविधा मिलती है और ना ही चिकित्सक ही सही तरीके से इलाज करते हैं.

जमीन पर मरीज
जमीन पर मरीज
क्या कहना है डॉक्टर का?: वहीं इस मामले को लेकर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था तभी उसकी हालत बहुत खराब थी. हमने फर्स्ट एड दिया लेकिन उसे आईसीयू की जरूरत थी. सदर अस्पताल में उसका इलाज नहीं हो पाता इसलिए पटना ले जाने को कहा था.

मैं जितना कर सकता था, मैंने किया. मरीज का पल्स नहीं मिल रहा था, वह बेहोश थी. मैंने परिजनों को बोला कि पटना लेकर जाइये. उसे आईसीयू की जरूरत थी. हम फर्स्ट एड दे सकते थे, वही दिया.- गोपाल कृष्ण, डॉक्टर, सदर अस्पताल

ग्लूकोस की बोतल हाथ में लिए मरीज के परिजन
ग्लूकोस की बोतल हाथ में लिए मरीज के परिजन

लाशों के बीच हो रहा इलाज: सदर अस्पताल की लचर हालत इसी बात से समझी जा सकती है कि लाशों के बीच मरीजों का इलाज हो रहा है. परिसर में लंबी कतार और बरामदे में दूर-दूर तक जमीन में लेटे हुए मरीज नजर आए. इतना ही नहीं ग्लूकोस की बोतल और मरीज को संभालने का जिम्मा भी परिजनों पर ही है. एक मरीज को ग्लूकोज चढ़ रहा था और उसके परिजन बोतल हाथ में लिए इधर-उधर भटकते दिखे.

लाशों के बीच हो रहा मरीजों का इलाज
लाशों के बीच हो रहा मरीजों का इलाज

बक्सर सदर अस्पताल तो एक बानगी है, आए दिन इस तरह की तस्वीरें कई जगहों से सामने आती हैं. ऐसे में लोग कह रहे हैं कि बिहार का स्वास्थ्य महकमा वेंटिलेटर पर है. वहीं स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से सवाल कर रहे हैं कि औचक निरीक्षण और दिशा निर्देश का असर कहां हो रहा है?

Last Updated : Jun 22, 2023, 3:01 PM IST
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