बक्सरः 1990 के दशक में जैसे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आशीर्वाद के बिना बिहार में चुनाव जीतना किसी के लिए संभव नहीं था. ठीक उसी तरह 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक नीतीश कुमार की गैर मौजूदगी में किसी भी दल के लिए बिहार में सरकार बनाना संभव नहीं दिख रहा है. यही कारण है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार को ही बड़े गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है.
मायूस हैं महागठबंधन के नेता
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ राजद और कांग्रेस दोनों के लिए मृत संजीवनी का काम किया. यही कारण था कि राजद को 80, तो कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली और बिहार में महागठबंधन की सरकार बन गई. लेकिन नीतीश कुमार का साथ छूटने से 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जाने से पहले ही, राजद के नेता मायूस हैं.
क्या कहते हैं राजद के नेता
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजद जिला अध्यक्ष शेषनाथ यादव ने कहा कि बिहार में राजद किसी भी मामले में बीजेपी से कम नहीं है. केवल नीतीश कुमार की बदौलत ही बिहार में बीजेपी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है और बिहार की सत्ता में आसीन है.
बीजेपी की नेता ने क्या कहा
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बक्सर जिला के चारों विधानसभा सीट पर महागठबंधन के हाथों करारी हार मिली थी. जिसके बाद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के एनडीए में होने से बीजेपी के नेता भी काफी उत्साहित हैं.
राजद जिलाध्यक्ष के इस बयान को लेकर बीजेपी के नेता प्रदीप दुबे ने कहा कि 2005 और 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के नेता पहले मरणासन्न पर जा चुके थे. लेकिन 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने उन्हें, मृत संजीवनी दे दिया और वह जीवित हो गए. लेकिन आने वाला बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के साथ बना एनडीए गठबंधन महागठबंधन का नामोनिशान मिटा देगी.
गौरतलब है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टी के नेता अपना चुनावी गणित बैठाने में जुट गए हैं. यही कारण है कि अभी से ही राजनीतिक पार्टी के नेताओं को हार जीत का डर सताने लगा है.