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बक्सर: फरार अपराधियों को 72 घण्टे तक खोजने में नाकाम रही पुलिस, व्यवहार न्यायालय में किया सरेंडर

नगर थाना पुलिस कर्मीयों की लापरवाही के कारण 10 जनवरी को व्यवहार न्यायालय में पेशी के लिए लाए गए दो अपराधी पुलिस कस्टडी से फरार हो गए थे. पुलिस फरार अपराधियों को 72 घण्टे तक खोजने में नाकाम रही. वहीं दोनों अपराधियों ने खुद ही व्यवहार न्यायालय सरेंडर कर दिया.

व्यवहार न्यायालय में किया सरेंडर
व्यवहार न्यायालय में किया सरेंडर
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Published : Jan 15, 2021, 12:13 PM IST

बक्सर: हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म की घटना से पूरा बिहार सहम गया है. एक के बाद एक हो रहे आपराधिक घटनाओं से अब सरकार के सहयोगी भी सुशासन पर सवाल उठा रहे है. नीतीश कुमार की फटकार भी अब पुलिस अधिकारियो के लिए नाकाफी साबित होते दिखाई दे रही है. यही कारण है कि बिहार में अपराधी मस्त और पुलिस पस्त हो गई है.

2005 में सुशासन के नाम पर जनता ने दिया था जनमत
1990 से लेकर 2005 तक अपराध से भयकरान्त प्रदेश की जनता ने सुशासन के नाम पर 2005 में एनडीए को जनमत दिया. प्रदेश के मुखिया बनते ही नीतीश कुमार ने अपराधियों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया. सड़को पर पुलिस की धमक से अपराधी या तो डर से प्रदेश छोड़ दिये या फिर घरों में ही दुबक गए. नीतीश कुमार के 5 वर्षों के कार्यकाल से प्रभावित होकर बिहार की जनता ने 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में दिल खोलकर मतदान किया. राष्ट्रीय जनता दल मात्र 22 सीट पर ही सिमट कर रह गई. लेकिन सत्ता की हनक में अफसरशाही बढ़ता गया. अधिकारी काम को छोड़कर नीतीश कुमार को खुश करने में लगे रहे और अपराधियों ने बिहार में फिर जड़े जमा लिया. आज हलात यह है कि विपक्ष की बातें कौन कहे. सहयोगी भी इसे अब महाजंगल राज की संज्ञा देने लगे है.

नीरज कुमार सिंह, एसपी
नीरज कुमार सिंह, एसपी
पुलिस की लापरवाही से फलफूल रहा अपराधप्रदेश के बिगड़ती विधि व्यवस्था में पुलिसकर्मियों की लापरवाही भी सामने आ रही है. नगर थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मियों के के माध्यम से 10 जनवरी को शराब तस्करी के दौरान उपेन्द्र कुमार और मणि कुमार नामक दो शराब तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. जिसमें से एक शराब तस्कर कुख्यात अपराधी था. उसके बाद भी होंम गार्ड के जवानों के भरोसे व्यवहार न्यायालय में पेशी के लिए भेज दिया गया. जहां से दोनों पुलिस कस्टडी से भाग निकले. इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गई. एसपी नीरज कुमार सिंह ने पूरे मामले की जांच करने की जिम्मेदारी हेडक्वार्ट डीएसपी को दे दी.
देखें रिपोर्ट.

जांच रिपोर्ट में लापरवाही हुई उजागर
इस घटना के तीन दिन बाद 13 जनवरी को अपराधियों ने व्यवहार न्यायालय में सरेंडर कर दिया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. इधर डीएसपी ने सुपुर्द किए गए जांच रिपोर्ट का खुलासा करते हुए एसपी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पेशी के दौरान व्यवहार न्यायालय के गेट से जो दो अपराधी भागे थे. उसमें से एक कुख्यात था जो चौकिदार का बेटा है. चौकिदार के माध्यम से इस बात को छुपाया गया जिसके कारण चौकिदार को निलंबित कर दिया गया है. दूसरी लापरवाही थाना स्तर पर भी हुआ है कि कुख्यात अपराधी को केवल होंम गार्ड के जवानों के भरोसे ही पेशी के लिए भेज दिया गया. जांच रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि नगर पुलिसकर्मियों के कस्टडी से भागने वाले दोनों अपराधियों को पुलिस ने हथकड़ी नहीं लगाई थी. जिसके कारण वह आसानी से निकल गए जो एक बड़ी लापरवाही है. इस संदर्भ में जो भी इसका जिम्मेदार है उसपर कार्रवाई की जा रही है.

बक्सर: हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म की घटना से पूरा बिहार सहम गया है. एक के बाद एक हो रहे आपराधिक घटनाओं से अब सरकार के सहयोगी भी सुशासन पर सवाल उठा रहे है. नीतीश कुमार की फटकार भी अब पुलिस अधिकारियो के लिए नाकाफी साबित होते दिखाई दे रही है. यही कारण है कि बिहार में अपराधी मस्त और पुलिस पस्त हो गई है.

2005 में सुशासन के नाम पर जनता ने दिया था जनमत
1990 से लेकर 2005 तक अपराध से भयकरान्त प्रदेश की जनता ने सुशासन के नाम पर 2005 में एनडीए को जनमत दिया. प्रदेश के मुखिया बनते ही नीतीश कुमार ने अपराधियों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया. सड़को पर पुलिस की धमक से अपराधी या तो डर से प्रदेश छोड़ दिये या फिर घरों में ही दुबक गए. नीतीश कुमार के 5 वर्षों के कार्यकाल से प्रभावित होकर बिहार की जनता ने 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में दिल खोलकर मतदान किया. राष्ट्रीय जनता दल मात्र 22 सीट पर ही सिमट कर रह गई. लेकिन सत्ता की हनक में अफसरशाही बढ़ता गया. अधिकारी काम को छोड़कर नीतीश कुमार को खुश करने में लगे रहे और अपराधियों ने बिहार में फिर जड़े जमा लिया. आज हलात यह है कि विपक्ष की बातें कौन कहे. सहयोगी भी इसे अब महाजंगल राज की संज्ञा देने लगे है.

नीरज कुमार सिंह, एसपी
नीरज कुमार सिंह, एसपी
पुलिस की लापरवाही से फलफूल रहा अपराधप्रदेश के बिगड़ती विधि व्यवस्था में पुलिसकर्मियों की लापरवाही भी सामने आ रही है. नगर थाना क्षेत्र के पुलिसकर्मियों के के माध्यम से 10 जनवरी को शराब तस्करी के दौरान उपेन्द्र कुमार और मणि कुमार नामक दो शराब तस्करों को गिरफ्तार किया गया था. जिसमें से एक शराब तस्कर कुख्यात अपराधी था. उसके बाद भी होंम गार्ड के जवानों के भरोसे व्यवहार न्यायालय में पेशी के लिए भेज दिया गया. जहां से दोनों पुलिस कस्टडी से भाग निकले. इस घटना की सूचना मिलते ही पुलिसकर्मियों में हड़कंप मच गई. एसपी नीरज कुमार सिंह ने पूरे मामले की जांच करने की जिम्मेदारी हेडक्वार्ट डीएसपी को दे दी.
देखें रिपोर्ट.

जांच रिपोर्ट में लापरवाही हुई उजागर
इस घटना के तीन दिन बाद 13 जनवरी को अपराधियों ने व्यवहार न्यायालय में सरेंडर कर दिया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. इधर डीएसपी ने सुपुर्द किए गए जांच रिपोर्ट का खुलासा करते हुए एसपी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि पेशी के दौरान व्यवहार न्यायालय के गेट से जो दो अपराधी भागे थे. उसमें से एक कुख्यात था जो चौकिदार का बेटा है. चौकिदार के माध्यम से इस बात को छुपाया गया जिसके कारण चौकिदार को निलंबित कर दिया गया है. दूसरी लापरवाही थाना स्तर पर भी हुआ है कि कुख्यात अपराधी को केवल होंम गार्ड के जवानों के भरोसे ही पेशी के लिए भेज दिया गया. जांच रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि नगर पुलिसकर्मियों के कस्टडी से भागने वाले दोनों अपराधियों को पुलिस ने हथकड़ी नहीं लगाई थी. जिसके कारण वह आसानी से निकल गए जो एक बड़ी लापरवाही है. इस संदर्भ में जो भी इसका जिम्मेदार है उसपर कार्रवाई की जा रही है.

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