बक्सर: 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी तैयारी में जुट गई है. राज्य सरकार के मुखिया नीतीश कुमार 15 साल जंगल राज बनाम 15 साल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लेकिन सीएम नीतीश के विकास कार्य लोगों तक कितनी पहुंची, इसकी झलक बक्सर जिले में देखने को मिली है.
जिला मुख्यालय से 2 किलोमीटर दूर सदर प्रखंड अंतर्गत कृतपुरा गांव में प्रशासन और सरकार के लापरवाही के कारण लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. इस गांव की आधी आबादी प्रत्येक दिन घुटना भर पानी से होकर गांव से बाहर निकलते और प्रवेश करते हैं. पानी निकासी के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध होने के बाद भी '7 निश्चय योजना' के तहत नाली निर्माण का कार्य नहीं हो पाया है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय लोगों ने बताया कि विकास के नाम पर पिछले 5 वर्षों में सरकार इस गांव के लिए कुछ नहीं किया. यदि विकास हुआ होता तो गांव के लोग प्रत्येक दिन घुटने भर पानी में प्रवेश कर गांव से बाहर नहीं निकलते. उन्होंने कहा कि अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से आग्रह करने के बाद भी सात निश्चय योजना के तहत नालियों का निर्माण नहीं किया गया. छोटे-छोटे स्कूली बच्चों ने बताया कि स्कूल जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जूता कपड़ा और किताब हाथ में टांग कर ले जाना पड़ता है या घर के लोग गोद में उठाकर ले जाते हैं.
'बिना पैसे के कैसे होगा विकास कार्य'?
वहीं, स्थानीय वार्ड पार्षद संदेश शाह ने कहा कि सात निश्चय योजना के तहत पैसा ही नहीं मिलता है. तो जनप्रतिनिधि विकास का काम कैसे करेगा. विभाग की ओर से भुगतान नहीं किया गया. ऐसे में विकास का काम कैसे होगा.
जानकारी के अनुसार बक्सर जिला में कई ऐसे गांव है, जो अभी भी विकास से सौ कोस दूर है. अब देखने वाली बात यह होगी कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जब स्थानीय जनप्रतिनिधि इन गांव में पहुंचते हैं. तो यहां की जनता उनसे कैसे हिसाब करती है.