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बक्सरः कोरोना के साथ-साथ अब बाढ़ का भी खौफ, दहशत में लोग

जिला प्रशासन की ओर से इस बार बाढ़ राहत केंद्र के बगल में आइसोलेशन सेंटर भी बनाए जाएंगे. ताकि कोरोना के संदिग्ध और संक्रमितों से अलग-थलग किया जा सके.

बक्सर
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Published : Aug 6, 2020, 1:26 PM IST

बक्सरः प्रदेश दो-दो आपदाओं से जूझ रहा है. लगभग सभी जिलों में कोरोना के मामले बढ़ रहे है. वहीं, 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. पटना भागलपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, बक्सर और सीवान में कोरोना की रफ्तार तेज है तो मधेपुरा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में बाढ़ अपनी विनाश लीला दिखा रही है.

बक्सर में कोरोना के साथ-साथ अब बाढ़ का भी खतरा मंडराने लगा है. गंगा के तटीय इलाके में बसे लोगों को बाढ़ का खतरा सताने लगा है. लोग पत्नी और बच्चों को मायके भेजकर घर के जरूरी सामानों के साथ सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने में लगे हैं.

5 प्रखंड में बाढ़ से मचती है तबाही
जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर और चक्की प्रखंड में प्रत्येक साल बाढ़ आती है. हजारों एकड़ में लगे धान और मक्के की फसल बर्बाद हो जाते हैं. इलाके के हजारों बाढ़ पीड़ित घर-बार छोड़कर बक्सर-कोइलवर तटबंध पर रहते हैं.

स्थानीय लोगों ने बताई अपनी परेशानी
जिला के सिमरी प्रखंड के गंगा दियारा इलाका में रहने वाली फूलवंती देवी ने बताया कि जब भी बाढ़ आती है, घर-बार सब गंगा की गोद मे समा जाता है. जान बचाने के लिए लोग इधर-उधर भागते हैं. उस मंजर के बारे में सोचकर ही रूह कांपने लगता है. वहीं, अशोक कुमार और उमाशंकर राय ने बताया कि घर की महिलाओं को अभी से ही मायके भेजा जा रहा है. पिछली बार सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत की घोषणा की थी., लेकिन उसका लाभ अभी तक नहीं मिला है.

प्रशासन ने पूरी कर ली है तैयारी
गौरतलब है कि जिले में गंगा नदी का जलस्तर धीमी गति से ही सही, लेकिन लगातार बढ़ रहा है. हालांकि जलस्तर फिलहाल चैतावनी बिंदु से 6 मीटर नीचे हैं. जिला प्रशासन का दावा है कि उसने बाढ़ से निपटने की तैयारी पूरी कर ली है. जहां भी राहत केंद्र बनाए जाएंगे, उसके बगल में आइसोलेशन सेंटर भी बनाए जाएंगे.

बक्सरः प्रदेश दो-दो आपदाओं से जूझ रहा है. लगभग सभी जिलों में कोरोना के मामले बढ़ रहे है. वहीं, 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. पटना भागलपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, नालंदा, बक्सर और सीवान में कोरोना की रफ्तार तेज है तो मधेपुरा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, खगड़िया, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में बाढ़ अपनी विनाश लीला दिखा रही है.

बक्सर में कोरोना के साथ-साथ अब बाढ़ का भी खतरा मंडराने लगा है. गंगा के तटीय इलाके में बसे लोगों को बाढ़ का खतरा सताने लगा है. लोग पत्नी और बच्चों को मायके भेजकर घर के जरूरी सामानों के साथ सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने में लगे हैं.

5 प्रखंड में बाढ़ से मचती है तबाही
जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर और चक्की प्रखंड में प्रत्येक साल बाढ़ आती है. हजारों एकड़ में लगे धान और मक्के की फसल बर्बाद हो जाते हैं. इलाके के हजारों बाढ़ पीड़ित घर-बार छोड़कर बक्सर-कोइलवर तटबंध पर रहते हैं.

स्थानीय लोगों ने बताई अपनी परेशानी
जिला के सिमरी प्रखंड के गंगा दियारा इलाका में रहने वाली फूलवंती देवी ने बताया कि जब भी बाढ़ आती है, घर-बार सब गंगा की गोद मे समा जाता है. जान बचाने के लिए लोग इधर-उधर भागते हैं. उस मंजर के बारे में सोचकर ही रूह कांपने लगता है. वहीं, अशोक कुमार और उमाशंकर राय ने बताया कि घर की महिलाओं को अभी से ही मायके भेजा जा रहा है. पिछली बार सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत की घोषणा की थी., लेकिन उसका लाभ अभी तक नहीं मिला है.

प्रशासन ने पूरी कर ली है तैयारी
गौरतलब है कि जिले में गंगा नदी का जलस्तर धीमी गति से ही सही, लेकिन लगातार बढ़ रहा है. हालांकि जलस्तर फिलहाल चैतावनी बिंदु से 6 मीटर नीचे हैं. जिला प्रशासन का दावा है कि उसने बाढ़ से निपटने की तैयारी पूरी कर ली है. जहां भी राहत केंद्र बनाए जाएंगे, उसके बगल में आइसोलेशन सेंटर भी बनाए जाएंगे.

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