बक्सर: पोस्टमार्टम के बाद भी गंगा नदी में मिली लाशों (Dead Bodies in Ganga River) के रहस्य से पर्दा नहीं उठा. 81 लाशों का पोस्टमार्टम किया गया था, लेकिन मौत के कारण का पता नहीं चला. डॉक्टर ने कहा कि बॉडी अधिक सड़ जाने के चलते मौत का कारण नहीं बता सकते.
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पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों की टीम में शामिल डॉक्टर अनिल कुमार सिंह ने कहा, "लाशें इतनी सड़ी गली अवस्था में मिली थी कि मौत की वजह का पता नहीं चल पाया. डीएनए जांच (DNA Test) के लिए सैंपल रखा गया है. 10 मई को 4 सदस्यीय चिकित्सकों की टीम ने 81 लाशों का पोस्टमार्टम किया था."
बता दें कि 10 मई को बक्सर (Buxar) जिले के चौसा प्रखंड के महदेवा घाट पर गंगा में लाशें तैरती मिली थी. कहा गया था कि कोरोना (Corona) के चलते मरे लोगों के शव गंगा में बहाये गए हैं. राष्ट्रीय स्तर पर यह मामला चर्चा का विषय बना था. विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर कोरोना से मारे गए लोगों की संख्या छिपाने का आरोप लगाया था. बिहार के अधिकारी लाशों के उत्तर प्रदेश से बहकर आने की बात कह रहे थे तो उत्तर प्रदेश के अधिकारियों का कहना था कि लाशों को बिहार में गंगा में बहाया गया.
विवाद बढ़ता देख बक्सर जिला प्रशासन द्वारा बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर गंगा नदी में महाजाल लगाया गया था ताकि उत्तर प्रदेश से आने वाली लाशों की पहचान की जा सके. पोस्टमार्टम के बाद भी यह पता नहीं चला कि शव बिहार के लोगों के थे या उत्तर प्रदेश के लोगों के.
"लाशें इतनी अधिक सड़ी गली अवस्था में मिली थी कि हमलोग यह भी नहीं बता सकते कि मृतक कहां के थे और मौत कितने समय पहले हुई थी."- डॉक्टर अनिल कुमार
मौत के आंकड़े छिपा रही सरकार
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की वजह पता नहीं चलने के बाद बक्सर के डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सरकार आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है. बता दें कि 9 जुलाई को उसी महादेवा घाट से फिर तैरती हुई 3 लाशें मिली हैं. जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा विधि विधान के साथ लाशों का गंगा घाट पर अंतिम संस्कार कराया गया.
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