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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने किया 'रामचंद्रायण' का लोकार्पण, रामचंद्र सिंह ने की है महाकाव्य की रचना

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Published : Nov 9, 2022, 1:08 PM IST

बक्सर में संत समागम (Sant Samagam in Buxar) का आयोजन किया गया है. इस खास मौके पर वहां आए आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रामचंद्रायण महाकाव्य का लोकार्पण किया. आगे पढ़ें पूरी खबर...

मोहन भागवत ने रामचंद्रायण का लोकार्पण किया
मोहन भागवत ने रामचंद्रायण का लोकार्पण किया

बक्सर: बिहार के बक्सर के संत समागम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रामचंद्रायण महाकाव्य का लोकार्पण (Mohan Bhagwat inaugurated Ramachandrayan) किया. बिहार के सिवान के रिटायर्ड प्रोफेसर 80 वर्षीय डॉ रामचंद्र सिंह (Retired Professor Ramchandra Singh) ने देश का पहला हिंदी में संपूर्ण राम कथा महाकाव्य की रचना रामचंद्रायण के नाम से की है. आठ सौ पन्नों के इस महाकाव्य की रचना करने में 10 वर्ष की अथक साधना लगी है. कोरोना काल के लॉकडाउन में इस महाकाव्य को अंतिम रूप दिया गया. स्वत्व प्रकाशन ने इस महाकाव्य को पब्लिश किया है.

पढ़ें-बक्सर में 11 लाख दीयों से बनी श्रीराम की 250 फीट की अनुकृति, भागलपुर के कलाकारों ने दिया रूप

प्रोफेसर अपने सरनेम में लगाते हैं गांव का नाम: सिवान जिले के सरसर गांव के निवासी प्रोफेसर रामचंद्र सिंह जो अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम भी सरनेम की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसी नाम से यानी कि रामचंद्र सिंह 'सूरसरिया' नाम से इस महाकाव्य की रचना की है. प्रोफेसर रामचंद्र सिंह सिवान जिले के प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज में वर्षों तक रसायन शास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं और साहित्य और अध्यात्म में इनकी गहरी रुचि रही है. इनका नाम तो रामचंद्र है ही, प्रोफेसर साहब अपने गांव सरसर के सैकड़ों वर्ष से चली आ रही परंपरागत रामलीला में भगवान राम की भूमिका भी निभाते रहे हैं. देश के पहले हिंदी संपूर्ण राम कथा महाकाव्य 'रामचंद्रायण' की रचना, रामचंद्र सिंह कर पाए.

विश्वामित्र के नेतृत्व में हुई थी शांति की स्थापनाः संत रामभद्राचार्य ने कहा कि अगर बक्सर आज प्रतिज्ञा कर ले तो पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो जाएगी. ऐसा बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के नेतृत्व में पूर्व में तड़का, मारीच, सुबाहु का अंत कर विश्व में शांति स्थापना किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महर्षि विश्वामित्र और ब्रह्मर्षि वशिष्ठ में बहुत विवाद था. फिर भी जब विश्वामित्र अयोध्या गए और राम को मांगा तो राजा दशरथ ने इनकार कर दिया था, किंतु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने ही राजा दशरथ से कह कर राम को विश्वामित्र के साथ भेजने के कहा था. मंच का संचालन जगत गुरु रामानुजाचार्य श्री लक्ष्मी प्रपन्ना श्री जियर स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. आरएन सिंह ने किया.

रामचंद्रायण के लेखक डॉ रामचंद्र सिंह
रामचंद्रायण के लेखक डॉ रामचंद्र सिंह

मौके पर कई गणमान्य मौजूद रहेः कार्यक्रम में बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे, सांसद सुशील सिंह, सांसद राम कृपाल यादव, सांसद नीरज शेखर, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश उपेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील बराला, राजेश्वर राज, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, कृष्णानंद शास्त्री, छविनाथ त्रिपाठी, दुर्गेश सिंह, आयोजन समिति के संयोजक राजेश सिंह उर्फ राघो जी, परशुराम चतुर्वेदी, श्री राम कर्मभूमि के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, अर्जित शाश्वत, अविरल शाश्वत, धनंजय चौबे, राजेंद्र ठाकुर, अरुण मिश्रा, प्रदीप राय, हिरामन पासवान, निर्भय राय, कतवारु सिंह, राजेंद्र सिंह, पुनीत सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, सौरभ तिवारी, विनय उपाध्याय, संजय साह, अभिषेक पाठक, सुरभि चौबे, पूनम रविदास, इंदु देवी, शीला त्रिवेदी, विनोद राय, सिद्धनाथ सिंह, जयप्रकाश राय, मिथिलेश पांडेय, मदन जी दुबे, विकाश कायस्थ, निक्कू तिवारी अभिनंदन सिंह, दीपक सिंह, त्रिभुवन पाठक, राहुल दुबे, मलिकार्जुन राय, अक्षय ओझा, मृत्युंजय सिंह, मनोज सिंह, दीपक सिंह, सौरभ चौबे, सुजीत सिंह, अखिलेश मिश्रा, ओम जी यादव, शेखर, विवेक चौधरी, नितिन मुकेश, पंकज मिश्रा, राहुल सिंह, सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

पढ़ें-'हर हाल में चाहिए POK और अक्साई चिन', सनातन संस्कृति समागम में संतों का ऐलान- 'याचना नहीं अब रण होगा'

बक्सर: बिहार के बक्सर के संत समागम में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रामचंद्रायण महाकाव्य का लोकार्पण (Mohan Bhagwat inaugurated Ramachandrayan) किया. बिहार के सिवान के रिटायर्ड प्रोफेसर 80 वर्षीय डॉ रामचंद्र सिंह (Retired Professor Ramchandra Singh) ने देश का पहला हिंदी में संपूर्ण राम कथा महाकाव्य की रचना रामचंद्रायण के नाम से की है. आठ सौ पन्नों के इस महाकाव्य की रचना करने में 10 वर्ष की अथक साधना लगी है. कोरोना काल के लॉकडाउन में इस महाकाव्य को अंतिम रूप दिया गया. स्वत्व प्रकाशन ने इस महाकाव्य को पब्लिश किया है.

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प्रोफेसर अपने सरनेम में लगाते हैं गांव का नाम: सिवान जिले के सरसर गांव के निवासी प्रोफेसर रामचंद्र सिंह जो अपने नाम के साथ अपने गांव का नाम भी सरनेम की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसी नाम से यानी कि रामचंद्र सिंह 'सूरसरिया' नाम से इस महाकाव्य की रचना की है. प्रोफेसर रामचंद्र सिंह सिवान जिले के प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज में वर्षों तक रसायन शास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं और साहित्य और अध्यात्म में इनकी गहरी रुचि रही है. इनका नाम तो रामचंद्र है ही, प्रोफेसर साहब अपने गांव सरसर के सैकड़ों वर्ष से चली आ रही परंपरागत रामलीला में भगवान राम की भूमिका भी निभाते रहे हैं. देश के पहले हिंदी संपूर्ण राम कथा महाकाव्य 'रामचंद्रायण' की रचना, रामचंद्र सिंह कर पाए.

विश्वामित्र के नेतृत्व में हुई थी शांति की स्थापनाः संत रामभद्राचार्य ने कहा कि अगर बक्सर आज प्रतिज्ञा कर ले तो पूरे विश्व में शांति की स्थापना हो जाएगी. ऐसा बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के नेतृत्व में पूर्व में तड़का, मारीच, सुबाहु का अंत कर विश्व में शांति स्थापना किया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि महर्षि विश्वामित्र और ब्रह्मर्षि वशिष्ठ में बहुत विवाद था. फिर भी जब विश्वामित्र अयोध्या गए और राम को मांगा तो राजा दशरथ ने इनकार कर दिया था, किंतु ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने ही राजा दशरथ से कह कर राम को विश्वामित्र के साथ भेजने के कहा था. मंच का संचालन जगत गुरु रामानुजाचार्य श्री लक्ष्मी प्रपन्ना श्री जियर स्वामी जी महाराज के द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. आरएन सिंह ने किया.

रामचंद्रायण के लेखक डॉ रामचंद्र सिंह
रामचंद्रायण के लेखक डॉ रामचंद्र सिंह

मौके पर कई गणमान्य मौजूद रहेः कार्यक्रम में बक्सर के सांसद अश्विनी चौबे, सांसद सुशील सिंह, सांसद राम कृपाल यादव, सांसद नीरज शेखर, पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश उपेंद्र तिवारी, पूर्व विधायक परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील बराला, राजेश्वर राज, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, कृष्णानंद शास्त्री, छविनाथ त्रिपाठी, दुर्गेश सिंह, आयोजन समिति के संयोजक राजेश सिंह उर्फ राघो जी, परशुराम चतुर्वेदी, श्री राम कर्मभूमि के अध्यक्ष कृष्णकांत ओझा, अर्जित शाश्वत, अविरल शाश्वत, धनंजय चौबे, राजेंद्र ठाकुर, अरुण मिश्रा, प्रदीप राय, हिरामन पासवान, निर्भय राय, कतवारु सिंह, राजेंद्र सिंह, पुनीत सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, सौरभ तिवारी, विनय उपाध्याय, संजय साह, अभिषेक पाठक, सुरभि चौबे, पूनम रविदास, इंदु देवी, शीला त्रिवेदी, विनोद राय, सिद्धनाथ सिंह, जयप्रकाश राय, मिथिलेश पांडेय, मदन जी दुबे, विकाश कायस्थ, निक्कू तिवारी अभिनंदन सिंह, दीपक सिंह, त्रिभुवन पाठक, राहुल दुबे, मलिकार्जुन राय, अक्षय ओझा, मृत्युंजय सिंह, मनोज सिंह, दीपक सिंह, सौरभ चौबे, सुजीत सिंह, अखिलेश मिश्रा, ओम जी यादव, शेखर, विवेक चौधरी, नितिन मुकेश, पंकज मिश्रा, राहुल सिंह, सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे.

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