बक्सरः बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की कार्रवाई पर सियासत तेज हो गई है. भाकपा माले के विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि केके पाठक बेलगाम घोड़ा हो गए हैं. उन्हें विधायिका के तहत काम करना चाहिए, लेकिन अपने मन से काम कर रहे हैं.
"केके पाठक शिक्षकों के लिए आदेश जारी कर फ्रस्टेशन निकाल रहे हैं. इससे पहले भी वे उत्पाद विभाग में थे. उन्होंने कहा था कि शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन कुछ नहीं कर पाए. अब शिक्षा विभाग में पता नहीं क्या कर देंगे? हमलोगों ने सीएम को इस बात से अवगत कराई है. इन्हें विधायिका के तहत रहना चाहिए, लेकिन ये बेलगाम घोड़े हो गए हैं."- अजीत कुमार सिंह, विधायक, भाकपा माले
हर दिन नया फरमान जारीः माले विधायक ने कहा कि प्रत्येक दिन केके पाठक एक नया फरमान जारी कर रहे हैं, लेकिन बिहार के अंदर कई ऐसे प्राथमिक और उच्च विद्यालय हैं, जिसमें बैठने के लिए बेंच डेस्क नहीं है. स्कूल में कमरे की कमी है. अगर 80 प्रतिशत बच्चे आ जाएंगे तो बैठने के लिए जगह नहीं बचेंगे. इस व्यवस्था को सुधारने के बजाए तालिबानी आदेश जारी कर रहे हैं.
'उत्पाद विभाग बर्बाद कर दिए': उन्होंने कहा कि केके पाठक का ही देन है कि बिहार में उत्पाद विभाग बर्बाद हो गया. कई अधिकारियों का ब्रेन हैमरेज हो गया. अब शिक्षा विभाग को रसातल में मिलाने के लिए पहुंचे हैं. शिक्षण संस्थान की भवन खंडहर बना हुआ है. शिक्षा विभाग को ठीक करने की चिंता है तो पहले बच्चों के पढ़ने के लिए संसाधन उपलब्ध कराएं
क्या है मामलाः बता दें कि शिक्षा विभाग में आने के बाद से केके पाठक लगातार शिक्षकों के लिए आदेश जारी कर रहे हैं. स्कूलों का निरीक्षण से लेकर शिक्षकों से बोरा और कबाड़ बेचने के लिए भी निर्देश जारी कर रहे हैं. प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहे हैं. केके पाठक के इस तरह के आदेश के बाद बिहार में सिसायत शुरू हो गई है.