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चौबे के संसदीय क्षेत्र में बदली अस्पतालों की तस्वीर, MBBS डॉक्टरों की नियुक्ति के साथ लगीं अत्याधुनिक मशीन

बक्सर में बदहाल सरकारी अस्पताल की व्यवस्था बदलने लगी है. अस्पताल में कई एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है. वहीं राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन, डिजिटल एक्सरे मशीन समेत कई उपकरणों को उपलब्ध कराया गया है.

Buxar
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Published : Sep 15, 2020, 2:25 PM IST

बक्सरः केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री सह बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के बदहाल सरकारी अस्पताल की व्यवस्था बदलने लगी है. हाल ही में राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन, डिजिटल एक्सरे मशीन समेत कई उपकरणों को उपलब्ध कराया गया है. इसके बाद इस अस्पताल की व्यवस्था में बदलाव दिखाई देने लगा है.

कई एमबीबीएस डॉक्टरों की हुई प्रतिनयुक्ति
वर्षों से मैन पावर के अभाव से जूझ रहे इस अस्पताल में कई एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है. सर्जन और फिजिशियन के नियुक्ति से अब मरीजों को रेफर करने की स्थिति उत्पन्न नही होंगी. सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ के सख्त रवैये और कार्रवाई को देख सभी स्वास्थ्य कर्मी अब अपनी आदतों को बदलने लगे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

अस्पताल प्रबंधक को कार्रवाई करने का मिला पावर
जिलाधिकारी अमन समीर एक महीने के अंदर कई बार सदर अस्पताल का निरीक्षण कर चुके है. अस्पताल परिसर के अंदर मनमानी कर रहे सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाम लगाने के लिए, सिविल सर्जन ने अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है. जो भी स्वास्थ्य कर्मी अपने नियम से अस्पताल को चलाने की कोशिश करेंगे, उन्हें कार्रवाई से कोई नहीं बचा सकता है.

राजनीतिक पार्टी के नेताओं का है कब्जा
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र होने के कारण, कई राजनीतिक पार्टी के नेताओं और मंत्री के करीबियों का इस अस्पताल पर वर्चस्व कायम है. मनमानी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर अधिकारी जैसे ही कार्रवाई करने की कवायद शुरू करते है, तो पॉलिटिकल दबाव बनाकर उनका यहां से ट्रांसफर करवा दिया जाता है. यहीं कारण है कि दो दशक से भी अधिक लंबे समय से कई स्वास्थ्य कर्मी एक ही जगह पर जमे हुए हैं. जिनको हटाने की हिम्मत आज तक किसी ने नहीं की.

जिले मे आंख का ऑपरेशन
आंख के ऑपरेशन कराने के लिए दूसरे जगह भटक रहे जिले वासियों को अब कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नवम्बर से सदर अस्पताल में आंख के ऑपरेशन कराने की सुविधा मिलने लगेगा. उसके लिए सिविल सर्जन के पहल पर, सदर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सुदृढ़ और उपकरणों से लैस किया जा रहा है. पहले कभी भी इस अस्पताल में सरकारी तंत्र से लोगों के आंखों का ऑपरेशन नहीं हुआ है.

क्या कहते है अधिकारी
सदर अस्पताल के व्यवस्था को लेकर सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि धीरे-धीरे अब अस्पताल परिसर गुलजार होने लगा है. यहां के मरीजों को अब सारी सुविधाएं इसी अस्पताल में मिलें, इसको लेकर कवायद तेज कर दी गई है. कई एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है. इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल से भी बेहतर सुविधा देने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है. 5 दिनों के अंदर म्यूजिक के मधुर धुन के बीच, मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाएगा.

क्या कहते है मरीज
अस्पताल में बहाल हो रहे सुविधाओं को लेकर कई मरीजों ने खुशी जाहिर की है. तो कईयों ने कहा कि कभी-कभी इस अस्पताल में एक दो ऐसी तस्वीर देखने को मिल जाता है. जिसे देखने के बाद भरोसा नहीं हो रहा है कि इस अस्पताल में भी बदलाव हो पाएगा. यदि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोशिश कर रहे हैं तो अच्छी बात है.

बक्सरः केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री सह बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के बदहाल सरकारी अस्पताल की व्यवस्था बदलने लगी है. हाल ही में राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन, डिजिटल एक्सरे मशीन समेत कई उपकरणों को उपलब्ध कराया गया है. इसके बाद इस अस्पताल की व्यवस्था में बदलाव दिखाई देने लगा है.

कई एमबीबीएस डॉक्टरों की हुई प्रतिनयुक्ति
वर्षों से मैन पावर के अभाव से जूझ रहे इस अस्पताल में कई एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है. सर्जन और फिजिशियन के नियुक्ति से अब मरीजों को रेफर करने की स्थिति उत्पन्न नही होंगी. सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ के सख्त रवैये और कार्रवाई को देख सभी स्वास्थ्य कर्मी अब अपनी आदतों को बदलने लगे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

अस्पताल प्रबंधक को कार्रवाई करने का मिला पावर
जिलाधिकारी अमन समीर एक महीने के अंदर कई बार सदर अस्पताल का निरीक्षण कर चुके है. अस्पताल परिसर के अंदर मनमानी कर रहे सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों पर लगाम लगाने के लिए, सिविल सर्जन ने अस्पताल प्रबंधक दुष्यंत सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है. जो भी स्वास्थ्य कर्मी अपने नियम से अस्पताल को चलाने की कोशिश करेंगे, उन्हें कार्रवाई से कोई नहीं बचा सकता है.

राजनीतिक पार्टी के नेताओं का है कब्जा
केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र होने के कारण, कई राजनीतिक पार्टी के नेताओं और मंत्री के करीबियों का इस अस्पताल पर वर्चस्व कायम है. मनमानी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर अधिकारी जैसे ही कार्रवाई करने की कवायद शुरू करते है, तो पॉलिटिकल दबाव बनाकर उनका यहां से ट्रांसफर करवा दिया जाता है. यहीं कारण है कि दो दशक से भी अधिक लंबे समय से कई स्वास्थ्य कर्मी एक ही जगह पर जमे हुए हैं. जिनको हटाने की हिम्मत आज तक किसी ने नहीं की.

जिले मे आंख का ऑपरेशन
आंख के ऑपरेशन कराने के लिए दूसरे जगह भटक रहे जिले वासियों को अब कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. नवम्बर से सदर अस्पताल में आंख के ऑपरेशन कराने की सुविधा मिलने लगेगा. उसके लिए सिविल सर्जन के पहल पर, सदर अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सुदृढ़ और उपकरणों से लैस किया जा रहा है. पहले कभी भी इस अस्पताल में सरकारी तंत्र से लोगों के आंखों का ऑपरेशन नहीं हुआ है.

क्या कहते है अधिकारी
सदर अस्पताल के व्यवस्था को लेकर सिविल सर्जन जितेंद्र नाथ ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि धीरे-धीरे अब अस्पताल परिसर गुलजार होने लगा है. यहां के मरीजों को अब सारी सुविधाएं इसी अस्पताल में मिलें, इसको लेकर कवायद तेज कर दी गई है. कई एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति हुई है. इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को निजी अस्पताल से भी बेहतर सुविधा देने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की जा रही है. 5 दिनों के अंदर म्यूजिक के मधुर धुन के बीच, मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से किया जाएगा.

क्या कहते है मरीज
अस्पताल में बहाल हो रहे सुविधाओं को लेकर कई मरीजों ने खुशी जाहिर की है. तो कईयों ने कहा कि कभी-कभी इस अस्पताल में एक दो ऐसी तस्वीर देखने को मिल जाता है. जिसे देखने के बाद भरोसा नहीं हो रहा है कि इस अस्पताल में भी बदलाव हो पाएगा. यदि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोशिश कर रहे हैं तो अच्छी बात है.

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