बक्सरः बिहार में लू लगने से 81 लोगों की मौत हो गई है, लेकिन प्रशासन 20 लोगों की मौत की पुष्टि कर रहा है. इधर, बक्सर में भी ऐसा ही मामला सामने आया है. एक ओर पुलिस कह रही है कि लू लगने से मौत हुई है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग संख्या शून्य बता रहा है. 3 दिन पहले जीआरपी थाना प्रभारी अखिलेश प्रसाद यादव और आज नगर थाना प्रभारी दिनेश कुमार मालाकार ने एक एक तस्वीर साझा कर किया है. सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि इनकी मौत लू लगने से हुई. यदि कोई इनको पहचानता है तो थाने को सूचित करें.
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लू की दवा की खपत बढ़ीः जिले में मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंकड़ों को छुपा कर स्याह सच पर पर्दा डालने में लगे हैं. अस्पताल से लेकर श्मशान तक चीखपुकार मची है. लू की दवा की खपत 10 गुणा से अधिक बढ़ गया है. अस्पताल में इलाजरत मरीज को 106 डिग्री फीवर आ रहा है, उसके बाद भी लू लगने से मौत की पुष्टि नहीं हो रहा है.
क्यों नहीं हो पा रही पुष्टिः जानकारों की माने तो जिले में जिस डक्टरों से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है, वह डॉक्टर पोस्टमार्टम करने के लिए वैलिड ही नहीं हैं. यही कारण है कि वह मौत की असली वजह को नहीं बता पा रहे हैं. पोस्टमार्टम के लिए फोरेंसिक, मेडिसिन टॉक्सिमोलॉजिस्ट डॉक्टर की जरूरत होती है, जो जिले में एक भी नहीं है. यही कारण था की कोरोना काल में 10 मई 2020 को गंगा नदी में तैरने वाली सैकड़ों लाशों की मौत का असली वजह पता नहीं चल सका.
5 दिनों में 46 की मौतः बता दें कि 14 जून से 19 जून तक 25 ऐसे लोग की मौत अस्पताल आने के दौरान रास्ते में हुई है, जो सदर अस्पताल के सरकारी रजिस्टर में दर्ज है. जबकि अस्पताल में इलाज के दौरान 21 लोगों की मौत हुई है. इतने मौत को डॉक्टरों ने ब्रॉड डेड घोषित किया है. स्वास्थ्यय विभाग की माने तो एक भी मौत लू लगने से नहीं हुई है. हालांकि बक्सर में स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसा कोई भी यंत्र नहीं है जिससे यह पता चल सके कि सभी की मौत लू से हुई है.