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लॉकडाउन इफेक्ट: पैर से लाचार शंकर ट्राइसाइकिल पर जूस बेचने को हुए मजबूर

शंकर साह ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे औद्योगिक थाना के गेट पर चाय, समोसे और पकौड़े बेचकर 8 लोगों के परिवार का भरण पोषण करते थे.

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Published : Jun 9, 2020, 12:16 PM IST

बक्सरः कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. दैनिक मजदूर, फुटपाथ पर दुकान लगाकर अपना जीवन यापन करने वाले लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इनलोगों के सामने खाने पीने तक की समस्या खड़ी हो गई है.

ट्राइसाइकिल पर बेचते हैं जूस
जिले में औधोगिक थाना क्षेत्र के मंझरिया गांव निवासी शंकर साह पैरों से लाचार हैं. लेकिन अपने परिवार का पेट पालने के लिए के लिए मजबूरीवश उन्होंने अपने ट्राई साइकल पर घूम घूमकर जूस बेचना शुरू कर दिया.

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जूस विक्रेता शंकर साह

कर्ज लेकर शुरू की दुकान
शंकर साह ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे औद्योगिक थाना के गेट पर चाय, समोसे और पकौड़े बेचकर 8 लोगों के परिवार का भरण पोषण करते थे. लॉकडाउन के बाद उन्होंने लोगों से कर्ज लेकर फिर से अपनी दुकान शुरू की. लेकिन दुकान पर कोई ग्राहक नहीं पहुंच रहा था. जिससे मजबूर होकर वे गांव में घूम-घूम कर जूस बेचने लगे.

देखें रिपोर्ट

फुटपाथ से लोग नहीं खरीद रहे सामान
शंकर साह ने बताया कि लोग कोरोना संक्रमण से इतना डर गए हैं कि फुटपाथ की दुकानों से कोई सामान खरीदना नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि जैसे-तैसे रोज 200 या 150 रुपये की बिक्री हो जाती है. जिससे परिवार के भरण पोषण के साथ कर्जदारों का कर्ज भी चुकाना पड़ता है. शंकर जैसे सैकड़ों लोगों को अनलॉक के बाद भी रोजी रोटी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिन्हें अब सरकार से मदद की आस है.

बक्सरः कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. दैनिक मजदूर, फुटपाथ पर दुकान लगाकर अपना जीवन यापन करने वाले लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इनलोगों के सामने खाने पीने तक की समस्या खड़ी हो गई है.

ट्राइसाइकिल पर बेचते हैं जूस
जिले में औधोगिक थाना क्षेत्र के मंझरिया गांव निवासी शंकर साह पैरों से लाचार हैं. लेकिन अपने परिवार का पेट पालने के लिए के लिए मजबूरीवश उन्होंने अपने ट्राई साइकल पर घूम घूमकर जूस बेचना शुरू कर दिया.

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जूस विक्रेता शंकर साह

कर्ज लेकर शुरू की दुकान
शंकर साह ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वे औद्योगिक थाना के गेट पर चाय, समोसे और पकौड़े बेचकर 8 लोगों के परिवार का भरण पोषण करते थे. लॉकडाउन के बाद उन्होंने लोगों से कर्ज लेकर फिर से अपनी दुकान शुरू की. लेकिन दुकान पर कोई ग्राहक नहीं पहुंच रहा था. जिससे मजबूर होकर वे गांव में घूम-घूम कर जूस बेचने लगे.

देखें रिपोर्ट

फुटपाथ से लोग नहीं खरीद रहे सामान
शंकर साह ने बताया कि लोग कोरोना संक्रमण से इतना डर गए हैं कि फुटपाथ की दुकानों से कोई सामान खरीदना नहीं चाहते. उन्होंने बताया कि जैसे-तैसे रोज 200 या 150 रुपये की बिक्री हो जाती है. जिससे परिवार के भरण पोषण के साथ कर्जदारों का कर्ज भी चुकाना पड़ता है. शंकर जैसे सैकड़ों लोगों को अनलॉक के बाद भी रोजी रोटी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जिन्हें अब सरकार से मदद की आस है.

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