बक्सर: देश में बड़े ही धूमधाम से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई. अधिकारी से लेकर सरकारी बाबुओं के तरफ से कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया. लेकिन दुर्भाग्य है कि आजादी के 73 साल बाद भी गांधी से जुड़े स्थल अपनी पहचान बचाने के लिए जूझ रहे हैं. साल 1917 के चंपारण आंदोलन से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के बीच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का आगमन बक्सर जिला के श्रीचन्द्र मन्दिर में 5 बार हुआ था.
विरासत को बचाने की पहल नहीं
महात्मा गांधी के विचारों और उनके भाषण से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई को बुलंद करने के लिए बक्सर जिले की महिलाओं ने अपने आभूषण तक उतारकर दे दिए थे. लेकिन, मौजदूा समय में गांधीजी से जुड़ा बक्सर का यह श्रीचन्द्र मन्दिर अपने बेबसी पर आंसू बहा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मंत्री हो या विधायक किसी ने भी अब तक इस खंडहरनुमा महात्मा गांधी से जुड़ी विरासत को बचाने की पहल नहीं की है.
पद यात्रा निकाली गई
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी से लेकर स्थानीय सांसद सह केंद्र सरकार के मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के तरफ से पद यात्रा निकाली गई थी. लेकिन गांधी से जुड़े इस धरोहर को बचाने के लिए किसी के पास कोई शब्द नहीं था.
मंत्री ने कहा लिखकर दे दीजिए
वहीं, पदयात्रा में पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को जब हमारे संवाददाता ने इन स्थानों से अवगत कराया तो उनका जवाब भी कुछ राजनीतिक तरह का ही था. उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा सवाल है, पत्रकार होने के नाते आपको कुछ ज्यादा नॉलेज होगा. लिखकर दे दीजिए, केंद्र एवं राज्य सरकार इसको ठीक कराएगी.