बक्सर: बिहार के बक्सर में शराब कारोबारियों का हौसले काफी बुलंद (Liquor Smugglers In Buxar) हैं. बक्सर पुलिस के द्वारा उत्तर प्रदेश से लगने वाले तमाम बॉर्डर इलाकों में सघन जांच अभियान चलाया जा रहा है. उसके बाद भी शराब तस्कर नए-नए फार्मूला का इजाद कर शराब का कारोबार करने में जुटे हैं. ताजा मामला औधोगिक थाना क्षेत्र के पड़री का है. जंहा एनएच 84 पर खड़ी 2 बोलेरो गाड़ी में शराब होने की सूचना उत्पाद विभाग के एसपी को मिली, जिसके बाद दलबल के साथ वो मौके पर पहुंचे. अधिकारियों ने दोनों वाहनों की जांच करना शुरू किया तो शराब तस्करी का ऐसा तकनीक देख उत्पाद अधीक्षक भी चौंक गए. तस्करों ने बोलेरो के छत में तहखाना बनाकर भारी मात्रा में शराब की तस्करी कर रहे थे.
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2 बोलेरो से 5 लाख का शराब बरामद : जिले में शराब तस्करी का ऐसा तकनीक अब तक सामने नहीं आया था. शराब कारोबारी बोलेरो के ऊपरी हिस्से में ही तहखाना बनाकर 5 लाख रु की शराब को रखकर आसानी से उत्तर प्रदेश से बक्सर की सीमा में प्रवेश कर गए, जबकि प्रत्येक बॉर्डर इलाके में तीन चेकपोस्ट से गुजरना होता है. उसके बाद भी शराब कारोबारी आसानी से शराब की बड़ी खेप लेकर निकल जा रहे हैं. गौरतलब है कि 1 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी का कानून लागू है. पुलिस तमाम बॉर्डर इलाकों से लेकर रेलवे स्टेशन एवं गंगा नदी में नियमित रूप से पेट्रोलिंग कर शराब माफिया पर नकेल कसने में लगी हुई है. वहीं शराब तस्कर पुलिस को चकमा देने के लिए, नए-नए, फार्मूला इजाद कर जिले में शराब की सप्लाई करने में लगे हुए है. शराब तस्कर अब चार पहिया वाहन के ऊपरी हिस्से में तहखाना बनाकर शराब शराब की सप्लाई कर रहे हैं.
नए-नए फार्मूला अपना रहे हैं तस्कर : शराब तस्करी के इस नए फार्मूला को देख उत्पाद विभाग के अधिकारियो के भी होश उड़ गए, उत्पाद अधीक्षक देवेन्द्र प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि बक्सर में शराबबन्दी कानून को जमीन पर नहीं उतरने के कई कारण हैं. 24 लाख की आबादी वाले इस जिले में उत्पाद विभाग के पास मात्र 5 कर्मी हैं. अर्थात 1 कर्मी के भरोसे 2 से अधिक प्रखण्ड में शराबबंदी कानून को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी है. बक्सर में रेल मार्ग, सड़क मार्ग, और नदी मार्ग से शराब का कारोबार तस्कर कर रहे हैं. 4 प्रखण्ड के दर्जनों गांव की सीमा उत्तर प्रदेश से लगे हैं. उसके बाद भी 5 सहयोगियों के साथ ही इस कानून को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रहा हूं.
'जिले का ऐसा बनावट है कि उत्तर प्रदेश के कई गांव गंगा के इस पार यानी कि बिहार की सीमा में है. जिसका संचालन उत्तर प्रदेश के सरकार के द्वारा ही किया जाता है. उन गांव में शराब की बड़ी-बड़ी दुकान है. जहां सीमा के नाम पर मात्र 1 फीट की दूरी है. उन दुकानों पर कार्रवाई करने का अधिकार बिहार सरकार के अधिकारी को नहीं है. जिसके कारण वहां से भी धड़ल्ले से शराब का कारोबार हो रहा है. उन दुकान को पीछे हटाने के लिए बिहार सरकार के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को भी पत्र लिखा हूं. पूरे जीवन में शराब तस्करी का ऐसा तकनीक मैंने कभी नहीं देखा था' - देवेन्द्र प्रसाद, उत्पाद अधीक्षक
2016 से ही प्रदेश में शराबबंदी : गौरतलब है साल 2016 से ही प्रदेश में शराबबंदी का कानून लागू है. उसके बाद भी जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र से प्रतिदिन सैकड़ों लीटर शराब बरामद हो रही है. अब तक बक्सर पुलिस के द्वारा किसी भी बड़े शराब माफिया पर ना तो करवाई की गई है और ना ही उसके संपत्ति को अटैच किया गया. यही कारण है कि कल तक पान की गुमटी चलाने वाला भी आज करोड़ों का शराब का कारोबार कर रहे हैं और कार्रवाई के नाम पर पुलिस वीर कुंवर सिंह सेतु पर उत्तर प्रदेश से आने वाले लोगों का मुंह सूंघ रही है. बता दें कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद ये कानून प्रदेश में पूरी तरह से लागू नहीं हो पा रहा है. जिस वजह से बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) द्वारा मद्य निषेध को लेकर लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी के तहत पिछले 5 महीने में हजारों लोगों पर एफआई दर्ज की गई और गिरफ्तारी भी हुई.
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