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पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचा था 7 साल का मासूम, स्वास्थ्यकर्मी बोले- जाओ पहले 2500 रुपये लेकर आओ - Minister of State for Health, Family Welfare, Ashwini Kumar Choubey

बक्सर से सामने आई खबर आपको झकझोर कर रख देगी. ना सिर्फ हैरानी होती है बल्कि यह सोचने पर मजबूर करता है कि कोई इंसान इतना नीचे कैसे गिर सकता है. कि मासूम बच्चों से पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के बदले 2500 रुपये की मांग करे.

बक्सर
पिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचा था मासूम
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Published : Feb 13, 2021, 12:41 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 2:27 PM IST

बक्सर: भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सदर अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है. पिता की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम हुआ था. 7 साल का बेटा पिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचा. जहां स्वास्थ्य कर्मियों ने मासूम भाई-बहन से 2500 रुपये की मांग की. दोनों मासूम स्वास्थ्य कर्मियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कर्मियों का दिल नहीं पसीजा.

ये भी पढ़ें..पटना में स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर दिया जा रहा ट्रेनिंग

कार्रवाई का आश्वासन
ईटीवी भारत के सवालों पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा कि बच्चों से स्वास्थ्यकर्मी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के एवज में 2500 रुपये मांगने की खबर सामने आई है. जांच की जा रही है. दोषियों जो होंगे उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

देखें रिपोर्ट

क्या है मामला
दरअसल, 26 दिसम्बर को हरिपुर के रहने वाले राजुकमार यादव इटाढ़ी थाना क्षेत्र से दैनिक मजदूरी कर देर शाम अपने घर वापस लौट रहे थे तभी रास्ते में ही स्कार्पियो सवार ने उन्हें कुचल दिया. जिसमें घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई. घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी जब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई तो मृतक के 7 वर्षीय पुत्री प्रतिमा और 6 बर्षीय पुत्र अभिषेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने सदर अस्पताल पहुंच गए.

बक्सर
सदर अस्पताल

जहां ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से जब उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो उसके एवज में स्वास्थ्य कर्मियों ने ढाई हजार रुपये की नजराना की मांग कर दी. काफी देर तक बच्चों के गिड़गिड़ाने के बाद भी जब स्वास्थ्य कर्मियो उनकी एक नहीं सुनी. उसी दौरान अस्पताल में मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरे दृश्य को फेसबुक लाइव कर दिया गया. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो में हड़कम्प मच गया.

बक्सर
मृतक का घर

ये भी पढ़ें..संजय जायसवाल ने राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा में दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

क्या कहते हैं बच्चे?
मृतक के 7 वर्षीय पुत्री प्रतिमा और 6 वर्षीय पुत्र अभिषेक ने बताया कि अभी तक पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है. जिसके कारण हम कहीं भी किसी योजना का लाभ लेने के लिए क्लेम भी नहीं कर पा रहे हैं. घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. पिता जी के गुजर जाने के बाद अब हमलोगों पर ही जिम्मेवारी आ गई है. डेढ़ माह हो गया लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिला है. जब हमलोगों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो वहां के स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा ढाई हजार रुपये की मांग की गई.

बक्सर
पिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचा था मासूम

'सदन में उठाएंगे मामला'
वहीं, इस मामले को लेकर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि यह मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना है. आमतौर पर स्वास्थ्य कर्मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को ही सुपुर्द करते हैं. यह जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों को उन बच्चों को दे देनी चाहिए. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एवज में पैसा की जो मांग की गई है. यह अति गम्भीर मामला है. 17 फरवरी को निगरानी की बैठक में और 19 फरवरी से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाऊंगा.

गौरतलब है कि जिस बक्सर जिला ने भारत सरकार में 2-2 बार केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिया हो. वहां के सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को कलंकित कर दिया है. देखने वाली बात यह होगी कि विभाग के वरीय अधिकारी इस बार भी कोई करवाई करते हैं या जांच के नाम पर मामले की लीपापोती कर देते हैं.

बक्सर: भारत सरकार के स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सदर अस्पताल से मानवता को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई है. पिता की मौत के बाद पोस्टमॉर्टम हुआ था. 7 साल का बेटा पिता की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचा. जहां स्वास्थ्य कर्मियों ने मासूम भाई-बहन से 2500 रुपये की मांग की. दोनों मासूम स्वास्थ्य कर्मियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कर्मियों का दिल नहीं पसीजा.

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कार्रवाई का आश्वासन
ईटीवी भारत के सवालों पर प्रभारी सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार ने कहा कि बच्चों से स्वास्थ्यकर्मी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के एवज में 2500 रुपये मांगने की खबर सामने आई है. जांच की जा रही है. दोषियों जो होंगे उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

देखें रिपोर्ट

क्या है मामला
दरअसल, 26 दिसम्बर को हरिपुर के रहने वाले राजुकमार यादव इटाढ़ी थाना क्षेत्र से दैनिक मजदूरी कर देर शाम अपने घर वापस लौट रहे थे तभी रास्ते में ही स्कार्पियो सवार ने उन्हें कुचल दिया. जिसमें घटना स्थल पर ही उनकी मौत हो गई. घटना के डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी जब पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई तो मृतक के 7 वर्षीय पुत्री प्रतिमा और 6 बर्षीय पुत्र अभिषेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने सदर अस्पताल पहुंच गए.

बक्सर
सदर अस्पताल

जहां ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों से जब उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो उसके एवज में स्वास्थ्य कर्मियों ने ढाई हजार रुपये की नजराना की मांग कर दी. काफी देर तक बच्चों के गिड़गिड़ाने के बाद भी जब स्वास्थ्य कर्मियो उनकी एक नहीं सुनी. उसी दौरान अस्पताल में मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरे दृश्य को फेसबुक लाइव कर दिया गया. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो में हड़कम्प मच गया.

बक्सर
मृतक का घर

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क्या कहते हैं बच्चे?
मृतक के 7 वर्षीय पुत्री प्रतिमा और 6 वर्षीय पुत्र अभिषेक ने बताया कि अभी तक पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है. जिसके कारण हम कहीं भी किसी योजना का लाभ लेने के लिए क्लेम भी नहीं कर पा रहे हैं. घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है. पिता जी के गुजर जाने के बाद अब हमलोगों पर ही जिम्मेवारी आ गई है. डेढ़ माह हो गया लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिला है. जब हमलोगों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग की तो वहां के स्वास्थ्य कर्मी के द्वारा ढाई हजार रुपये की मांग की गई.

बक्सर
पिता के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने पहुंचा था मासूम

'सदन में उठाएंगे मामला'
वहीं, इस मामले को लेकर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि यह मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना है. आमतौर पर स्वास्थ्य कर्मी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को ही सुपुर्द करते हैं. यह जानकारी स्वास्थ्य कर्मियों को उन बच्चों को दे देनी चाहिए. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के एवज में पैसा की जो मांग की गई है. यह अति गम्भीर मामला है. 17 फरवरी को निगरानी की बैठक में और 19 फरवरी से शुरू हो रहे विधानमंडल सत्र के दौरान इस मामले को सदन में उठाऊंगा.

गौरतलब है कि जिस बक्सर जिला ने भारत सरकार में 2-2 बार केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिया हो. वहां के सरकारी अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मियों ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को कलंकित कर दिया है. देखने वाली बात यह होगी कि विभाग के वरीय अधिकारी इस बार भी कोई करवाई करते हैं या जांच के नाम पर मामले की लीपापोती कर देते हैं.

Last Updated : Feb 13, 2021, 2:27 PM IST
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