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बक्सर: सरकारी संस्था ने नहीं शुरू की धान की खरीदारी, मायूस हुए किसान

बक्सर में सरकारी संस्थाओं ने धान की खरीदारी शुरू नहीं की है. जिसकी वजह से किसान काफी परेशान हैं. वहीं व्यापारी किसानों से औने-पौने दाम पर धान बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं.

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धान की खरीदारी
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Published : Nov 17, 2020, 4:45 PM IST

बक्सर: कोरोना वैश्विक महामारी के बीच, अपने परिश्रम के बदौलत जिला के किसानों ने धान का बंपर उत्पादन किया है. धान की कटनी समाप्ति की ओर है. उसके बाद अब किसान अपने उत्पादन को बेचने के लिये परेशान हैं. किसी भी सरकारी संस्था ने अब तक धान की खरीदारी नहीं की है. जिसके कारण स्थानीय व्यापारी किसानों से औने-पौने दाम पर फसल बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं.

धान बेचने के लिए दबाव
जिले के किसानों की माने तो स्थानीय व्यापारी, कोरोना काल और पुनः लॉकडाउन लगने का अफवाह फैलाकर किसानों से औने-पौने दाम पर धान बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं. सरकार की ओर से सामान्य धान की कीमत एक हजार 868 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि एक नंबर धान की कीमत एक हजार 888 रुपये तय की गयी है.

खेतों में धान की कटनी
उसके बाद भी स्थानीय व्यापारी एक हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को धान बेचने के लिए कह रहे हैं. खेतों में धान की कटनी कर रहे जिला के किसान हरदयाल केसरी ने बताया कि स्थानीय व्यापारी 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं. सरकारी संस्थाएं धान की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में किसान अपना उत्पादन कहां बेचे.

क्या कहते हैं अधिकारी
किसानों के इस समस्या को लेकर जब जिला सहकारिता पदाधिकारी बबन मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार ने सामान्य धान एक हजार 868 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि एक नंबर धान की कीमत एक हजार 888 रुपये प्रति क्विंटल तय की गयी है. 20 नवंबर के बाद पैक्स के माध्यम से धान की खरीदारी की जाएगी.

पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन
पैक्स में वही किसान अपना धान बेच पाएंगे जो, सहकारिता विभाग के पोर्टल पर आवेदन ऑनलाइन किये होंगे. वर्ष 2019-20 के दौरान सहकारिता विभाग ने एक लाख मैट्रिक टन धान खरीद करने का लक्ष्य रखा था. लेकिन विभाग ने मात्र 44000 मीट्रिक टन ही धान की खरीदारी की थी. जिसके कारण अधिकांश किसानों ने बिचौलियों के माध्यम से ही अपने उत्पादन को बेच दिया था.

सरकारी संस्थाओं ने नहीं की खरीदारी
बता दें लॉकडाउन के दौरान घर आये प्रवासी श्रमिकों के सहयोग से जिला के किसानों ने 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान का उत्पादन किया है. धान की कटनी समाप्ति की ओर है. उसके बाद भी अब तक सरकारी संस्थाओं ने धान की खरीदारी नहीं की है.

बक्सर: कोरोना वैश्विक महामारी के बीच, अपने परिश्रम के बदौलत जिला के किसानों ने धान का बंपर उत्पादन किया है. धान की कटनी समाप्ति की ओर है. उसके बाद अब किसान अपने उत्पादन को बेचने के लिये परेशान हैं. किसी भी सरकारी संस्था ने अब तक धान की खरीदारी नहीं की है. जिसके कारण स्थानीय व्यापारी किसानों से औने-पौने दाम पर फसल बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं.

धान बेचने के लिए दबाव
जिले के किसानों की माने तो स्थानीय व्यापारी, कोरोना काल और पुनः लॉकडाउन लगने का अफवाह फैलाकर किसानों से औने-पौने दाम पर धान बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं. सरकार की ओर से सामान्य धान की कीमत एक हजार 868 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि एक नंबर धान की कीमत एक हजार 888 रुपये तय की गयी है.

खेतों में धान की कटनी
उसके बाद भी स्थानीय व्यापारी एक हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को धान बेचने के लिए कह रहे हैं. खेतों में धान की कटनी कर रहे जिला के किसान हरदयाल केसरी ने बताया कि स्थानीय व्यापारी 1000 से 1100 रुपये प्रति क्विंटल धान बेचने के लिए दबाव बना रहे हैं. सरकारी संस्थाएं धान की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में किसान अपना उत्पादन कहां बेचे.

क्या कहते हैं अधिकारी
किसानों के इस समस्या को लेकर जब जिला सहकारिता पदाधिकारी बबन मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सरकार ने सामान्य धान एक हजार 868 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि एक नंबर धान की कीमत एक हजार 888 रुपये प्रति क्विंटल तय की गयी है. 20 नवंबर के बाद पैक्स के माध्यम से धान की खरीदारी की जाएगी.

पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन
पैक्स में वही किसान अपना धान बेच पाएंगे जो, सहकारिता विभाग के पोर्टल पर आवेदन ऑनलाइन किये होंगे. वर्ष 2019-20 के दौरान सहकारिता विभाग ने एक लाख मैट्रिक टन धान खरीद करने का लक्ष्य रखा था. लेकिन विभाग ने मात्र 44000 मीट्रिक टन ही धान की खरीदारी की थी. जिसके कारण अधिकांश किसानों ने बिचौलियों के माध्यम से ही अपने उत्पादन को बेच दिया था.

सरकारी संस्थाओं ने नहीं की खरीदारी
बता दें लॉकडाउन के दौरान घर आये प्रवासी श्रमिकों के सहयोग से जिला के किसानों ने 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान का उत्पादन किया है. धान की कटनी समाप्ति की ओर है. उसके बाद भी अब तक सरकारी संस्थाओं ने धान की खरीदारी नहीं की है.

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