बक्सर: बिहार के बक्सर जिले में डीएपी की घोर किल्लत के बाद बिना उर्वरक (Buxar Urea Crisis) के ही जिले के 95% किसानों ने रबी फसल की बुवाई कर ली है. लगभग 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर गेहूं फसल की बुवाई हुई है. किसान गेहूं की पहली सिंचाई करने के बाद अब यूरिया के छिड़काव करने के लिए दुकानदारों से लेकर जिला कृषि कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. उसके बाद अब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है.
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बक्सर जिले में 2 लाख 9 हजार रजिस्टर्ड किसान है, जिनके द्वारा 1 लाख 6 हजार हेक्टेयर भूमि पर रबी फसल की बुवाई की गई है. विभागीय अधिकारियों की माने तो 95% किसानों ने रबी फसल की बुवाई कर ली है. लगभग 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने गेहूं फसल की बुवाई की है. पहली सिंचाई करने के बाद अब यूरिया का छिड़काव करने के लिए किसान दुकानदारों से लेकर जिला मुख्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन, उन्हें यूरिया नहीं मिल रहा है. कुछ प्राइवेट डीलरों ने पहले ही यूरिया को अपने गोदामों में जमा कर लिया है और अब वो 266 रुपये पैकेट का यूरिया 500 से लेकर 700 में बेच रहे हैं.
बक्सर में अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले भाकपा माले विधायक अजित कुमार सिंह के बाद अब सत्ताधारी दल जदयू के नेताओं ने भी अपने ही सरकार के अधिकारियों पर गम्भीर आरोप लगाया है. बक्सर में यूरिया की किल्लत पर जदयू प्रवक्ता अशोक कुमार सिंह (JDU on shortage of urea in Buxar) ने कहा कि ''अफसरशाही चरम पर है. जिले की सड़कों पर यूरिया के लिए किसान भूखे, प्यासे दौड़ रहे हैं और अधिकारी कोरोना का बहाना बनाकर कार्यालय के मुख्य गेट पर ताला बंदकर अंदर हैं.''
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डीएपी के बाद अब यूरिया की किल्लत और कालाबाजारी से परेशान सैकड़ों किसान जिला कृषि पदाधिकारी से गुहार लगाने के लिए कृषि कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन मुख्य गेट पर ही अधिकारियों ने ताला बंद करा दिया है. ताकि किसानों से उनकी मुलाकात न हो, नाराज किसान गेट पर ही नारे बाजी कर खुद के भाग्य को कोसते हुए घर लौट जा रहे हैं, लेकिन उन्हें यूरिया सस्ते दर पर नहीं मिल रहा है. किसानों ने बताया कि जब रबी फसल की बुवाई का समय था तो डीएपी नहीं मिला, खरपतवार डालकर किसी तरह गेहूं की बुवाई की गई. अब सिंचाई करने के बाद यूरिया नहीं मिल रहा है.
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