बक्सर: कोरोना वैश्विक महामारी के बीच प्रवासी श्रमिकों और किसानों की मेहनत के बदौलत इस साल जिले में धान की काफी पैदावार हुई है. किसानों की ओर से कुल 90 हजार हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती की गई है. लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जिले के किसान औने-पौने दाम पर धान बेचने के लिए मजबूर हैं.
खेतों में ही पड़ा है धान
किसानो के मुताबिक 15 नवंबर से रवि फसल की बुआई शुरू हो जाती है. इसके बाद भी अधिकांश किसान रवि फसल की बुआई नहीं कर पा रहे हैं. धान के कटनी होने के बाद भी धान खेतो में ही पड़ा है और स्थानीय व्यापारियों की ओर से ओने पौने दाम पर धान बेचने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. जिसके कारण जिले के किसान सरकारी बाबू से लेकर जनप्रतिनिधियों तक गुहार लगाकर किसी तरह से अपनी उपज को बेचने की कोशिश कर रहे हैं. अब तक जिले के किसी भी प्रखंड में सरकारी संस्था की ओर से धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है. जिसके कारण किसान परेशान है.
देश मे धान के लिए फेमस है बिहार का शाहाबाद
देश में धान के कटोरे के नाम से विख्यात बिहार के शाहाबाद इलाके के किसानों ने बताया कि तमाम परेशानी के बाद भी धान का बंपर उत्पादन किया. लेकिन किसी भी सरकारी संस्था की ओर से धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि फसल की बिक्री उचित मूल्य पर नहीं हुई तो उनके सामने भूखमरी की स्थिति हो जाएगी. वहीं, राजपुर विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को धान की बिक्री के लिए 1 सप्ताह का समय दिया है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारियों के पहल पर यदि सरकारी संस्थाओं की ओर से तत्काल धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई तो 1 हजार ट्रैक्टर पर धान लादकर कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ा कर देंगे. साथ ही पूरे बक्सर के किसान चक्का जाम कर देंगे.
धान की नहीं हो रही खरीदारी
बता दें कि जिले के किसी भी प्रखंड में धान की खरीदारी शुरू नहीं की गई है. सरकार की ओर से विभागीय अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि एक नंबर का धान 1,888 रुपये क्विंटल जबकि अन्य धान 1,868 प्रति क्विंटल की दर से खरीदें. इसके बाद भी किसी भी सरकारी संस्था की ओर से धान की खरीदारी नहीं की जा रही है. जिसके बाद जिले के किसान सरकारी बाबुओं के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में हैं.