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ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से करें खेतों की सिंचाई, सरकार दे रही है मशीन खरीद पर 90% अनुदान - बक्सर में उद्यानिक फसलों की खेती

बक्सर में ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई के लिए किसानों को विभागीय अधिकारी जागरूक कर रहे है. ड्रिप विधि से सिंचाई करने वाले किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर सरकार मशीन उपलब्ध करा रही है.

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Published : Feb 26, 2021, 5:06 PM IST

बक्सर: किसानों का पारंपरिक खेती यानी धान, गेंहू छोड़ अब उद्यानिकी फसलों की तरफ रुझान बढ़ने लगा है. बक्सर, सिमरी , डुमरांव और राजपुर प्रखंड के किसानों ने पपीता, केला, अमरूद, नींबू और आम की खेती करनी शुरू कर दी है. जिले के किसानों की मानें तो, इन उद्यानिक फसलों की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

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विभागीय अधिकारी किसानों को कर रहे जागरूक
जिला में उद्यानिकी फसलों की किसानी को बढ़ावा देने के लिए विभागीय अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं. अधिकारी उद्यानिक फसलों की खेतीं करने और ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं. ताकि कम लागत में किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सके.

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लोगों को किया जा रहा जागरूक

90 प्रतिशत अनुदान दे रही सरकार
ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई के लिए सभी वर्ग के लघु और सीमांत किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं. सरकार इस योजना पर 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है. किसानों को केवल 10 प्रतिशत ही राशि खर्च करनी है. ड्रिप इरिगेशन विधि से पानी सीधे पौधों के जड़ में बून्द बून्द कर गिरता है, जबकि स्प्रिंकलर विधि से वर्षा के बून्द की तरह, फसल के पत्तियों पर पानी गिरता है. जिससे 60-70 प्रतिशत जल का संरक्षण भी होता है.

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क्या कहते हैं अधिकारी?
उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सिमरी प्रखण्ड के किसानों को जागरूक करने पहुंची, जिला उद्यान पदाधिकारी सुपर्णा सिन्हा ने सरकारी अनुदान को लेकर किसानों को विस्तृत रुप से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने के इक्षुक किसानों को, सरकार 90 प्रतिशत अनुदान इस योजना के तहत दे रही है. जिला के सिमरी, बक्सर, राजपुर, डुमरांव प्रखण्ड में कुछ किसानों ने पपीता, केला, आम, मेंथा, नींबू आदि की खेतीं करना शुरू कर दी है. इसको बढ़ावा देने के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित किया जा रहा है. ताकि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और जल का संरक्षण भी हो.

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जल स्तर को बचाने के लिए ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि जरुरी
वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर मंधाता सिंह ने बताया कि ड्रिप एरिगेशन विधि से सिंचाई करने पर पानी और पोषक तत्व सीधे पौधे के जड़ को बून्द बून्द कर प्राप्त होता है. फिर जड़ के माध्यम से पौधे को पानी और पोषक तत्व प्राप्त होता है, जिससे किसानों को दो फायदा होता है. पानी पूरे खेत में नहीं फैलता है. खर पतवार भी नहीं निकलता है. साथ ही पानी की बचत भी होती है. वही स्प्रिंकलर विधि से जब किसान अपने फसलों का सिंचाई करते हैं, तो इसमें वर्षा के बून्द की तरह पानी सीधे सभी पौधों के पत्ते पर गिरता है. इससे सभी पौधे को एक समान पानी प्राप्त होता है. जिससे खेतो में कहीं भी जल जमाव या सूखा रह जाने की स्थिति नहीं रहती है. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर किसान इस विधि को समझने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र भी आ रहे हैं. गौरतलब है कि गिरते जल स्तर को बचाने के लिए विभागीय अधिकारी और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को लगतार, ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से खेतों की सिंचाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

ड्रिप और स्प्रिंकलर विधि से करें खेतों की सिंचाई, सरकार दे रही है मशीन खरीद पर 90% अनुदान

बक्सर: किसानों का पारंपरिक खेती यानी धान, गेंहू छोड़ अब उद्यानिकी फसलों की तरफ रुझान बढ़ने लगा है. बक्सर, सिमरी , डुमरांव और राजपुर प्रखंड के किसानों ने पपीता, केला, अमरूद, नींबू और आम की खेती करनी शुरू कर दी है. जिले के किसानों की मानें तो, इन उद्यानिक फसलों की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.

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विभागीय अधिकारी किसानों को कर रहे जागरूक
जिला में उद्यानिकी फसलों की किसानी को बढ़ावा देने के लिए विभागीय अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं. अधिकारी उद्यानिक फसलों की खेतीं करने और ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं. ताकि कम लागत में किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो सके.

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लोगों को किया जा रहा जागरूक

90 प्रतिशत अनुदान दे रही सरकार
ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई के लिए सभी वर्ग के लघु और सीमांत किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं. सरकार इस योजना पर 90 प्रतिशत अनुदान दे रही है. किसानों को केवल 10 प्रतिशत ही राशि खर्च करनी है. ड्रिप इरिगेशन विधि से पानी सीधे पौधों के जड़ में बून्द बून्द कर गिरता है, जबकि स्प्रिंकलर विधि से वर्षा के बून्द की तरह, फसल के पत्तियों पर पानी गिरता है. जिससे 60-70 प्रतिशत जल का संरक्षण भी होता है.

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क्या कहते हैं अधिकारी?
उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए सिमरी प्रखण्ड के किसानों को जागरूक करने पहुंची, जिला उद्यान पदाधिकारी सुपर्णा सिन्हा ने सरकारी अनुदान को लेकर किसानों को विस्तृत रुप से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई करने के इक्षुक किसानों को, सरकार 90 प्रतिशत अनुदान इस योजना के तहत दे रही है. जिला के सिमरी, बक्सर, राजपुर, डुमरांव प्रखण्ड में कुछ किसानों ने पपीता, केला, आम, मेंथा, नींबू आदि की खेतीं करना शुरू कर दी है. इसको बढ़ावा देने के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित किया जा रहा है. ताकि किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और जल का संरक्षण भी हो.

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जल स्तर को बचाने के लिए ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि जरुरी
वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर मंधाता सिंह ने बताया कि ड्रिप एरिगेशन विधि से सिंचाई करने पर पानी और पोषक तत्व सीधे पौधे के जड़ को बून्द बून्द कर प्राप्त होता है. फिर जड़ के माध्यम से पौधे को पानी और पोषक तत्व प्राप्त होता है, जिससे किसानों को दो फायदा होता है. पानी पूरे खेत में नहीं फैलता है. खर पतवार भी नहीं निकलता है. साथ ही पानी की बचत भी होती है. वही स्प्रिंकलर विधि से जब किसान अपने फसलों का सिंचाई करते हैं, तो इसमें वर्षा के बून्द की तरह पानी सीधे सभी पौधों के पत्ते पर गिरता है. इससे सभी पौधे को एक समान पानी प्राप्त होता है. जिससे खेतो में कहीं भी जल जमाव या सूखा रह जाने की स्थिति नहीं रहती है. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर किसान इस विधि को समझने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र भी आ रहे हैं. गौरतलब है कि गिरते जल स्तर को बचाने के लिए विभागीय अधिकारी और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को लगतार, ड्रिप एरिगेशन और स्प्रिंकलर विधि से खेतों की सिंचाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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