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बक्सर: सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेले की शुरुआत, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम - मेले में आते हैं हजारों श्रद्धालु

बक्सर में पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा मेला की शुरुआत रविवार को अहिरौली से हो गई. जो अगले पांच दिनों तक चलेगा. जिसका समापन चरित्रवन में लिट्टी चोखा खाने के साथ होगा.

सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेले की शुरुआत
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Published : Nov 17, 2019, 7:21 PM IST

बक्सर: उत्तरायणी गंगा के तट पर बसा बक्सर प्राचीन काल से ही एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है. ऐसे में यहां लगने वाला सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला भी सबके आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है. पांच दिनों तक चलने वाला यह परिक्रमा मेला अहिरौली से शुरू होकर चरित्रवन में समाप्त होता है. वहीं मेले में लोगों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम किया गया है.

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मेले में शामिल श्रद्धालु

लिट्टी-चोखा के साथ होगा समापन
बता दें कि महर्षि विश्वामित्र के तपोस्थली और भगवान श्रीराम के शिक्षा स्थली के रूप सुप्रसिद्ध यह नगर आज भी अपने आंगन में उन पौराणिक स्मृतियों को सजाए हुए हैं. उन्हीं परंपराओं में एक बक्सर का सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला होता है. पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा मेला की शुरुआत रविवार को अहिरौली से हो गई. जो अगले पांच दिनों तक चलेगा. जिसका समापन चरित्रवन में लिट्टी चोखा खाने के साथ होगा.

सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेले की शुरुआत

मेले में आते हैं हजारों श्रद्धालु
मान्यता है कि जब भगवान राम महर्षि विश्वामित्र के साथ ताड़िका वध के लिए बक्सर आये थे. इसी समय महर्षि गौतम की शापित पत्नी अहिल्या का अपने चरण से छूकर उद्धार किये थे. बाद में और चार जगह नारद मुनि का आश्रम, भार्गव मुनि का आश्रम फिर अंत मे चरित्रवन गये जहां खुद महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था. भगवान राम के इसी यात्रा के बाद पंचकोशी परिक्रमा मेला शुरू हो गई. जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं. इस अवसर पर यहां भजन संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित होता है.

बक्सर: उत्तरायणी गंगा के तट पर बसा बक्सर प्राचीन काल से ही एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना जाता है. ऐसे में यहां लगने वाला सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला भी सबके आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है. पांच दिनों तक चलने वाला यह परिक्रमा मेला अहिरौली से शुरू होकर चरित्रवन में समाप्त होता है. वहीं मेले में लोगों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम किया गया है.

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मेले में शामिल श्रद्धालु

लिट्टी-चोखा के साथ होगा समापन
बता दें कि महर्षि विश्वामित्र के तपोस्थली और भगवान श्रीराम के शिक्षा स्थली के रूप सुप्रसिद्ध यह नगर आज भी अपने आंगन में उन पौराणिक स्मृतियों को सजाए हुए हैं. उन्हीं परंपराओं में एक बक्सर का सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला होता है. पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा मेला की शुरुआत रविवार को अहिरौली से हो गई. जो अगले पांच दिनों तक चलेगा. जिसका समापन चरित्रवन में लिट्टी चोखा खाने के साथ होगा.

सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेले की शुरुआत

मेले में आते हैं हजारों श्रद्धालु
मान्यता है कि जब भगवान राम महर्षि विश्वामित्र के साथ ताड़िका वध के लिए बक्सर आये थे. इसी समय महर्षि गौतम की शापित पत्नी अहिल्या का अपने चरण से छूकर उद्धार किये थे. बाद में और चार जगह नारद मुनि का आश्रम, भार्गव मुनि का आश्रम फिर अंत मे चरित्रवन गये जहां खुद महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था. भगवान राम के इसी यात्रा के बाद पंचकोशी परिक्रमा मेला शुरू हो गई. जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं. इस अवसर पर यहां भजन संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित होता है.

Intro:
उत्तरायणी गंगा के तट पर बसा बक्सर प्राचीन काल से ही एक धार्मिक और आध्यात्मिक नगरी के रूप में जाना व पहचाना जाता रहा है।महर्षि विश्वामित्र के तपोस्थलीऔर भगवान श्रीराम के शिक्षा स्थली के रूप सुप्रसिद्ध यह नगर आज भी अपने आंगन में उन पौराणिक स्मृतियों को सजाये हुए है । उन्हीं परंपराओं में एक आता है बक्सर का सुप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला ।पांच दिनों तक चलने वाला यह परिक्रमा मेला अहिरौली से शुरू होकर चरित्रवन में समाप्त होता है ।
यहीं पांच दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा मेला की आज अहिरौली से शुरुआत हुई है ।जो अगले पांच दिनों तक चलेगी ।जिसका समापन चरित्रवन में लिट्टी चोखा खाने के साथ होगा ।Body:मान्यता है कि जब भगवान राम महर्षि विश्वामित्र के साथ तड़का वध के लिए बक्सर आये थे तो महर्षि गौतम की शापित पत्नी अहिल्या का अपने चरण से छूकर उद्धार किये थे ।बाद में और चार जगह नादाँव (नारद मुनि का आश्रम), मभुआर (भार्गव मुनि का आश्रम) ,नुवाव (नारद मुनि का आश्रम) फिर अंत मे चरित्रवन गये जहाँ खुद महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था ।भगवान राम के इसी यात्रा के बाद पंचकोशी परिक्रमा मेला शुरू हो गई जिसमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं ।इस अवसर पर यहाँ भजन संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित होता है ।
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