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पीड़ित लड़की को इंसाफ का इंतजार, कहा- 3 महीने बाद भी न कोई देखने आया और न ही दोषी पकड़े गए

बक्सर में युवती से दुष्कर्म की कोशिश (Attempt to molest girl in Buxar) और मारपीट की जिस घटना पर जिले में खूब राजनीति हुई, उस पीड़ित लड़की का आरोप है कि घटना को हुए तीन महीने से अधिक का समय गुजर गया है, लेकिन आज तक ना तो कोई अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधियों ने उसकी सुध ली. इस घटना में शामिल एक भी आरोपी की गिरफ्तारी तक नहीं हुई और मुख्यमंत्री सुशासन की बात कर रहे हैं.

पीड़ित लड़की को इंसाफ का इंतजार
पीड़ित लड़की को इंसाफ का इंतजार
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Published : Jan 29, 2022, 10:55 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर में युवती से दुष्कर्म की कोशिश (Attempt to Molest Girl in Buxar) के दौरान उसके साथ बुरी तरह से मारपीट की गई थी. गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां उसकी स्थिति धीरे-धीरे ठीक हो रही है. वहीं उसके नाम पर सियासतदानों ने सियासत तो खूब चमकाई लेकिन कोई उसका कुशलक्षेम तक लेने नहीं गया. पीड़िता ने खुद अपनी तकलीफ जाहिर करते हुए कहा कि कोई हाल पूछने नहीं आया.

ये भी पढ़ें: आर्मी में जाने की चाहत रखने वाली दलित बेटी की दरिंदो ने फोड़ी आंख, 90 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली

अस्पताल में इलाजरत पीड़िता और उसकी मां ने स्थानीय कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम (Congress MLA Vishwanath Ram) के उस दावे को भी गलत बताया, जिसमें एमएलए ने कहा था कि वे पीड़ित लड़की से मिल चुके हैं. पीड़िता ने कहा, 'इस घटना को हुए तीन महीने से अधिक का समय गुजर गया, लेकिन आज तक ना तो कोई अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधियों ने हमारी सुध ली. इस घटना में शामिल एक भी आरोपी की गिरफ्तारी तक नहीं हुई और मुख्यमंत्री सुशासन की बात कर रहे हैं.' वहीं, पीड़िता की मां देवंती देवी ने कहा, 'इस घटना के बाद से लगातार हॉस्पिटल में हूं. कोई भी राजनेता मेरी बेटी को देखने तक नहीं आया. यदि बिहार में इलेक्शन होता है तो सबको दलित और महादलित की चिंता होती है. सभी लोग खोज-खबर लेते हैं लेकिन कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम को हमलोगों ने देखा तक नहीं हैं.'

दरअसल, 25 जनवरी को "एक पल में अधूरा हुआ सपना" शीर्षक के नाम से जब ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने कहा था, पत्रकार एक लाइन में बोल देते है कि उस महादलित परिवार की बेटी से मिलने आज तक न तो अधिकारी गए और न ही जनप्रतिनिधि, यह बिल्कुल झूठ है. मैं हॉस्पिटल में उस लड़की से मिल चुका हूं. उसके घर के अभिभावकों से स्थिति की जानकारी ले चुका हूं. वह हमारी बच्ची है और उसे इंसाफ दिलवाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक से बात करूंगा. दुखद है कि इस घटना को अंजाम देने वाले चारों दरिंदे स्वतंत्र होकर घूम रहे हैं. पुलिस कोई भी कार्रवाई करने से बच रही है.'

आपको बता दें कि मामला पिछले साल 12 नवंबर का है. पीड़िता के मुताबिक सैन्य भर्ती की शारीरिक परीक्षा में शामिल होने के लिए वह गांव की सड़कों पर दौड़ का अभ्यास कर रही थी. इसी दौरान पहले से घात लगाकर बैठे, चक्की ओपी के लक्ष्मण डेरा निवासी बब्लू पासवान और उसके तीन दोस्त उस पर टूट पड़े. मैं अकेले ही चारों से लड़ती रही. उसी दौरान बब्लू पासवान ने चाकू से मेरे आंख, गर्दन, गला पर कई बार वॉर कर मेरी आंख फोड़ डाली. महीनों बाद जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल के बेड पर पड़ी थी. अब इस प्रदेश में कोई भी बेटी इस तरह की सपना नहीं देखेगी. 3 महीने से अधिक समय गुजर गया लेकिन पुलिस अबतक उन दरिन्दों को नहीं पकड़ पाई.

वहीं, इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी पीड़िता की मां ने बताया कि रोजाना की तरह उसकी बेटी दौड़ का अभ्यास कर रही थी और मैं बैठी हुई थी. तभी बेटी की चीखने-चिल्लाने की आवाज आई. जब मैं वहां पहुंची तो वह खून से लथपथ जमीन पर गिरी हुई थी. मुझे देख चारों दरिंदे वहां से भागने लगे. मदद के लिए जब मैं चिलाना शुरू किया तो आसपास के लोग आए. पैसे के अभाव में जिले के सदर अस्पताल में हम लोगों ने उसे भर्ती कराया. जहां उसे देखने के लिए भी कोई नहीं आता था. एक दिन भगवान के रूप में विश्वामित्र हॉस्पिटल के डॉ. राजीव झा, जब सदर अस्पताल में किसी काम के लिए आये हुए थे तो उनकी नजर पड़ी और वह हमारी बेटी को अपने अस्पताल में लेकर आए.

यह भी पढ़ें - मां ने परिवार वालों से लड़कर बेटी को दिलाया न्याय, मासूम से दुष्कर्म के आरोपी फुफेरे भाई को कोर्ट ने माना दोषी

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अस्पताल में इलाजरत पीड़िता और उसकी मां ने स्थानीय कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम (Congress MLA Vishwanath Ram) के उस दावे को भी गलत बताया, जिसमें एमएलए ने कहा था कि वे पीड़ित लड़की से मिल चुके हैं. पीड़िता ने कहा, 'इस घटना को हुए तीन महीने से अधिक का समय गुजर गया, लेकिन आज तक ना तो कोई अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधियों ने हमारी सुध ली. इस घटना में शामिल एक भी आरोपी की गिरफ्तारी तक नहीं हुई और मुख्यमंत्री सुशासन की बात कर रहे हैं.' वहीं, पीड़िता की मां देवंती देवी ने कहा, 'इस घटना के बाद से लगातार हॉस्पिटल में हूं. कोई भी राजनेता मेरी बेटी को देखने तक नहीं आया. यदि बिहार में इलेक्शन होता है तो सबको दलित और महादलित की चिंता होती है. सभी लोग खोज-खबर लेते हैं लेकिन कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम को हमलोगों ने देखा तक नहीं हैं.'

दरअसल, 25 जनवरी को "एक पल में अधूरा हुआ सपना" शीर्षक के नाम से जब ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया तो जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने कहा था, पत्रकार एक लाइन में बोल देते है कि उस महादलित परिवार की बेटी से मिलने आज तक न तो अधिकारी गए और न ही जनप्रतिनिधि, यह बिल्कुल झूठ है. मैं हॉस्पिटल में उस लड़की से मिल चुका हूं. उसके घर के अभिभावकों से स्थिति की जानकारी ले चुका हूं. वह हमारी बच्ची है और उसे इंसाफ दिलवाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक से बात करूंगा. दुखद है कि इस घटना को अंजाम देने वाले चारों दरिंदे स्वतंत्र होकर घूम रहे हैं. पुलिस कोई भी कार्रवाई करने से बच रही है.'

आपको बता दें कि मामला पिछले साल 12 नवंबर का है. पीड़िता के मुताबिक सैन्य भर्ती की शारीरिक परीक्षा में शामिल होने के लिए वह गांव की सड़कों पर दौड़ का अभ्यास कर रही थी. इसी दौरान पहले से घात लगाकर बैठे, चक्की ओपी के लक्ष्मण डेरा निवासी बब्लू पासवान और उसके तीन दोस्त उस पर टूट पड़े. मैं अकेले ही चारों से लड़ती रही. उसी दौरान बब्लू पासवान ने चाकू से मेरे आंख, गर्दन, गला पर कई बार वॉर कर मेरी आंख फोड़ डाली. महीनों बाद जब मुझे होश आया तो मैं अस्पताल के बेड पर पड़ी थी. अब इस प्रदेश में कोई भी बेटी इस तरह की सपना नहीं देखेगी. 3 महीने से अधिक समय गुजर गया लेकिन पुलिस अबतक उन दरिन्दों को नहीं पकड़ पाई.

वहीं, इस घटना की प्रत्यक्षदर्शी पीड़िता की मां ने बताया कि रोजाना की तरह उसकी बेटी दौड़ का अभ्यास कर रही थी और मैं बैठी हुई थी. तभी बेटी की चीखने-चिल्लाने की आवाज आई. जब मैं वहां पहुंची तो वह खून से लथपथ जमीन पर गिरी हुई थी. मुझे देख चारों दरिंदे वहां से भागने लगे. मदद के लिए जब मैं चिलाना शुरू किया तो आसपास के लोग आए. पैसे के अभाव में जिले के सदर अस्पताल में हम लोगों ने उसे भर्ती कराया. जहां उसे देखने के लिए भी कोई नहीं आता था. एक दिन भगवान के रूप में विश्वामित्र हॉस्पिटल के डॉ. राजीव झा, जब सदर अस्पताल में किसी काम के लिए आये हुए थे तो उनकी नजर पड़ी और वह हमारी बेटी को अपने अस्पताल में लेकर आए.

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