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बेटियों की भूख मिटाने सड़क पर निलकी बेबस मां, ईटीवी भारत संवाददाता ने की आर्थिक मदद

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Published : Apr 8, 2020, 8:09 AM IST

लॉक डाउन के कारण बक्सर में महिला अपनी बेटियों की भूख को मिटाने के लिए रोजगार की तलाश में सड़क पर देखी गई. तभी अचानक ईटीवी संवाददाता की नजर उनपर पड़ी. जिसके बाद संवादाता ने उनकी आर्थिक मदद की.

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बक्सर: बच्चे अगर भूख से तड़प रहे हो तो मां की स्थिति क्या होती है. शायद इसे अल्फाजों में बयां करना किसी के लिए संभव नहीं है. ऐसा ही कुछ हाल नगर थाना क्षेत्र के सारिमपुर इलाके में रहने वाली 50 वर्षीय रजिया नामक इस महिला की है. जब भूख से तड़प रही बेटियों का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो, लॉक डाउन का प्रवाह किए बिना भोजन की तलाश में शहर की विरान सड़कों पर निकल पड़ी. लेकिन 4 घंटों तक सड़क पर भटकने के बाद भी कहीं कुछ इंतजाम नहीं हुआ तो, वीर कुंवर सिंह चौक के पास बने रैन बसेरा के बाहर किसी अन्नदाता के आने का इंतजार करने लगी. तभी ईटीवी भारत संवाददाता ने उनकी तलकीफ देखकर उनकी आर्थिक मदद की. इसके बाद कई लोग आगे आकर महिला की मदद करने लगे.

क्या करती हैं महिला?
रैन बसेरा के बाहर बैठी महिला ने बताया कि वर्षों पहले बीमारी के कारण इसके शौहर की मौत हो जाने के बाद से ही दूसरे के घरों में बर्तन मांजकर अपने और अपनी दो बेटियों का पालन पोषण करती थी. लेकिन, इस लॉकडाउन के कारण उनका काम बंद हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार दिनों से उनका परिवार भूखा है. हालत खराब होता देख ही बाहर काम की तलाश में आई हूं.

रैन बसेरा से मिली मदद
गरीबी से बदहाल इस महिला को ईटीवी भारत संवाददाता द्वारा मदद किए जाने पर, रैन बसेरा के प्रबंधक दिनेश कुमार ने कहा कि पूरे लॉक डाउन के दौरान इस महिला और इनकी बेटियों को दोनों टाइम खाना खिलाने की जिम्मेवारी ली है. जब तक लॉकडाउन रहेगा. तब तक इनके खाना-पीना की व्यवस्था मैं करूंगा.

क्या है ईटीवी भारत की मुहिम
बता दें कि लॉकडाउन लगने के 2 दिन बाद से ही बक्सर जिला में ईटीवी भारत की मुहिम ' ठंढा पड़ा घर का चूल्हा' कार्यक्रम को चलाया जा रहा है. जिसकी सराहना भी हो रही है.

बक्सर: बच्चे अगर भूख से तड़प रहे हो तो मां की स्थिति क्या होती है. शायद इसे अल्फाजों में बयां करना किसी के लिए संभव नहीं है. ऐसा ही कुछ हाल नगर थाना क्षेत्र के सारिमपुर इलाके में रहने वाली 50 वर्षीय रजिया नामक इस महिला की है. जब भूख से तड़प रही बेटियों का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो, लॉक डाउन का प्रवाह किए बिना भोजन की तलाश में शहर की विरान सड़कों पर निकल पड़ी. लेकिन 4 घंटों तक सड़क पर भटकने के बाद भी कहीं कुछ इंतजाम नहीं हुआ तो, वीर कुंवर सिंह चौक के पास बने रैन बसेरा के बाहर किसी अन्नदाता के आने का इंतजार करने लगी. तभी ईटीवी भारत संवाददाता ने उनकी तलकीफ देखकर उनकी आर्थिक मदद की. इसके बाद कई लोग आगे आकर महिला की मदद करने लगे.

क्या करती हैं महिला?
रैन बसेरा के बाहर बैठी महिला ने बताया कि वर्षों पहले बीमारी के कारण इसके शौहर की मौत हो जाने के बाद से ही दूसरे के घरों में बर्तन मांजकर अपने और अपनी दो बेटियों का पालन पोषण करती थी. लेकिन, इस लॉकडाउन के कारण उनका काम बंद हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार दिनों से उनका परिवार भूखा है. हालत खराब होता देख ही बाहर काम की तलाश में आई हूं.

रैन बसेरा से मिली मदद
गरीबी से बदहाल इस महिला को ईटीवी भारत संवाददाता द्वारा मदद किए जाने पर, रैन बसेरा के प्रबंधक दिनेश कुमार ने कहा कि पूरे लॉक डाउन के दौरान इस महिला और इनकी बेटियों को दोनों टाइम खाना खिलाने की जिम्मेवारी ली है. जब तक लॉकडाउन रहेगा. तब तक इनके खाना-पीना की व्यवस्था मैं करूंगा.

क्या है ईटीवी भारत की मुहिम
बता दें कि लॉकडाउन लगने के 2 दिन बाद से ही बक्सर जिला में ईटीवी भारत की मुहिम ' ठंढा पड़ा घर का चूल्हा' कार्यक्रम को चलाया जा रहा है. जिसकी सराहना भी हो रही है.

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