ETV Bharat / state

OMG! थाने में सजा काट रहा डॉगी पुलिस के लिए बना सरदर्द, खुराक जुटाने में छूट रहे पसीने - liquor smuggling in buxar

शराब शराब तस्करी के आरोप में पिछले 11 दिनों से मुफस्सिल थाना के चारदीवारी में जर्मन शेफर्ड डॉगी कैद (Doggy locked in Buxar Nagar Police Station) है. 6 जुलाई को वाहन जांच के दौरान बिहार के बक्सर और उत्तरप्रदेश के बॉर्डर से आधा दर्जन विदेशी शराब के साथ दो शराब तस्कर और जर्मन शेफर्ड डॉगी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पढ़ें पूरी खबर..

थाने में सजा काट रहा डॉगी
थाने में सजा काट रहा डॉगी
author img

By

Published : Jul 17, 2022, 5:20 PM IST

Updated : Jul 17, 2022, 6:38 PM IST

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले के (Liquor Smuggling In Buxar) मुफस्सिल थाने में एक जर्मन शेफर्ड डॉग 11 दिनों से सजा काट रहा है. उसकी गलती ये है कि वो उस कार में सवार था, जिसमें शराब की बोतलें रखी हुई थी. पुलिस ने दो तस्करों को गिरफ्तार (Two Liquor Smugglers Arrested In Buxar) कर कार को जब्त कर लिया था. तभी से यह विदेशी नस्ल का डॉगी पुलिस वालों के लिए मुसीबत बना हुआ है.

ये भी पढ़ें-थाने के चौकीदार का बेटा निकला शराब तस्कर, वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने दबोचा

थाने में बंद जर्मन शेफर्ड डॉग: इस जर्मन शेफर्ड डॉग का रोजाना का खर्च इतना अधिक है कि पूरे थाने के पुलिस कर्मी इसके लिए पॉकेट मनी से पैसे जुटाते हैं, फिर उसके पैसे से डॉगी के लिए खाने पीने का सामान लाया जाता है. अगर खाने में कमी हुई तो डॉगी भौंक-भौंक कर सबकी नींद खराब कर देता है. थाने के कर्मियों के लिए अब डॉगी आफत बन गया है. पुलिस कर्मी इसके मालिकों का इंतजार कर रहे हैं. तब तक इसकी देखभाल थाने के पुलिसकर्मियों के जिम्मे ही है.

शराब के साथ कार से बरामद हुआ था डॉग: दरअसल, 11 दिन पहले गाजीपुर बॉर्डर से पुलिस ने एक कार से दो शराब तस्कर राम सुरेश यादव और भुनेश्वर यादव के साथ एक जर्मन शेफर्ड को बरामद किया. दोनों शराब तस्करों को पुलिस ने जेल भेज दिया. जबकि, डॉग अभी भी थाने में ही पुलिस की देख-रेख में अरेस्ट है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो जानवर होने के कारण जर्मन शेफर्ड को जेल नहीं भेजा गया, जिसके कारण थाने में ही एक तरह से वह अपनी सजा काट रहा है. विदेशी नस्ल का डॉग होने के कारण ये काफी महंगा है. अब जर्मन शेफर्ड के लिए भोजन जुटाने में पुलिस वालों के पसीना छूट रहे हैं.

क्या कहते हैं थाना प्रभारी: इस घटना की जानकारी देते हुए मुफस्सिल थाना प्रभारी अमित कुमार ने बताया कि बक्सर-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से 6 जुलाई को वाहन जांच के दौरान एक वाहन की जब तलाशी ली गई, तो उस वाहन से एक बैग में रखे आधा दर्जन विदेशी शराब के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से कार में जर्मन शेफर्ड डॉग भी बरामद हुआ था. दोनों तस्कर को जेल भेज दिया गया है. जबकि, डॉगी के अन्य मालिक का इंतजार किया जा रहा है. फिलहाल इसका भोजन जुटाने में थाने के सभी कर्मी अपने पॉकेट से थोड़ी-थोड़ी मदद कर रहे हैं.

"बक्सर-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से 6 जुलाई को वाहन जांच के दौरान एक वाहन की जब तलाशी ली गई, तो उस वाहन से एक बैग में रखे आधा दर्जन विदेशी शराब के साथ दो तस्कर और इस जर्मन शेफर्ड कुत्ता भी हमलोग थाना लाये हैं. दोनों तस्कर को जेल भेज दिया गया है. जबकि, डॉगी के अन्य मालिक का इंतजार किया जा रहा है. फिलहाल इसका भोजन जुटाने में थाने के सभी कर्मी अपने-पॉकेट से थोड़ी-थोड़ी मदद कर रहे हैं."- अमित कुमार, मुफस्सिल थाना प्रभारी

2016 से लागू है पूर्ण शराबबंदी: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुए पांच साल हो गए हैं. एक अप्रैल 2016 में सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद भी शराबबंदी कानून को लागू करने का फैसला लिया था. लेकिन आज छह साल बाद भी शराबबंदी कानून की सफलता पर विवाद जारी है.

रोजाना बरामद की जाती है शराब: पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो शायद ही कोई दिन ऐसा होगा जिस दिन राज्य के किसी जिले में शराब की बरामदगी ना हुई हो, राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद से शराब का सेवन और उसकी बिक्री जोर-शोर से चल रहा है. इस धंधे के संचालन के लिए बकायदा चेन बना हुआ है. इस चेन के सदस्य अलग-अलग लेवल पर काम कर लोगों को शराब परोसने में जुटे हुए हैं.

बक्सर में शराब माफियाओं के लिए गंगा वरदान: बक्सर में जीवनदायिनी गंगा नदी शराब माफियाओं के लिए वरदान है. जहां रात के अंधेरे की बात करें या दिन के उजाले के, बड़े पैमाने पर शराब माफिया उत्तरप्रदेश से शराब लाकर ग्रामीण इलाकों में स्टॉक करते हैं और रात के अंधेरे में उसे दूरदराज के इलाकों में सप्लाई करते हैं. जिसकी भनक तक भी पुलिस को नहीं लग पाती है. जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर प्रखंड के गंगा किनारे बसने वाले दर्जनों गांव में शराब माफियाओं ने अपना स्थायी ठिकाना बनाकर रखा है.

क्या है सजा का प्रवधान: शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. रिपोर्टों के मुताबिक, बिहार को शराब बिक्री पर लगे टैक्स कलेक्शन से हर साल 4,000 करोड़ रुपये की आमदनी हो रही थी. राज्य सरकार ने राजस्व के इस भारी नुकसान का अनुमान लगा लिया था. राज्य सरकार ने कानून लागू करते समय कहा था कि वह इसकी भरपाई के लिए वित्त और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करेगी.

गौरतलब है कि प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार समय-समय पर शराबबंदी कानून की समीक्षा करते रहते हैं. लेकिन प्रतिदिन बरामद हो रहे शराब की खेप इस बात की गवाही दे रही है कि सत्ता और शासन में बैठे हुए लोग ही इस कानून का धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है. फिलहाल शराब तस्करी के आरोप में थाने के चाहरदीवारी में कैद डॉगी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

ये भी पढ़ें-बिहार के 'पुष्पा' को झारखंड पुलिस ने बॉर्डर पर दबोचा, दूध के कंटेनर में कर रहे थे शराब की तस्करी

ये भी पढ़ें-बगहा में शराबबंदी कानून का पलिता लगा रहे जनप्रतिनिधि, चुलाई शराब के साथ वार्ड सदस्य गिरफ्तार

बक्सर: बिहार के बक्सर जिले के (Liquor Smuggling In Buxar) मुफस्सिल थाने में एक जर्मन शेफर्ड डॉग 11 दिनों से सजा काट रहा है. उसकी गलती ये है कि वो उस कार में सवार था, जिसमें शराब की बोतलें रखी हुई थी. पुलिस ने दो तस्करों को गिरफ्तार (Two Liquor Smugglers Arrested In Buxar) कर कार को जब्त कर लिया था. तभी से यह विदेशी नस्ल का डॉगी पुलिस वालों के लिए मुसीबत बना हुआ है.

ये भी पढ़ें-थाने के चौकीदार का बेटा निकला शराब तस्कर, वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने दबोचा

थाने में बंद जर्मन शेफर्ड डॉग: इस जर्मन शेफर्ड डॉग का रोजाना का खर्च इतना अधिक है कि पूरे थाने के पुलिस कर्मी इसके लिए पॉकेट मनी से पैसे जुटाते हैं, फिर उसके पैसे से डॉगी के लिए खाने पीने का सामान लाया जाता है. अगर खाने में कमी हुई तो डॉगी भौंक-भौंक कर सबकी नींद खराब कर देता है. थाने के कर्मियों के लिए अब डॉगी आफत बन गया है. पुलिस कर्मी इसके मालिकों का इंतजार कर रहे हैं. तब तक इसकी देखभाल थाने के पुलिसकर्मियों के जिम्मे ही है.

शराब के साथ कार से बरामद हुआ था डॉग: दरअसल, 11 दिन पहले गाजीपुर बॉर्डर से पुलिस ने एक कार से दो शराब तस्कर राम सुरेश यादव और भुनेश्वर यादव के साथ एक जर्मन शेफर्ड को बरामद किया. दोनों शराब तस्करों को पुलिस ने जेल भेज दिया. जबकि, डॉग अभी भी थाने में ही पुलिस की देख-रेख में अरेस्ट है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो जानवर होने के कारण जर्मन शेफर्ड को जेल नहीं भेजा गया, जिसके कारण थाने में ही एक तरह से वह अपनी सजा काट रहा है. विदेशी नस्ल का डॉग होने के कारण ये काफी महंगा है. अब जर्मन शेफर्ड के लिए भोजन जुटाने में पुलिस वालों के पसीना छूट रहे हैं.

क्या कहते हैं थाना प्रभारी: इस घटना की जानकारी देते हुए मुफस्सिल थाना प्रभारी अमित कुमार ने बताया कि बक्सर-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से 6 जुलाई को वाहन जांच के दौरान एक वाहन की जब तलाशी ली गई, तो उस वाहन से एक बैग में रखे आधा दर्जन विदेशी शराब के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया. इनके पास से कार में जर्मन शेफर्ड डॉग भी बरामद हुआ था. दोनों तस्कर को जेल भेज दिया गया है. जबकि, डॉगी के अन्य मालिक का इंतजार किया जा रहा है. फिलहाल इसका भोजन जुटाने में थाने के सभी कर्मी अपने पॉकेट से थोड़ी-थोड़ी मदद कर रहे हैं.

"बक्सर-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से 6 जुलाई को वाहन जांच के दौरान एक वाहन की जब तलाशी ली गई, तो उस वाहन से एक बैग में रखे आधा दर्जन विदेशी शराब के साथ दो तस्कर और इस जर्मन शेफर्ड कुत्ता भी हमलोग थाना लाये हैं. दोनों तस्कर को जेल भेज दिया गया है. जबकि, डॉगी के अन्य मालिक का इंतजार किया जा रहा है. फिलहाल इसका भोजन जुटाने में थाने के सभी कर्मी अपने-पॉकेट से थोड़ी-थोड़ी मदद कर रहे हैं."- अमित कुमार, मुफस्सिल थाना प्रभारी

2016 से लागू है पूर्ण शराबबंदी: बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू हुए पांच साल हो गए हैं. एक अप्रैल 2016 में सर्वसम्मति से शराबबंदी कानून लागू किया गया था. बिहार में अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों को कम करने के मकसद से प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार ने राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद भी शराबबंदी कानून को लागू करने का फैसला लिया था. लेकिन आज छह साल बाद भी शराबबंदी कानून की सफलता पर विवाद जारी है.

रोजाना बरामद की जाती है शराब: पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो शायद ही कोई दिन ऐसा होगा जिस दिन राज्य के किसी जिले में शराब की बरामदगी ना हुई हो, राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद से शराब का सेवन और उसकी बिक्री जोर-शोर से चल रहा है. इस धंधे के संचालन के लिए बकायदा चेन बना हुआ है. इस चेन के सदस्य अलग-अलग लेवल पर काम कर लोगों को शराब परोसने में जुटे हुए हैं.

बक्सर में शराब माफियाओं के लिए गंगा वरदान: बक्सर में जीवनदायिनी गंगा नदी शराब माफियाओं के लिए वरदान है. जहां रात के अंधेरे की बात करें या दिन के उजाले के, बड़े पैमाने पर शराब माफिया उत्तरप्रदेश से शराब लाकर ग्रामीण इलाकों में स्टॉक करते हैं और रात के अंधेरे में उसे दूरदराज के इलाकों में सप्लाई करते हैं. जिसकी भनक तक भी पुलिस को नहीं लग पाती है. जिले के चौसा, बक्सर, सिमरी, ब्रह्मपुर प्रखंड के गंगा किनारे बसने वाले दर्जनों गांव में शराब माफियाओं ने अपना स्थायी ठिकाना बनाकर रखा है.

क्या है सजा का प्रवधान: शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. रिपोर्टों के मुताबिक, बिहार को शराब बिक्री पर लगे टैक्स कलेक्शन से हर साल 4,000 करोड़ रुपये की आमदनी हो रही थी. राज्य सरकार ने राजस्व के इस भारी नुकसान का अनुमान लगा लिया था. राज्य सरकार ने कानून लागू करते समय कहा था कि वह इसकी भरपाई के लिए वित्त और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करेगी.

गौरतलब है कि प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार समय-समय पर शराबबंदी कानून की समीक्षा करते रहते हैं. लेकिन प्रतिदिन बरामद हो रहे शराब की खेप इस बात की गवाही दे रही है कि सत्ता और शासन में बैठे हुए लोग ही इस कानून का धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है. फिलहाल शराब तस्करी के आरोप में थाने के चाहरदीवारी में कैद डॉगी को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

ये भी पढ़ें-बिहार के 'पुष्पा' को झारखंड पुलिस ने बॉर्डर पर दबोचा, दूध के कंटेनर में कर रहे थे शराब की तस्करी

ये भी पढ़ें-बगहा में शराबबंदी कानून का पलिता लगा रहे जनप्रतिनिधि, चुलाई शराब के साथ वार्ड सदस्य गिरफ्तार

Last Updated : Jul 17, 2022, 6:38 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.