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बक्सर में गंगा में मवेशियों के शव तैरते मिले, प्रशासन ने दिया जांच का आदेश

पिछले साल कोरोना काल में इंसानों की लाशें और अब बक्सर स्थित गंगा में मवेशियों के शव तैरते मिले (Dead Bodies of Cattle Found floating in Ganga) हैं. 2 दर्जन से अधिक गाय, भैंस की लाशें मिलने के बाद से गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. हालांकि ईटीवी की सूचना पर प्रशासन हरकत में आया है और जांच का आदेश दिया है. पढ़ें खास रिपोर्ट..

गंगा में तैरते मिले मवेशियों के शव
गंगा में तैरते मिले मवेशियों के शव
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Published : Feb 13, 2022, 10:56 PM IST

बक्सर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मकसद से 2014 में नमामि गंगे योजना (Namami Gange Scheme) की शुरुआत की थी, वह अबतक पूरी होती नहीं दिखी है. बिहार के बक्सर में भी यही है. गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय और जिला प्रशासन के अधिकारी जिस रामरेखा घाट पर नमामि गंगे योजना के नाम पर लाखों की राशि खर्च कर फोटो सेशन कर निकल गए, वहां से चंद कदम की दूरी पर गंगा में मवेशियों के शव तैरते मिले (Dead Bodies of Cattle Found floating in Ganga) हैं. इसके बावजूद किसी ने उस पर संज्ञान नहीं लिया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना ईटीवी भारत के रिपोर्टर को दी. वहींं, अब अधिकारियों ने जांच का आदेश देकर मवेशी की लाशों को निकलवाने की कवायद शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ें: बक्सर में डीएम के आदेश की उड़ी धज्जियां, शहर के नाथ बाबा घाट से 8 शव बरामद


गंगा नदी में तैर रही दर्जनों मवेशियो की लाशों को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि बक्सर में गंगा में गंदगी (Pollution in River Ganga) इतनी अधिक है कि नदी पूरी तरह से दूषित हो गई है. पिछले साल 10 मई 2021 को कोरोना काल में गंगा में इंसानों की सैकड़ों लाशें तैर रही थीं. अब जानवरों के शव तैर रहे हैं. नमामि गंगे योजना केवल कागजों पर है. आलम यह है कि गंगा में स्नान करने आने वाले लोग डुबकी लगाने से भी डरने लगे हैं. हिम्मत कर जो लोग नदी में स्नान करने के लिए जाते भी हैं, उनके पैर में कभी हड्डियां चुभ जाती हैं तो कभी कूड़े की ढेर में पड़े शीशे. शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई करने के बजाए अधिकारी केवल दलील देकर चले जाते हैं.

वहीं, नाविक मनोज चौधरी ने बताया कि जब से इंसानों और जानवरों का शव गंगा नदी में मिलना शुरू हुआ है, लोग गंगा नदी की मछली भी नहीं खरीद रहे हैं. 15 साल पहले इस नदी के जल से घर में भोजन पकता थी लेकिन ज इस नदी के जल को भी छूने से डर लगता है. नाविकों का पूरा परिवार इसी गंगा नदी पर निर्भर है. अब तो परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है.

वहीं, गंगा में तैर रहे दर्जनों मवेशियों के शवों को लेकर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि आपके द्वारा ही इस बात की जानकारी दी गई है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी को सख्त निर्देश दिया गया है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. जीवनदायिनी गंगा की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए हर संभव कार्य किया जा रहा है. इतने संख्या में मवेशियों के शव कहां से आए हैं और उनकी मौत कैसे हुई, इस बात की जानकारी एकत्रित की जा रही है.

नमामि गंगे योजना को लेकर सरकारी अधिकारी कितना गंभीर हैं, इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि शहर के नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत नाथ बाबा घाट से मात्र 50 मीटर दक्षिण नगर परिषद के अधिकारियों के द्वारा कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया गया है. जहां शहर भर के कूड़े को डंप किया जाता है. इस कूड़ा डंपिंग यार्ड से 100 से 200 मीटर की दूरी पर जिला अधिकारी का आवास, उपविकास आयुक्त का आवास, व्यवहार न्यायालय के जजों का आवास, एडीएम का आवास, जिला अतिथि गृह, डीएसपी आवास, पीर बाबा का मजार, प्रसिद्ध नाथ बाबा मंदिर, नहर विभाग का कार्यालय, एमभी कॉलेज, एमपी हाई स्कूल, समेत दर्जनों सरकारी कार्यालय है. उसके बाद भी किसी भी अधिकारी के द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों के इस रवैया का विरोध नहीं किया गया.

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बक्सर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस मकसद से 2014 में नमामि गंगे योजना (Namami Gange Scheme) की शुरुआत की थी, वह अबतक पूरी होती नहीं दिखी है. बिहार के बक्सर में भी यही है. गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए जल शक्ति मंत्रालय और जिला प्रशासन के अधिकारी जिस रामरेखा घाट पर नमामि गंगे योजना के नाम पर लाखों की राशि खर्च कर फोटो सेशन कर निकल गए, वहां से चंद कदम की दूरी पर गंगा में मवेशियों के शव तैरते मिले (Dead Bodies of Cattle Found floating in Ganga) हैं. इसके बावजूद किसी ने उस पर संज्ञान नहीं लिया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना ईटीवी भारत के रिपोर्टर को दी. वहींं, अब अधिकारियों ने जांच का आदेश देकर मवेशी की लाशों को निकलवाने की कवायद शुरू कर दी है.

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गंगा नदी में तैर रही दर्जनों मवेशियो की लाशों को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि बक्सर में गंगा में गंदगी (Pollution in River Ganga) इतनी अधिक है कि नदी पूरी तरह से दूषित हो गई है. पिछले साल 10 मई 2021 को कोरोना काल में गंगा में इंसानों की सैकड़ों लाशें तैर रही थीं. अब जानवरों के शव तैर रहे हैं. नमामि गंगे योजना केवल कागजों पर है. आलम यह है कि गंगा में स्नान करने आने वाले लोग डुबकी लगाने से भी डरने लगे हैं. हिम्मत कर जो लोग नदी में स्नान करने के लिए जाते भी हैं, उनके पैर में कभी हड्डियां चुभ जाती हैं तो कभी कूड़े की ढेर में पड़े शीशे. शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई करने के बजाए अधिकारी केवल दलील देकर चले जाते हैं.

वहीं, नाविक मनोज चौधरी ने बताया कि जब से इंसानों और जानवरों का शव गंगा नदी में मिलना शुरू हुआ है, लोग गंगा नदी की मछली भी नहीं खरीद रहे हैं. 15 साल पहले इस नदी के जल से घर में भोजन पकता थी लेकिन ज इस नदी के जल को भी छूने से डर लगता है. नाविकों का पूरा परिवार इसी गंगा नदी पर निर्भर है. अब तो परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है.

वहीं, गंगा में तैर रहे दर्जनों मवेशियों के शवों को लेकर एसडीएम धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि आपके द्वारा ही इस बात की जानकारी दी गई है. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी को सख्त निर्देश दिया गया है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. जीवनदायिनी गंगा की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए हर संभव कार्य किया जा रहा है. इतने संख्या में मवेशियों के शव कहां से आए हैं और उनकी मौत कैसे हुई, इस बात की जानकारी एकत्रित की जा रही है.

नमामि गंगे योजना को लेकर सरकारी अधिकारी कितना गंभीर हैं, इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि शहर के नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत नाथ बाबा घाट से मात्र 50 मीटर दक्षिण नगर परिषद के अधिकारियों के द्वारा कूड़ा डंपिंग यार्ड बना दिया गया है. जहां शहर भर के कूड़े को डंप किया जाता है. इस कूड़ा डंपिंग यार्ड से 100 से 200 मीटर की दूरी पर जिला अधिकारी का आवास, उपविकास आयुक्त का आवास, व्यवहार न्यायालय के जजों का आवास, एडीएम का आवास, जिला अतिथि गृह, डीएसपी आवास, पीर बाबा का मजार, प्रसिद्ध नाथ बाबा मंदिर, नहर विभाग का कार्यालय, एमभी कॉलेज, एमपी हाई स्कूल, समेत दर्जनों सरकारी कार्यालय है. उसके बाद भी किसी भी अधिकारी के द्वारा नगर परिषद के अधिकारियों के इस रवैया का विरोध नहीं किया गया.

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