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लॉकडाउन इफेक्ट: भोजन की किल्लत से जूझ रहे दैनिक मजदूर, सोशल वर्कर्स ने संभाला मोर्चा

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के जिलाध्यक्ष प्रेम शंकर दुबे और महासचिव रवि राज ने बताया कि कोरोना वायरस के इस विपदा से लोगों को बचाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में लॉक डाउन घोषित कर बहुत ही अच्छा काम किया है. लेकिन दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है.

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Published : Mar 29, 2020, 7:00 PM IST

बक्सर
खाने बांटते सामाजिक कार्यकर्ता

बक्सर: देश में जारी लॉक डाउन का साइड इफेक्ट अब दिखने लगा है. दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोगों के सामने अब रोजी-रोटी की समस्या खड़ी होने लगी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन से जुड़े लोगों ने जरूरतमंदों के बीच दूध, ब्रेड और बिस्किट्स बांटकर उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की.

सामाजिक कार्यकर्ता मदद को आए आगे
कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में 25 मार्च से 21 दिनों का लॉक डाउन की घोषणा की थी. जिस तरह से इस वायरस का संक्रमण फैल रहा है उसे देखते हुए यह लॉकडाउन ही बचाव का एकमात्र प्रभावी तरीका है. लेकिन इससे दैनिक मजदूरी करने वाले काफी प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में सरकार लोगों की तकलीफ को कम करने की पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन इस काम में अब सामाजिक कार्यकर्ता भी हाथ बंटाने लगे हैं. इस कड़ी में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के जिला अध्यक्ष और महासचिव ने झोपड़पट्टी में रहने वाले और फुटपाथ पर गुजारा करने वाले लोगों के बीच दूध, ब्रेड और बिस्किट का पैकेट बांटा.

'लॉकडाउन का फैसला बहुत ही कारगर'
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के जिलाध्यक्ष प्रेम शंकर दुबे और महासचिव रवि राज ने बताया कि कोरोना वायरस के इस विपदा से लोगों को बचाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में लॉक डाउन घोषित कर बहुत ही अच्छा काम किया है. लेकिन इस लॉकडाउन के कारण दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है. जिला प्रशासन की ओर से लगाए गए कैंप में अभी भी बहुत सारे लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में हमारी कोशिश है कि वैसे लोगों की हर संभव मदद की जाए.

बक्सर: देश में जारी लॉक डाउन का साइड इफेक्ट अब दिखने लगा है. दैनिक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले लोगों के सामने अब रोजी-रोटी की समस्या खड़ी होने लगी है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन से जुड़े लोगों ने जरूरतमंदों के बीच दूध, ब्रेड और बिस्किट्स बांटकर उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की.

सामाजिक कार्यकर्ता मदद को आए आगे
कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में 25 मार्च से 21 दिनों का लॉक डाउन की घोषणा की थी. जिस तरह से इस वायरस का संक्रमण फैल रहा है उसे देखते हुए यह लॉकडाउन ही बचाव का एकमात्र प्रभावी तरीका है. लेकिन इससे दैनिक मजदूरी करने वाले काफी प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में सरकार लोगों की तकलीफ को कम करने की पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन इस काम में अब सामाजिक कार्यकर्ता भी हाथ बंटाने लगे हैं. इस कड़ी में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के जिला अध्यक्ष और महासचिव ने झोपड़पट्टी में रहने वाले और फुटपाथ पर गुजारा करने वाले लोगों के बीच दूध, ब्रेड और बिस्किट का पैकेट बांटा.

'लॉकडाउन का फैसला बहुत ही कारगर'
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के जिलाध्यक्ष प्रेम शंकर दुबे और महासचिव रवि राज ने बताया कि कोरोना वायरस के इस विपदा से लोगों को बचाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण देश में लॉक डाउन घोषित कर बहुत ही अच्छा काम किया है. लेकिन इस लॉकडाउन के कारण दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले लोगों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है. जिला प्रशासन की ओर से लगाए गए कैंप में अभी भी बहुत सारे लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में हमारी कोशिश है कि वैसे लोगों की हर संभव मदद की जाए.

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