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ऑक्सीजन प्लांट को आर्मी और एयरफोर्स के हवाले करे सरकार- भाकपा माले विधायक - एसजेवीएन पावर प्लांट

जिले में एंबुलेंस की घोर किल्लत है. प्राइवेट एंबुलेंस कर्मी 3000 रुपए के बजाय 8000 रुपए लेकर मरीज को बनारस और पटना पहुंचा रहे हैं. इसके साथ ही संक्रमितों के लिए बेड की भी व्यवस्था नहीं है. यह बातें भाकपा माले के युवा विधायक अजित कुमार सिंह ने कहीं. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट और मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों को सरकार आर्मी और एयरफोर्स के हवाले कर दे.

जांच
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Published : Apr 26, 2021, 10:30 AM IST

बक्सरः भाकपा माले के युवा विधायक अजित कुमार सिंह ने कहा कि जिला समेत पूरे देश में कोरोना संक्रमण पूरे उफान पर है. दिन-प्रतिदिन स्थिति विकराल होती जा रही है. संसाधनों के अभाव में मरने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं हो रहे. संक्रमित मरीजों के अलावा अन्य बीमारियों से भी ग्रसित लोगों की लगातार मौत हो रही है.

कुछ जनप्रतिनिधि इस विपदा की घड़ी में संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने में लगे हुए हैं. तो कुछ भविष्य की राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं.

यह भी पढ़ें- कोरोना संकट: CM नीतीश का बड़ा आदेश, अहमदाबाद से विशेष विमान से लाया जायेगा 'रेमेडिसिविर' इंजेक्शन

मंत्री के संसदीय क्षेत्र में संसाधनों का है घोर अभाव
अजित कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के 4 विधानसभा में केवल एक शव वाहन है. संक्रमण के कारण प्रत्येक दिन 3-4 मौतें हो रही हैं. शव वाहन के अभाव में 5 घण्टे तक शव बेड पर ही रह जा रहा है. उसके बाद भी इस समस्या को दूर करने के बजाए मंत्री जी केवल कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं.

कोविड काल में मंत्री जी के कारनामे से हर कोई हैरान
उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले स्थानीय सांसद सह केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की पहल पर एसजेवीएन पावर प्लांट के द्वारा बक्सर जिले को 6 एंबुलेंस गिफ्ट किया गया था. उस समय अपने संसदीय क्षेत्र को यह सौगात देकर मंत्री जी ने चुनावी लाभ ले लिया. ठीक 1 साल बाद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मंत्री जी को यह उम्मीद थी कि बीजेपी उनके बेटे को भागलपुर से चुनाव लड़ाएगी. अपने ओहदे का हनक दिखाकर मंत्री जी ने सभी एंबुलेंस को भागलपुर भेजने की तैयारी कर दी.

लोगों ने किया था विरोध
स्थनीय लोगों के विरोध के कारण सभी एम्बुलेंस को रोकना पड़ा. और बीजेपी ने उनके बेटे को टिकट भी नही दिया। लेकिन एक बार फिर जब पूरा देश कोरोना महामारी का सामना करने में लगा है तो मन्त्री जी अपने बेटे की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से 5 दिन पहले चोरी-छिपे सभी एम्बुलेंस को बक्सर से हटवाकर कहीं और भेज दिया. इसका जवाब किसी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के पास नहीं है. सवाल यह उठता है कि जब एसजेवीएन कंपनी ने एम्बुलेंस जिला स्वास्थ्य समिति को गिफ्ट किया था, तो उसे किसी और जिले में कैसे भेजा गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

एम्बुलेंस की घोर किल्लत से परेशान हैं जिलावासी
जिले में एंबुलेंस की घोर किल्लत है. प्राइवेट एंबुलेंसकर्मी 3000 रुपए की जगह 8000 रुपए लेकर मरीज को बनारस और पटना पहुंचा रहे हैं. उसके बाद सभी एम्बुलेंस को मंत्री जी को खुश करने के लिए किसी अन्य जिले को सौगात देने के लिए भेज दिया गया. कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे डुमराव विधानसभा क्षेत्र के युवा भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिले का एक भी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के मानकों को पूरा नहीं कर रहा है. यह हालात केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र का है. जहां डुमराव अनुमंडलीय अस्पताल में केवल एक एंबुलेंस है. जबकि 4 विधानसभा क्षेत्रों में केवल एक शव वाहन है. उसके बाद भी सभी एंबुलेंसों को मंत्री जी भागलपुर भेज चुके हैं.

अस्पताल बनाने के लिए पूंजीपति क्यों नहीं दे रहे हैं चंदा
उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला मंदिर बनाने के लिए भारत के राष्ट्रपति के द्वारा एक करोड़ का चंदा दिया गया था. जबकि कई पूंजीपतियों ने करोड़ों रुपए मंदिर बनाने के लिए दान दिये. लेकिन आज कोविड-19 में जब लोगों को अस्पताल की जरूरत है. तब ना तो राष्ट्रपति और ना ही अन्य कोई पूंजीपति अस्पताल बनाने के लिए दान कर रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री से लेकर उनके कुनबे में शामिल सभी मंत्री, केवल स्टंटबाजी कर देश की जनता को धर्म की चाशनी में डुबोकर वोट की सियासत कर रहे हैं. आज लोगों का जीवन बचाने के लिए मंदिर और मस्जिद की नहीं, अस्पताल की जरूरत है.

हेल्थ इमरजेंसी की हो घोषणा
उन्होंने कहा कि आज कोविड-19 के इस प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर सभी निजी स्वास्थ्य संस्थानों को अपने हाथों में ले. साथ ही ऑक्सीजन प्लांट और मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों को आर्मी और एयरफोर्स के हवाले कर दे. जिससे कि कालाबाजारी पर रोक लग सके. इस वैश्विक आपदा के कारण मानव जाति का जीवन ही संकट में पड़ गया है. जिस पर ठोस निर्णय लेने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें- 18-45 साल वाले कोविन पोर्टल पर पंजीकरण करवाएं, वरना नहीं मिलेगा टीका

यह भी पढ़ें- नवादा: जाम में फंसी पटना की 'सांसें', प्रशासन के फूले हाथ पांव

बक्सरः भाकपा माले के युवा विधायक अजित कुमार सिंह ने कहा कि जिला समेत पूरे देश में कोरोना संक्रमण पूरे उफान पर है. दिन-प्रतिदिन स्थिति विकराल होती जा रही है. संसाधनों के अभाव में मरने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं हो रहे. संक्रमित मरीजों के अलावा अन्य बीमारियों से भी ग्रसित लोगों की लगातार मौत हो रही है.

कुछ जनप्रतिनिधि इस विपदा की घड़ी में संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने में लगे हुए हैं. तो कुछ भविष्य की राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं.

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मंत्री के संसदीय क्षेत्र में संसाधनों का है घोर अभाव
अजित कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के 4 विधानसभा में केवल एक शव वाहन है. संक्रमण के कारण प्रत्येक दिन 3-4 मौतें हो रही हैं. शव वाहन के अभाव में 5 घण्टे तक शव बेड पर ही रह जा रहा है. उसके बाद भी इस समस्या को दूर करने के बजाए मंत्री जी केवल कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं.

कोविड काल में मंत्री जी के कारनामे से हर कोई हैरान
उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले स्थानीय सांसद सह केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की पहल पर एसजेवीएन पावर प्लांट के द्वारा बक्सर जिले को 6 एंबुलेंस गिफ्ट किया गया था. उस समय अपने संसदीय क्षेत्र को यह सौगात देकर मंत्री जी ने चुनावी लाभ ले लिया. ठीक 1 साल बाद 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मंत्री जी को यह उम्मीद थी कि बीजेपी उनके बेटे को भागलपुर से चुनाव लड़ाएगी. अपने ओहदे का हनक दिखाकर मंत्री जी ने सभी एंबुलेंस को भागलपुर भेजने की तैयारी कर दी.

लोगों ने किया था विरोध
स्थनीय लोगों के विरोध के कारण सभी एम्बुलेंस को रोकना पड़ा. और बीजेपी ने उनके बेटे को टिकट भी नही दिया। लेकिन एक बार फिर जब पूरा देश कोरोना महामारी का सामना करने में लगा है तो मन्त्री जी अपने बेटे की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से 5 दिन पहले चोरी-छिपे सभी एम्बुलेंस को बक्सर से हटवाकर कहीं और भेज दिया. इसका जवाब किसी भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के पास नहीं है. सवाल यह उठता है कि जब एसजेवीएन कंपनी ने एम्बुलेंस जिला स्वास्थ्य समिति को गिफ्ट किया था, तो उसे किसी और जिले में कैसे भेजा गया.

देखें पूरी रिपोर्ट

एम्बुलेंस की घोर किल्लत से परेशान हैं जिलावासी
जिले में एंबुलेंस की घोर किल्लत है. प्राइवेट एंबुलेंसकर्मी 3000 रुपए की जगह 8000 रुपए लेकर मरीज को बनारस और पटना पहुंचा रहे हैं. उसके बाद सभी एम्बुलेंस को मंत्री जी को खुश करने के लिए किसी अन्य जिले को सौगात देने के लिए भेज दिया गया. कोविड केयर सेंटर का निरीक्षण करने पहुंचे डुमराव विधानसभा क्षेत्र के युवा भाकपा माले विधायक अजीत कुमार सिंह ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिले का एक भी अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के मानकों को पूरा नहीं कर रहा है. यह हालात केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र का है. जहां डुमराव अनुमंडलीय अस्पताल में केवल एक एंबुलेंस है. जबकि 4 विधानसभा क्षेत्रों में केवल एक शव वाहन है. उसके बाद भी सभी एंबुलेंसों को मंत्री जी भागलपुर भेज चुके हैं.

अस्पताल बनाने के लिए पूंजीपति क्यों नहीं दे रहे हैं चंदा
उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला मंदिर बनाने के लिए भारत के राष्ट्रपति के द्वारा एक करोड़ का चंदा दिया गया था. जबकि कई पूंजीपतियों ने करोड़ों रुपए मंदिर बनाने के लिए दान दिये. लेकिन आज कोविड-19 में जब लोगों को अस्पताल की जरूरत है. तब ना तो राष्ट्रपति और ना ही अन्य कोई पूंजीपति अस्पताल बनाने के लिए दान कर रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री से लेकर उनके कुनबे में शामिल सभी मंत्री, केवल स्टंटबाजी कर देश की जनता को धर्म की चाशनी में डुबोकर वोट की सियासत कर रहे हैं. आज लोगों का जीवन बचाने के लिए मंदिर और मस्जिद की नहीं, अस्पताल की जरूरत है.

हेल्थ इमरजेंसी की हो घोषणा
उन्होंने कहा कि आज कोविड-19 के इस प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए केंद्र सरकार हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर सभी निजी स्वास्थ्य संस्थानों को अपने हाथों में ले. साथ ही ऑक्सीजन प्लांट और मेडिसिन बनाने वाली कंपनियों को आर्मी और एयरफोर्स के हवाले कर दे. जिससे कि कालाबाजारी पर रोक लग सके. इस वैश्विक आपदा के कारण मानव जाति का जीवन ही संकट में पड़ गया है. जिस पर ठोस निर्णय लेने की जरूरत है.

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