बक्सर: जिले में कृषि विभाग के काले कारनामे का उजागर हुआ है. यहां विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से एक ही परिवार के कई लोगों को बीज वितरण केंद्र का लाइसेंस दे दिया गया है. जमीन पर तो छोड़िए, यहां कागजों में बीज, खाद और कीटनाशक का कारोबार हो रहा है.
मामला जिले के बक्सर प्रखंड का है. यहां पुष्पेंद्र तिवारी, अनीता देवी और प्रदीप सिंह को बीज वितरण केंद्र का लाइसेंस दिया गया. साथ ही इनके परिजनों को भी दुकान और लाइसेंस मुहैया करा दिया गया. वहीं, अनीता देवी को जो दुकान दी गई है, वहां जीन्स की दुकान खुली हुई है. कुल मिलाकर पूरा कारोबार कागजों पर हो रहा है. बता दें कि मामला उच्चाधिकारियों के पास पहुंच चुका है. बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
बदल लिया बयान
राज्य सरकार किसानों के लिए बड़े पैमाने पर कई योजनाएं चला रही है. लेकिन जिले स्तर पर डीलर्स एवं कृषि विभाग की मिली भगत से, ये योजनाएं जमीन पर उतरने से पहले ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. पूरे मामले को लेकर जब जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण कुमार चक्रवर्ती से पूछा गया, तो पहले इन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में है. लेकिन जैसे ही रिपोर्टर ने पूछा कि फिर आप ने करवाई क्यों नहीं की. तो पदाधिकारी ने अपना बयान को बदलने में ही अपनी भलाई समझी. इसके बाद कहा कि मामला अभी मेरे संज्ञान में आया है. इस पूरे मामले की जांच कर करवाई की जाएगी.
कांग्रेस विधायक ने लगाया ये आरोप
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय विधायक मुन्ना तिवारी उर्फ संजय तिवारी ने कहा कि लगभग 7 महीना पहले डुमराव, सिकरौल, ब्रह्मपुर, बक्सर के किसानों ने इस बात का शिकायत की थी. इसके बाद विभाग से लेकर वर्तमान कृषि मंत्री तक उन्होंने अपने लेटर पैड पर पत्र लिखा. उसके बाद भी इस मामले पर विभाग चुप्पी साधे रहा. इससे साफ हो जाता है कि जिला कार्यालय से पैसा मंत्रालय तक जा रहा है.
क्या बोले बीजेपी नेता
वहीं, इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी नेता भरत प्रधान ने कहा कि 2018 में जिले को सूखा घोषित किये जाने के बाद वैकल्पिक कृषि के लिए सरकार ने जो 300 क्विंटल अरहर का बीज भेजा था. उस बीज क्या हुआ. आज तक पता नहीं चला. हमारी सरकार इस पूरे मामले की जांच करवा करवाई करेगी.
बीज में हुई अनियमितता- संयुक्त कृषि निदेशक
संयुक्त कृषि निदेशक उमेश मंडल ने भी माना कि जो अरहर का बीज आया था, उसमें अनियमितता हुई है. विभागीय जांच में जिसका नाम भी सामने आएगा उसपर कार्रवाई की जाएगी.
बहरहाल, कुछ भी हो एक ही परिवार के चार सदस्यों को बीज वितरण केंद्र का लाइसेंस देना. फिर, जमीन पर दुकानों का ना होना. इस बात की ओर इशारा करता है कि जरूर बिहार में किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं में धांधली हो रही है.