बक्सरः कोरोना वैश्विक महामारी ने पूरे भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर दिया है. निम्न एवं मध्यम वर्गीय परिवार की बात कौन कहे. बैंकिंग सेक्टर का भी हाल बेहाल है. यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, बैंकों की ओर से प्रदान किए गए ऋण की रिकवरी करने में बैंक के अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं.
वितीय वर्ष 2019-2020 की स्थिति
एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक विभिन्न बैंकों की ओर से जिले में 2 हजार 47 करोड़ 30 लाख ऋण प्रदान किया गया है. जबकि रिकवरी रेट 1% भी नहीं है. जिसके कारण बैंक के अधिकारी भी चिंतित है और उन्हें भी नोकरी जाने की चिंता सता रही है. निम्न परिवार से लेकर मध्यम वर्गीय परिवार के लोग भोजन की व्यवस्था करने में ही परेशान है. ऐसे में वह कर्ज कैसे चुकाएंगे.
सरकार के निर्देशों का पालन
कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से बैंक के अधिकारियों को यह सख्त निर्देश दिया गया है कि किसी भी ऋणी से ऋण चुकता करने के लिए बैंक के अधिकारी दबाव नहीं बनाएंगे. जब तक कि लोगों की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
वहीं इस मामले को लेकर एलडीएम आनंद ओझा ने बताया कि बैंकिंग सेक्टर की हालत सबसे खराब है. स्थिति सामान्य होने में कई वर्ष लग जाएंगे. आज भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही काम किया जा रहा है. सरकार का यह निर्देश है की ऋण वसूली के लिए किसी भी व्यक्ति पर दबाव नहीं बनाया जाएगा.