बक्सर: बिहार सरकार में शामिल राजद कोटे के मंत्रियो का लगातार आ रहे विवादित बयान से महागठबंधन में भूचाल आ गया है. धीरे-धीरे अब महागठबंधन की गांठ ढीली पड़ने लगी है. भू राजस्व मंत्री आलोक मेहता के बयान पर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी (Congress MLA Sanjay Tiwari) ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि सरकार को नीचे दिखाने के लिए सरकार के मंत्री शर्मनाक बयान दे रहे हैं. जब पहले ही संगठन ने स्पष्ट कर दिया था कि प्रवक्ता ही पार्टी का पक्ष रखेंगे, उसके बाद भी ऐसा बयान देकर सरकार की किरकिरी क्यों मंत्री करा रहे हैं?.
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'सरकार को नीचा दिखाने के लिए सरकार में शामिल मंत्रियों का जो बयान आ रहा है, वह शर्मनाक है. ऐसे बयान से बचने की जरूरत है. जब संगठन ने पहले ही कह दिया था कि पार्टी के किसी भी मुद्दे को जनता के सामने प्रवक्ता रखेंगे और मीडिया से प्रवक्ता ही बात करेंगे. ऐसे में इस तरह का विवादित बयान देकर अपने ही सरकार की किरकिरी कराने में कुछ लोग जुटे हुए हैं. ऐसे लोगों के बयान पर टिप्पणी करना भी मैं ठीक नहीं समझता हूं.' - संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, कांग्रेस विधायक
विवादित बयान से बिहार की राजनीति में आया भूचाल : गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के बाद सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव, भू राजस्व मंत्री आलोक मेहता के बयान ने महागठबंधन के सभी दलों को असहज कर दिया है. ऐसे में अब जदयू के बाद कांग्रेस भी राजद कोटे के मंत्रियों को संयम बरतने की सलाह दे रही हैं और ऐसे बयानों को शर्मनाक बता रही हैं. 1990 के दौर में जिस तरह से बिहार में भूरा बाल साफ करो का नारा देकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार पर 15 सालों तक राज किया. उसी तरह एक बार फिर राजद के नेता बयान देने में लगे हैं.
'आखिर किसके इशारे पर हो रही है बयानबाजी ?' : एक बार फिर राजद के नेता उसी तर्ज पर धार्मिक ग्रन्थों के साथ ही सामान्य जातियों के लोगों पर विवादित बयान देकर खुद को बिहार में मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे की ओबीसी और पिछड़ी जातियों के वोट को अपने पक्ष में गोलबंद किया जा सके. लेकिन 33 साल बाद यह फार्मूला बिहार में कितना सफल होगा यह तो समय ही बताएगा. गौरतलब है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि- 'रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला है.'
शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान : उन्होने कहा था कि यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उनका हक दिलाने से रोकता है. वहीं राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने 10 फीसदी आरक्षण पाने वालों को अंग्रेजों का दलाल कह दिया था. उन्होंने कहा कि ये लोग अंग्रेजों के जमाने में मंदिरों में घंटी बजाते थे. जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े और वंचितों की उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है.