बक्सर: बिहार में महागठबंधन की सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पूर्व कानून मंत्री कार्तिक कुमार के बाद पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही, नीतीश कुमार ने शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए कड़क आईएएस अधिकारी केके पाठक को उनके विभाग में भेजकर ऐसा हड़कंप मचाया कि पिछले 24 दिनों से मंत्री अपने विभाग में भी नहीं जा रहे हैं.
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भू एवं राजस्व विभाग के पोस्टिंग पर रोक: प्रोफेसर चंद्रशेखर का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव के सबसे करीबी रहे राजद कोटे के भू एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता के विभाग के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगा दी. बिहार सरकार के भू एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता के द्वारा 480 से अधिक अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग करने के बाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे रद्द कर दिया. जिसके लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है.
कांग्रेस ने सीएम के फैसले को बताया ऐतिहासिक: बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने खुद मंत्रिमंडल विस्तार का मामला उठाया था. उस समय कांग्रेस को यह भरोसा था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, लेकिन मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार का बागडोर तेजस्वी यादव के हाथों में देकर खुद बच निकले, लेकिन कांग्रेस इस बात को भुला नहीं पा रही है. मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस सबसे बड़ा रोड़ा राजद को ही मान रही है. इसी कारण नीतीश कुमार के फैसले पर कांग्रेस के नेता ऐतिहासिक बता रहे हैं.
"महागठबंधन में सब कुछ ठीक चल रहा है. लेकिन जिस तरह से भू राजस्व विभाग के द्वारा ट्रांसफर पोस्टिंग किया गया था. उसमें अनियमितता साफ दिखाई दे रहा था. मुख्यमंत्री ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उस फैसले को रद्द कर तमाम महागठबंधन के विधायकों के हित में फैसला दिया है. क्योंकि जो सूची और लिस्ट विधायकों के द्वारा विभाग को दिया गया था. उनके आवेदन पर सुनवाई नहीं हुई और मनमाने तरीके से फैसला लिया गया. जिसे नीतीश कुमार ने रद्द कर बहुत ही सराहनीय काम किया है. इसके लिए मैं नीतीश कुमार को बधाई देता हूं."- संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी, कांग्रेस विधायक, बक्सर सदर