बक्सर: बिहार के बक्सर में उत्तरवाहिनी गंगा के रामरेखा घाट पर चैती छठ पूजा (Chaiti Chhath Puja at Ramrekha Ghat ) को लेकर उत्सवी माहौल दिखने लगा है. शनिवार को नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय चैती छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. छठ पूजा को लेकर रामरेखा घाट का काफी महत्व है. छठ पूजा करने के लिए बिहार के अलावा झारखंड, ओडिशा और नेपाल से श्रद्धालु प्रत्येक साल आते हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन की व्यपाक तैयारी रहती है.
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चैती छठ को लेकर प्रशासनिक तैयारी पूरीः चार दिवसीय महापर्व की तैयारी को लेकर चार दिन पहले भी समीक्षा बैठक करने शाहाबाद के डीआईजी नवीनचंद्र झा पहुंचे थे. उन्होंने सभी गंगा के तटों पर छठव्रतियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है. वहीं चार दिवसीय इस महापर्व की जानकारी देते हुए गंगा आरती के पुजारी लाला बाबा ने बताया कि रामरेखा घाट पर चैती छठ करने के लिए दूसरे प्रदेश से भी श्रद्धालु आते हैं. इस रामरेखा घाट पर उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर अस्ताचलगामी एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महाव्रत को सम्पन्न करते हैं.
भगवान राम ने रामरेखा तट पर ही किया था स्नान: पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में जब ताड़का, मारीच, सुबाहू, मंदोदरी आदि राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया. तब महर्षि विश्वामित्र ने अयोध्या से मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके भ्राता लक्ष्मण को लेकर यहां आये थे. दोनों भाईयों ने ताड़का आदि राक्षसों का वध कर इस पूरी नगरी को राक्षसविहीन कर दिया. नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान राम ने गंगा के इसी तट पर स्नान कर पांच कोश की परिक्रमा की थी. जिसे आज भी पंचकोशी के नाम से जाना जाता है और उसी समय से इस गंगा तट का नाम रामरेखा घाट हो गया.
"रामरेखा घाट पर चैती छठ करने के लिए दूसरे प्रदेश से भी श्रद्धालु आते है. इस रामरेखा घाट पर उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान कर अस्ताचलगामी एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महाव्रत को सम्पन्न करते हैं. भगवान राम ने गंगा के इसी तट पर स्नान कर पांच कोश की परिक्रमा की थी. जिसे आज भी पंचकोशी के नाम से जाना जाता है और उसी समय से इस गंगा तट का नाम रामरेखा घाट हो गया." -लाला बाबा, पुजारी