बक्सर: बिहार में कई विभागों की जर्जर बिल्डिंग की तस्वीरें आपने देखी होंगी, जहां रहने से लोग डरते हैं. वहीं बक्सर के एक सरकारी स्कूल की तस्वीर ना सिर्फ लोगों को डरा रही है बल्कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर रही है. बच्चे सुरक्षित रहेंगे तभी तो पढ़ेंगे लेकिन अगर हर वक्त उन्हें अनहोनी का डर सताए तो क्या उनका पढ़ने में मन लगेगा? क्या ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेज पाएंगे और क्या ऐसे में स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति संभव है?
बक्सर का एक स्कूल ऐसा भी...: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक प्रदेश के विभिन्न स्कूलों का दौरा कर रहे हैं और कई तरह के गाइडलाइन जारी किये जा रहे हैं. उन्हीं में से एक फरमान बच्चों की उपस्थिति से जुड़ा है. 15 दिन तक स्कूल ना आने वाले बच्चों के नाम विद्यालय से काटने का आदेश हैं. वहीं शिक्षकों को विद्यार्थियों की उपस्थिति की जिम्मेदारी दी गई है. स्कूल में बच्चों की उपस्थिति 75 फीसदी करने पर फोकस है, लेकिन बक्सर के प्राथमिक विद्यालय हादीपुर में सारे फरमान धरे के धरे रह गए हैं.
बच्चे नहीं आते स्कूल: यहां छात्र और शिक्षक सभी डर के साए में रहते हैं. इसका कारण विद्यालय का जर्जर भवन है. भवन की छत टूट टूटकर गिर रही है. कई बार इसके कारण शिक्षक चोटिल भी हुए हैं. वहीं छात्रों के परिजन स्कूल के शिक्षकों से लिखित रूप में स्कूल के अंदर बच्चों की सुरक्षा का गारंटी मांग रहे हैं, जिसे देने में शिक्षक असमर्थ हैं. परिणामस्वरुप हादीपुर प्राथमिक विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नगण्य हो गई है. कभी पूरे स्कूल में पांच तो कभी तीन बच्चे ही पढ़ने के लिए आ रहे हैं.
"स्कूल भवन जर्जर है. डर लगता है. मम्मी पापा आने नहीं देते हैं."- छात्रा
"बिल्डिंग की हालत खराब है. स्कूल में बहुत कम बच्चे पढ़ने आते हैं."- छात्रा
हेलमेट पहनकर पढ़ाते हैं टीचर: आलम यह है कि स्कूल के शिक्षक सर पर हेलमेट पहनकर विद्यालय में पठन पाठन का कार्य कर रहे हैं. स्कूल के बच्चों ने बताया कि घर के लोगों के मना करने के बाद भी हम पढ़ने आये हैं, क्योंकि हमें पढ़ना है. लेकिन स्कूल की भवन जर्जर है इसलिए हर समय दहशत का माहौल बना रहता है. प्रभारी प्रधानाचार्य अवधेश कुमार का कहना है कि बच्चे डर के कारण स्कूल नहीं आ रहे हैं. शिक्षक भी हेलमेट पहनकर आते हैं.
कभी 10 तो कभी 12 बच्चे आते हैं. विभाग से बच्चों की उपस्थिति को लेकर दबाव डाला गया. हम अभिभावक को समझाने गए लेकिन उनका कहना है कि आपके विद्यालय में मेरे बच्चे सुरक्षित नहीं हैं तो हम क्यों भेजेंगे. अभिभावक लिखित में सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं. हमें भी डर लगता है इसलिए हेलमेट पहनकर आते हैं. स्कूल में बिजली भी नहीं है. ग्रांट भी कम आता है. - अवधेश कुमार, प्रभारी प्रधानाचार्य
बिल्डिंग की जर्जर स्थिति के कारण बच्चों को अभिभावक नहीं भेज रहे हैं. हमें भी डर लगता है. पता नहीं कब हादसा हो जाए.- शिक्षिका
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा विद्यालय: वर्ष 2008 में ही इस प्राथमिक विद्यालय हादीपुर का निर्माण कराया गया था. इसके कुछ साल बाद से ही इस स्कूल के भवन का छत और छज्जा गिरने लगा. इसकी लिखित शिकायत 2015 से ही स्कूल प्रबंधक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से करते आ रहे हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी ने ना तो इसकी मरम्मत कराने की जहमत उठाई और ना ही भ्रष्टाचार करने वाले ठेकेदारों और शिक्षा विभाग के कर्मियों पर कार्रवाई की.
शिकायत के बाद भी एक्शन नहीं: वहीं स्कूल के शिक्षकों की मानें तो पिछले कई सालों से इस स्कूल का सीलिंग एवं दीवार गिर रहा है, जिसके कारण वह विद्यालय के अंदर हेलमेट पहनकर पठन पाठन का कार्य कर रहे हैं. छत का सरिया तक दिखाई दे रहा है. स्कूल प्रशासन के द्वारा इस बात की लिखित शिकायत वर्ष 2015 से ही विभाग से की जा रही है.
बता दें कि राज्य सरकार कुल बजट का लगभग 23 प्रतिशत राशि शिक्षा में सुधार करने के लिए खर्च करती है. वहीं इस सरकारी स्कूल में न को बिजली का कनेक्शन है और ना ही भवन की स्थिति ही अच्छी है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे बच्चों का भविष्य बेहतर होगा.