बक्सरः भले ही लोकसभा चुनाव में एक साल से अधिक का समय है, लेकिन बिहार में अभी से ही सभी राजनीतिक पार्टी के नेताओं ने मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. यही कारण है कि नेता शब्दों की मर्यादाओं के लांघ कर जनता को गुमराह करने में लगे हैं, लेकिन पूर्व में उनके द्वारा किये गए वादे अब तक क्यों नहीं पूरे हुए उसका जवाब देने से कतरा रहे हैं. अपने एक दिवसीय दौरे पर बक्सर के आथर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने खुले मंच से बिहार सरकार को जल्लाद बताते हुए कहा कि अब इनके दिन लद गए हैं.
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'गड़बड़ करने वालों को फांसी पर लटकना ही होगा': नीतीश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि यंहा की सरकार कुम्भकर्णी निंद्रा में सोई हुई है और बिहार अपराध से कराह रहा है, इलाज के अभाव में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं, मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने यहीं नहीं रुके. चार दिनों तक एमएलसी राधा चरण सेठ के ठिकानों पर चले आईटी की छापेमारी पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि जो गड़बड़ करेगा उसे बक्सर की जेल में बनी मोटी रस्सी से फांसी पर लटकना ही होगा. गड़बड़ करने वाला कोई नहीं बचेगा.
"बिहार में अपराधी खून की होली खेल रहे हैं. बिहार अपराध से कराह रहा है, इलाज के अभाव में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं, सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं से पूरा बिहार चीख उठा है और यंहा की सरकार कुम्भकर्णी निंद्रा में सोई हुई है. जिसे होलिका दहन में भस्म तो होना ही है"- अश्विनी कुमार चौबे केंद्रीय राज्य मंत्री
मूल समस्याओं से ध्यान भटका रहे है नेताः देशवासियों के मूल समस्या से ध्यान भटकाने के लिए, पूरे देश में महीनों से जातिवाद , रामचरित मानस ब्राह्मणवाद, दलित, अकलियत के नाम पर नेता खुले मंच से गाली दे रहे हैं. लेकिन जो मूल समस्या है उस पर किसी भी पार्टी के नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. बात केवल किसानों की करे तो बिहार के किसान परिवार की स्थिति इतनी खराब है कि ये देश के 27 राज्यों से पीछे हैं. झारखंड की स्थिति तो और भी दयनीय है। देश के किसानों के परिवार की आय की बात करें, तो प्रति परिवार मासिक आय 10 हजार 218 रुपये हैं. भारत के मेघालय में किसानों की औसत मासिक आय 29 हजार रुपये के साथ पहले स्थान पर है. जबकि झारखंड के किसान परिवार 4 हजार 895 रुपये के मासिक आय के साथ सबसे नीचे है. इस पर किसी भी सरकार का ध्यान नहीं है.
सड़क पर कट रही है युवाओं की जिंदगीः 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बतौर प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा किया था कि जब हमारी सरकार बनी तो 2 करोड़ युवाओ को नौकरी देंगे किसानों की आमदनी 2022 तक दुगनी होगी लेकिन हालात जस का तस बना हुआ है. देश मे बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है आर्थिक तंगी की बोझ से दबे किसान अब कृषि कार्य छोड़कर महानगरी में मजदूरी करने के लिए पलायन कर रहे हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बतौर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने खुले चुनावी मंच से यह घोषणा किया था कि यदि हम सरकार में आएंगे तो कैबिनेट की पहली बैठक में जो मेरी कलम चलेगी वह बिहार के 10 लाख युवाओ को नौकरी देने के लिए चलेगी. सरकार तो बन गई लेकिन नौकरी मांगने वाले युवाओं को लाठी से पीटा जा रहा है.
तेजस्वी यादव ने भी पूरा नहीं किया वादाः गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, ने भी 3 दिन पूर्व बिहार के 37 लोकसभा सीटों पर महागठबंधन का जीतने का दावा करते हुए कहा था कि, जो नए सर्वे आया है उसमें बिहार से बीजेपी का पूर्ण रूप से सफाया होना तय है. केवल 3 सीटों पर ही भारतीय जनता पार्टी और महागठबंधन के नेताओं के बीच सीधे टकर है. बाकी 37 सीट महागठबंधन के पाले में आ रहा है. अब भाजपा का इस देश से विदाई तय है. जिससे साफ हो गया है कि अब राजनीतिक पार्टी के नेताओं को देश और प्रदेश के विकास से कोई लेना देना नहीं है. अगले 5 साल तक कैसे कुर्सी बरकरार रहे इसके लिए अभी से ही जोड़ घटाव करना शुरू कर दिए हैं। एक दूसरे को गाली देकर जनता को गुमराह करने में लग गए है.